राजस्थान के जयंत ने 6 बार दी कैंसर को मात, अब कर रहे पीड़ितों की मदद

जयंत कंदोई को पछले आठ सालो में छह बार कैंसर जैसी भयंकर बीमारी हुई. इस दौरान जयंत ने करीब साढ़े चार साल अस्पताल में बिताए लेकिन कभी हार नहीं मानी और जीने के जज्बे को कमजोर नहीं पड़ने दिया.

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जयंत कंदोई (फाइल फोटोः फेसबुक) जयंत कंदोई (फाइल फोटोः फेसबुक)

चंद्रशेखर शर्मा

  • अजमेर,
  • 19 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST
  • मोटिवेशनल स्पीकर हैं जयंत कंदोई
  • जयंत कर रहे एमबीए की पढ़ाई

कैंसर जैसी घातक बीमारी का नाम सुनकर ही दिल दहल जाता है. जान हलक में आकर अटक जाती है. कैंसर जैसी बीमारी को मात देने का जिक्र आता है तो पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह, नील आर्मस्ट्रांग जैसे नाम जेहन में आते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान के एक युवा ने इसे एक या दो नहीं, 6 बार कैंसर को मात दी है. इस युवा ने पिछले आठ साल में कई दफे मौत को काफी करीब से देखा लेकिन जीने के जज्बे ने मौत को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.

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हम बात कर रहे हैं अजमेर के जयंत कंदोई की. जयंत कंदोई को पछले आठ सालो में छह बार कैंसर जैसी भयंकर बीमारी हुई. इस दौरान जयंत ने करीब साढ़े चार साल अस्पताल में बिताए लेकिन कभी हार नहीं मानी और जीने के जज्बे को कमजोर नहीं पड़ने दिया. आज जयंत कंदोई अपने एनजीओ के जरिए कैंसर पीड़ितों की मदद भी कर रहे हैं.

जयंत की बीमारी की शुरुआत साल 2013 के जून में हुई थी. तब जयंत कंदोई 10वीं क्लास में थे. जयंत के गले के राइट साइड में Hodgkin's lymphoma हुआ जिसका इलाज भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में हुआ. इस दौरान जयंत की 12 कीमोथेरेपी हुई थी. इलाज के साथ परीक्षा भी थी. जयंत ने परीक्षा भी दी और अपने स्कूल में पहला स्थान प्राप्त किया.

जयंत को 2015 के फरवरी महीने में फिर से गले के दूसरे साइड यही बीमारी हो गई. इसके लिए रेडियोथेरेपी का सहारा लेना पड़ा. इसके बाद जयंत बीकॉम की पढ़ाई करने दिल्ली चले गए. दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम ऑनर्स प्रथम वर्ष की पढ़ाई के समय अप्रैल से जुलाई 2017 के बीच जयंत को पेट में दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि फिर से कैंसर हो गया है.

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जयंत ने इसबार जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उपचार कराया और ओरल केमो दवाई ली. जयंत इसके बाद दो साल तक ठीक रहे और पढ़ाई जारी रही. लेकिन जयंत 2019 की शुरुआत में पैंक्रियास और दिसंबर 2019 में बाजू में छोटी छोटी गांठ हुई. नवंबर 2020 में जयंत फिर से कैंसर की चपेट में आ गए और तब बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया.
  
जयंत कंदोई ने फिर भी हार नहीं मानी और अब वे अपने एनजीओ के जरिए कैंसर पीड़ित लोगों की मदद में पूरी तन्मयता से जुटे हैं. जयंत बताते हैं कि उनके जीवन पर लिखी किताब प्रकाशन के लिए तैयार है और ये जल्द ही बाजार में आएगी. फिलहाल जयंत मोटिवेशनल स्पीकर हैं और एमबीए के सेकंड सेमेस्टर के स्टूडेंट हैं.

 

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