'AAP के काम पर जनता की मुहर...', पंजाब निकाय चुनाव में बंपर जीत पर बोले अरविंद केजरीवाल

पंजाब पंचायत चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए जिला परिषद और पंचायत समितियों की ज्यादातर सीटें हासिल की हैं. अरविंद केजरीवाल ने इसे सरकार के कामों पर जन विश्वास बताया.

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केजरीवाल ने पंजाब पंचायत चुनावों में जीत का क्रेडिट AAP सरकार के कामों को दिया. (Photo: ITG) केजरीवाल ने पंजाब पंचायत चुनावों में जीत का क्रेडिट AAP सरकार के कामों को दिया. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

पंजाब में हुए पंचायत चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की. सभी सीटों पर नतीजों का ऐलान हो गया है, जिसके बाद AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान केजरीवाल ने कहा, "पूरे पंजाब में ब्लॉक समितियों और जिला परिषद के चुनाव हुए, जिनके नतीजे आए हैं. नतीजे दिखाते हैं कि AAP ने एक तरह से पूरे पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र में स्वीप किया है."

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उन्होंने आगे कहा कि 70 फीसदी सीट पर (जिला परिषदों और ब्लॉक समितियों) आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है. यह दिखाता है कि पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में AAP की सरकार के कामों पर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने मुहर लगाई है. 1800 से ज्यादा ब्लॉक समिति सीटें जीते हैं.

केजरीवाल ने कहा, "2013 में जो चुनाव हुए थे, वो 2012 के विधानसभा चुनाव के एक साल बाद हुए थे. 2012 में अकाली दल जीता था. 2018 में चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को जीत मिली थी. ये चुनाव विधानसभा चुनाव होने से एक साल पहले हुआ है. मैं समझता हूं कि आम आदमी पार्टी ने जो काम किए हैं, उससे एंटी-इकंबेंसी नहीं, प्रो-इनकंबेसी फैक्टर दिखाई दे रहा है कि लोग खुश हैं."

केजरीवाल ने दिया निष्पक्ष चुनाव का सबूत...

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हम सब लोग जानते हैं कि 2013 और 18 में ग्रामीण क्षेत्रों के चुनाव पूरी तरह धक्काशाही से हुए थे. तीन दिन पहले फ्री एंड फेयर इलेक्शन हुए हैं. चुनाव और काउंटिंग की वीडियोग्राफी हुई है."

उन्होंने आगे कहा कि 580 सीटें ऐसी हैं, जो 100 से कम मार्जिन से जीती गई हैं. इनमें से 261 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती हैं और 319 सीटें विपक्ष ने जीती हैं. एक बार डीसी या एसडीएम को फोन करने की जरूरत थी, तो ये विपक्ष की सीटों पर वोट हमारे पक्ष में पड़ सकते थे, लेकिन हमने धक्काशाही नहीं की है.

भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल चुनावी नतीजों पर साझा प्रेस वार्ता किया (Photo: ITG)

केजरीवाल ने कहा, "संगरूर जिले में फकुआला जोन कांग्रेस सिर्फ पांच वोट से जीती है.फ्री एंड फेयर का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है. इस तरह की कई सीटें हैं. लखनपुर जोन से कांग्रेस तीन वोट से जीती है. लुधियाना में बाजरा सीट पर कांग्रेस तीन वोट से जीती है. अगर एक, दो, तीन और चार वोट से ये जीते हैं, तो क्या कोई आरोप लगाया जा सकता है."

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केजरीवाल ने गिनाए पंजाब सरकार के काम

अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार के कामों की तारीफ करते हुए कहा, "लोगों ने मौजूदा सरकार के कामों पर मुहर लगाई है." 

