साल 2011 में साइबर धोखाधड़ी के कारण बैंकों को हुआ घाटा

सरकार ने बताया कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और एटीएम धोखाधड़ी के मामले 2008 में 55 थे जो सितंबर 2011 तक बढ़ कर 92 हो गए.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2011,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

सरकार ने बताया कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और एटीएम धोखाधड़ी के मामले 2008 में 55 थे जो सितंबर 2011 तक बढ़ कर 92 हो गए.

वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने राज्यसभा को बताया कि साइबर धोखाधड़ी के मामले 2008 में 55 थे और इसकी वजह से सरकारी क्षेत्र के बैंकों को 117.24 लाख रुपये का नुकसान हुआ. वर्ष 2009 में ऐसे 97 मामले दर्ज किए गए और इनसे बैंकों को 105.81 लाख रुपये की हानि हुई.

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उन्होंने महेंद्र मोहन के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि साइबर धोखाधड़ी के मामले वर्ष 2010 में 155 थे और इसकी वजह से सरकारी क्षेत्र के बैंकों को 369.81 लाख रुपये का नुकसान हुआ. चालू वर्ष में सितंबर 2011 तक ऐसे 92 मामले दर्ज किए गए और इनसे बैंकों को 537.04 लाख रुपये की हानि हुई.

मीणा के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के साथ साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं की रोकथाम के लिए कई उपाय किए हैं.

उन्होंने एन के सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक से मिली सूचना के अनुसार वर्ष 2009.10 के दौरान एटीएम के जरिये नकली नोट निकलने की 15 शिकायतें मिलीं जिनका निपटारा किया जा चुका है.

मीणा ने बताया कि बैंकों को मार्च 2010 तक अपनी उन सभी शाखाओं में नोट छांटने वाली मशीन लगाने की सलाह दी गई थी जहां प्रति दिन औसतन एक करोड़ रुपये या उससे अधिक की नकद राशि प्राप्त होती है.

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