जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के 100 दिन पूरे, किसानों ने की सांकेतिक भूख हड़ताल

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक में भी किसानों ने व्यापक स्तर पर सांकेतिक भूख हड़ताल की. किसान नेताओं ने कहा कि 100 घंटे भूखे रहने से ही इंसान की हालत खराब हो जाती है लेकिन जगजीत सिंह डल्लेवाल मजबूत इरादों के धनी हैं और परमात्मा-वाहेगुरु के आशीर्वाद से 100 दिन से आमरण अनशन पर होने के बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं. 

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किसान नेता जगजीत सिंह डल्‍लेवाल. (फाइल फोटो) किसान नेता जगजीत सिंह डल्‍लेवाल. (फाइल फोटो)

अमन भारद्वाज

  • चंडीगढ़,
  • 05 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:54 PM IST

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के 100 दिन पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर देशभर में किसानों ने जिले और तहसील स्तर पर सांकेतिक भूख हड़ताल की दाता सिंह वाला-खनौरी किसान मोर्चे, शंभू मोर्चे और रत्नपुरा मोर्चे पर आज सैंकड़ों किसानों ने सांकेतिक भूख हड़ताल की.

किसानों ने की सांकेतिक भूख हड़ताल

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक में भी किसानों ने व्यापक स्तर पर सांकेतिक भूख हड़ताल की. किसान नेताओं ने कहा कि 100 घंटे भूखे रहने से ही इंसान की हालत खराब हो जाती है लेकिन जगजीत सिंह डल्लेवाल मजबूत इरादों के धनी हैं और परमात्मा-वाहेगुरु के आशीर्वाद से 100 दिन से आमरण अनशन पर होने के बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं. 

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इस अवसर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि आज सड़क से लेकर संसद तक MSP गारंटी कानून की गूंज सुनाई दे रही है. यह परमात्मा-वाहेगुरु के आशीर्वाद से संभव हुआ है, जगजीत सिंह डल्लेवाल ने स्वयं कुछ नहीं किया है.

'किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही सरकार'

किसान नेताओं ने कहा कि यूं तो हमारे देश को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है लेकिन पिछले 100 दिनों से जगजीत सिंह डल्लेवाल का सत्याग्रह चल रहा है, उसके बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं की हैं और अब भी किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है. 

किसान नेताओं की गिरफ्तारी निंदनीय

किसान नेताओं ने कहा कि जिस तरह संयुक्त किसान मोर्चा के 'चंडीगढ़ कूच' के कार्यक्रम के मद्देनजर पंजाब में किसान नेताओं की गिरफ्तारी की गई है, वह बहुत निंदनीय है. उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी किसान नेताओं को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और बातचीत के माध्यम से किसानों के मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए.

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