  • सबसे बड़ा काम है, नशे के खिलाफ युद्ध. उन सभी पार्टियों की सरकारें पंजाब को नशे में धकेलने के लिए जिम्मेदार थीं. उनमें से एक पार्टी वो है, जो अपने मंत्रियों के गाड़ियों के अंदर नशे बेचते थे. 
  • पहली बार हमारी सरकार के दौरान लोगों ने देखा कि नशा बेचने वालों के घरों के ऊपर बुलडोजर चले और 25 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. 
  • किसानों के खेतों में 70-75 साल बाद नहर का पानी आया है. लोग कहते हैं कि पानी को तरस गए थे, पहली बार पानी है. 
  • किसानों को कांग्रेस और अकाली दल के वक्त में रात को तीन बजे उठकर ट्यूबवेल चलाना पड़ता था. हमारी सरकार में आठ घंटे लगातार दोपहर में बिजली आती है, उससे लोग बहुत खुश हैं. 90 फीसदी से ज्यादा बिजली फ्री मिल रही है.
  • पूरे पंजाब में 43 हजार किलोमीटर की सड़कें बन रही हैं, जिसमें 19 हजार ग्रामीण सड़क हैं. सड़कों की क्वालिटी देखने लायक है. 
  • 55 हजार गांव के बच्चों को सरकारी नौकरियां मिली हैं. पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि बिना रिश्वत के नौकरी मिल सकती है.
  • स्कूलों में जबरदस्त बदलाव हुए हैं.
  • हजार से ज्यादा पंजाब के कोने-कोने में मोहल्ला क्लीनिक चल रही है.
  • सरकारी अस्पतालों के अंदर इलाज में काफी बदलाव आया है और अगले महीने से सबको 10 लाख रुपए का इंश्योरेंस दिया जाएगा. 

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'AAP की बहुत बड़ी जीत...', 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, "भारतगढ़ में कांग्रेस 40 वोटों से जीती. तो कांग्रेस के आरोप कि बैलेट पेपर छिपाए गए थे, झूठे हैं. चरणजीत चन्नी ने सबसे पहले आरोप लगाए, उनसे पूछिए कि उनके इलाके में कितने जीते. वे इन सब में शामिल थे, इसलिए उन्हें ऐसा दिख रहा है. हमने 70 फीसदी ब्लॉक समिति और 72 फीसदी ज़िला परिषद जीते हैं. अकाली दल नंबर 3 पर आया है. ग्रामीण इलाकों में भी अकाली दल फेल हो गया है. लोगों ने AAP सरकार के कामों के लिए वोट दिया है."

उन्होंने आगे कहा कि यह AAP की बहुत बड़ी जीत है. अकाली खुद को ग्रामीण पार्टी कहती है लेकिन वह बुरी तरह फेल हो गई और नंबर 3 पर रही.

पंचायत चुनाव के नतीजों पर एक नजर...

पंजाब की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की है. मंगलवार को आए परिणामों में पार्टी ने जिला परिषद की 250 सीटें और पंचायत समिति की 70 फीसदी सीटें जीती हैं. इस चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष, कृषि मंत्री और कई सांसदों समेत वरिष्ठ नेताओं को अपने ही गांवों में हार का सामना करना पड़ा है. 

शिरोमणि अकाली दल ने इन नेताओं के पैतृक गांवों में जीत हासिल की है. विपक्षी दलों ने मालवा क्षेत्र में कड़ी चुनौती पेश की है. यह मुकाबला 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है.

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दिग्गजों को अपने घर में मिली शिकस्त

आम आदमी पार्टी के कई कद्दावर नेता अपने ही घर में अपनी साख नहीं बचा पाए. विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां, सांसद राज कुमार चब्बेवाल और गुरमीत सिंह मीत हेयर अपने गांवों में हार गए. इन दिग्गज नेताओं के गांवों में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने जीत का परचम लहराया है. इसके अलावा कई अन्य विधायक भी अपने पैतृक क्षेत्रों में वोटरों का भरोसा जीतने में नाकाम रहे हैं.

विपक्ष ने मालवा में दी कड़ी चुनौती

स्थानीय स्तर पर हुए नुकसान के बावजूद राज्य स्तर पर आम आदमी पार्टी का दबदबा कायम रहा है. हालांकि, विपक्षी दलों ने विशेष रूप से पंचायत समितियों में अपनी स्थिति पहले से काफी बेहतर की है. मालवा के इलाकों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने 'आप' को कड़ी टक्कर दी है. भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी इन नतीजों में मामूली सुधार दर्ज किया है. फिलहाल मतगणना जारी है और अंतिम आधिकारिक आंकड़ों का इंतजार किया जा रहा है.

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2027 के लिए बड़ा राजनीतिक मैसेज

इन परिणामों को 2027 में होने वाले अगले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले एक अहम संकेत माना जा रहा है. जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी पूरे सूबे में बढ़त बनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल फिर से अपनी खोई हुई जमीन तलाशने में जुटे हैं. सीनियर नेताओं की अपने ही गांवों में हार ने सत्ता पक्ष को आत्ममंथन का मौका दिया है. मतगणना के अंतिम चरणों के बाद ही पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी कि विपक्षी दलों की यह वापसी कितनी प्रभावी साबित होगी.

(अमन भारद्वाज के इनपुट के साथ)

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