राजस्थान में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है. कैबिनेट विस्तार में गहलोत की चली, लेकिन पायलट समर्थकों का भी ख्याल रखा गया है. विभागों के बंटवारे में गहलोत ने भारी भरकम मंत्रालय अपने पास रखे और अपने करीबी मंत्रियों को मलाईदार विभाग दिलाया जबकि पायलट खेमे को ग्रामीण विकास, पंचायती राज, परिवहन और कृषि मार्केटिंग जैसे मंत्रालयों से संतोष करना पड़ा है.
गहलोत कैबिनेट पर प्रियंका का असर
गहलोत कैबिनेट में प्रियंका गांधी के यूपी प्लान का भी असर दिख रहा है. जाटव वोट को देखते हुए भजनलाल जाटव को पीडब्लूडी जैसा मंत्रालय दिया गया है जो पहले सचिन पायलट संभाला करते थे. कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किए गए चारों दलित मंत्रियों को महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर सियासी कद बढ़ाया गया है. इनमें से तीन उत्तर प्रदेश से सटे हुए इलाकों से हैं.
पायलट खेमे को मिले ये मंत्रालय
बता दें कि पिछले साल सीएम गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने के साथ सचिन पायलट को डिप्टी सीएम, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह मंत्री पद से बर्खास्त कर दिए गए थे. पायलट के पास तब पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण विकास और पंचायतीराज जैसे अहम विभाग थे. रमेश मीणा के पास खाद्य विभाग और विश्वेंद्र सिंह के पास पर्यटन विभाग था तो प्रतापसिंह खाचरियावास भी पहले पायलट कोटे से मंत्री बने थे, लेकिन बाद में गहलोत कैंप में चले गए.
गहलोत सरकार मंत्रिमंडल में फेरबदल में पायलट कोटे से मंत्री बने बृजेंद्र ओला को भी परिवहन जैसा महत्वपूर्ण विभाग और स्वतंत्र राज्य मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई है. वह कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे. सचिन पायलट के पास रहा ग्रामीण विकास व पंचायतीराज विभाग उनके समर्थक रमेश मीणा को दिया है.
पायलट कैंप के हेमाराम चौधरी को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिया गया है. हालांकि बारमेड़ के इलाके में इसे महत्वपूर्ण मंत्रालय माना जा रहा है. ऐसे ही मुरारी मीणा को एग्रीकल्चर मार्केटिंग का स्वतंत्र प्रभार और टूरिज्म का राज्यमंत्री बनाया गया है. विश्वेन्द्र सिंह को वापस से पर्यटन मंत्रालय मिला है.
गहलोत के पास सभी बड़े मंत्रालय
वहीं, मंत्रालय के विभाग बंटवारे में गृह एवं न्याय विभाग, वित्त और डीओपी जैसे 10 अहम विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पास रखे हैं. पुलिस, फाइनेंस, ब्यूरोक्रेसी, पब्लिसिटी, आईटी पर गहलोत का नियंत्रण रहेगा. इसके अलावा गहलोत मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा लॉटरी प्रसादी लाल मीणा की लगी है, जिन्हें दवा और दारु दोनों का विभाग दिया गया है यानी हेल्थ और आबकारी मंत्रालय. यह सचिन पायलट के इलाके दौसा से आते हैं और आदिवासी समुदाय से हैं. कांग्रेस के पुराने नेता और गहलोत के करीबी माने जाते हैं.
ऐसे ही भंवर सिंह भाटी की लॉटरी लगी है और राज्य मंत्री के रूप में ऊर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभालेंगे. रामलाल जाट को राजस्व विभाग मिला है. शांति धारीवाल को स्वायत्त शासन, नगरीय विकास, हाउसिंग, कानून, इलेक्शन दिया गया. साथ ही आदिवासी कोटे से मंत्री बनाए गए महेंद्र सिंह मालवीय को जल संसाधन जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया है.
गहलोत गुट के इन नेताओं का कद घटा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी मंत्री बीडी कल्ला का डिमोशन किया गया है, उनके पास से पानी और बिजली दोनों विभाग लेकर विवादों में रहने वाला महकमा शिक्षा मंत्रालय सौंप दिया गया है. प्रताप सिंह खाचारियावास का कद घटा दिया गया है. इन्हें परिवहन एवं सैनिक कल्याण मंत्रालय से हटाकर कम महत्वपूर्ण मंत्रालय खाद्य व आपूर्ति विभाग मिला है. बसपा से कांग्रेस में आए राजेंद्र गुढ़ा को सैनिक कल्याण और होम गार्ड का जिम्मा दिया गया है.
गहलोत मंत्रिमंडल में जिस तरह से आदिवासी और दलित मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं, उससे साफ़ संदेश जा रहा है कि कांग्रेस अब राजस्थान में अपने दलित और आदिवासी वोट बैंक को मज़बूत करना चाहती है. दलित कोटे से कैबिनेट मंत्री बनाए गए टीकाराम जूली को समाज कल्याण विभाग मिला है तो ममता भूपेश बैरवा को महिला बाल विकास मंत्रालय.
गुर्जर समुदाय से कैबिनेट मंत्री बनाई गई शकुंतला रावत को भी उद्योग और देवस्थान जैसा बड़ा विभाग सौंपा गया है. इसके साथ अशोक चांदना को एक बार फिर से खेल, स्किल डेवलपमेंट, रोजगार विभाग दिए हैं. इस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नाराज़ गुर्जर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.
शरत कुमार