महिला आरक्षण पर क्रेडिट वार! महुआ ने ममता को 'मदर ऑफ द बिल' बताया, सोनिया गांधी ने राजीव को दिया श्रेय

महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में जारी बहस के बीच राजनीतिक दलों में क्रेडिट लेने की होड़ है. सभी पार्टियां अपनी-अपनी व्याख्या और सुविधा के अनुसार इस बिल का श्रेय खुद को दे रही हैं. इस बीच टीएमसी ने कहा है कि इस बिल का नाम वीमेन रिजर्वेशन रिशेड्यूलिंग बिल रख देना चाहिए. क्योंकि इसका एजेंडा देरी करना है.

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महिला आरक्षण बिल पर क्रेडिट लेने की होड़ महिला आरक्षण बिल पर क्रेडिट लेने की होड़

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

नारी शक्ति वंदन बिल के नाम से संसद में आए महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी है. इस दौरान पार्टियां अपने-अपने नाम पर इस बिल को लाने का क्रेडिट ले रहीं हैं. 

बुधवार को बिल पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 'मदर ऑफ बिल' बताया. महुआ मोइत्रा ने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले से ही लोकसभा में महिलाओं को पर्याप्त जगह दी है, वे असल मायने में  'मदर ऑफ बिल' हैं. मोइत्रा ने जल्द से जल्द कानून बनाने की मांग की. उन्होंने कहा, महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए. 

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महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर हो रही देरी को लेकर अपनी निराशा जाहिर की. उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए गर्व और शर्म की बात है कि आजादी के 75 साल बाद मैं संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में शामिल हो रही हूं. 

ममता 'मदर ऑफ द बिल'- महुआ मोइत्रा

टीएमसी सांसद ने कहा कि ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं टीएमसी से जुड़ी हूं एक ऐसी पार्टी जहां संसद पहुंचने वाले सदस्यों में 37 फीसदी महिलाएं हैं. लेकिन ये मेरे लिए दुख की बात है कि मैं उस संसद से ताल्लुक रखती हूं जहां मात्र 15 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है. महुआ ने कहा कि संसद में दलित और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में मात्र 2 मुस्लिम महिलाएं हैं और वे दोनों ही पश्चिम बंगाल से हैं और दोनों ही तृणमूल कांग्रेस से हैं. 

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टीएमसी सांसद ने कहा कि बीजेपी के नेता हमसे संपर्क कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि बिना शर्तों के साथ इस बिल का समर्थन करिए. हम उनसे कहना चाहते हैं कि टीएमसी न सिर्फ इस बिल का समर्थन कर रही है बल्कि वास्तविकता ये है कि भारत की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिन्हें 'मदर ऑफ दिस बिल' कहा जाना चाहिए. जिन्होंने महिलाओं को संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का मूल विचार दिया है. जिन्होंने अपनी पार्टी से 37 फीसदी महिलाओं को इस संसद में भेजा है. आपने क्या किया है? आपने कितने लोगों को भेजा है. 

महुआ ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आपको इस बिल का नाम वीमेन रिजर्वेशन रिशेड्यूलिंग बिल रख देना चाहिए. क्योंकि इसका एजेंडा देरी करना है. उन्होंने कहा कि इस संसद में कब 33 फीसदी महिला सांसद कब बैठेंगी इसकी जानकारी अभी नहीं है. 

ये बिल राजीव का सपना- सोनिया गांधी

वहीं इस बिल पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण बिल का समर्थन करती है, मैं इस बिल के समर्थन में खड़ी हुई हूं. यह मेरी जिंदगी का मार्मिक समय है. पहली बार निकाय चुनाव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे. बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था, आज उसका नतीजा है कि आज देश भर के स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं. 

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सोनिया गांधी ने इस बिल का श्रेय राजीव गांधी को देते हुए कहा कि उनका सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पास होने के साथ ही वह पूरा होगा. कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है. हमें इस बिल के पास होने की खुशी हैं, लेकिन एक चिंता भी है. मैं सवाल पूछना चाहती हूं कि पिछले 13 साल से महिलाएं राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं. उन्हें अभी कितना और इंतजार करना होगा. सोनिया गांधी ने इससे पहले भी महिला आरक्षण बिल को 'अपना बिल' बताया था. 

राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा या नहीं- डिंपल

वहीं सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए. उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा या नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?

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