मनरेगा बिल के 14 महीने बनाम VB-G RAM G बिल के 6 घंटे... संसद में आधी रात के टकराव की पूरी कहानी

ग्रामीण रोजगार से जुड़ा बिल मनरेगा को यूपीए सरकार 2005 में लाई थी तो 14 महीने तक उस पर सलाह-मशविरा किया गया. इसके बाद आम सहमति से बिल पर मुहर लगी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने उसी बिल को बदलकर VB-G RAM G बिल को चार दिन में पास करा लिया.

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मनरेगा बिल के 14 महीने बनाम VB-G RAM G बिल पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने (Photo-ITG) मनरेगा बिल के 14 महीने बनाम VB-G RAM G बिल पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

संसद के शीतकालीन सत्र में ग्रामीण रोजगार से जुड़े 'वीबी-जी राम जी' (VB-G RAM G) बिल 2025 लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया है. बिल पारित होते ही राजनीतिक टकराव तेज हो गया है. संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद विपक्षी दलों के नेता आधी रात को संविधान सदन के बाहर धरने पर बैठ गए.

कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान मनरेगा कानून आया था. यूपीए सरकार ने 2005 में 'ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून' को लागू किया था और 2009 में इसके नाम के साथ 'महात्मा गांधी' जोड़ा गया. यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है.

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पिछले 20 सालों से मनरेगा ग्रामीण रोजगार की रीढ़ रही है. अब मोदी सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी 'वीबी-जी राम जी' बिल कर दिया है. संसद के दोनों सदन से यह बिल पास हो गया है, लेकिन विपक्ष के सवाल जस के तस बने हुए हैं. 

मनरेगा से बदलकर VB-G RAM G

जब 2005 में मनरेगा कानून आया था, तब तत्कालीन यूपीए सरकार ने सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति बनाने के लिए 14 महीने तक सलाह-मशविरा किया था. वहीं, अब मोदी सरकार को मनरेगा में तब्दीली कर वीबी-जी राम जी बिल 2025 को लाने और संसद से पास कराने में सिर्फ चार दिन लगे. यही वजह रही कि सरकार और विपक्ष के बीच तीखा सियासी टकराव बना रहा।

विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया और बिल के पास होने से पहले राज्यसभा से वॉकआउट कर गए. विपक्ष मांग कर रहा था कि बिल को सिलेक्ट कमेटी (प्रवर समिति) के पास भेजा जाए, हालांकि सदन में विपक्ष की गैर-मौजूदगी के बीच बिल ध्वनिमत से पास कर दिया गया। इसके विरोध में विपक्षी सांसद आधी रात को धरने पर बैठ गए.

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संसद में रात भर चला विपक्ष का धरना

लोकसभा में वीबी-जी राम जी बिल 2025 पर 14 घंटे तक चर्चा हुई. इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को राज्यसभा में इस बिल को पेश किया. मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने से लेकर कई अन्य बदलाव किए गए, जिसे लेकर विपक्ष लगातार मांग कर रहा था कि इस बिल को संसदीय समिति को भेजा जाए ताकि हर बिंदु पर विस्तार से चर्चा हो सके.

शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही बिल पेश किया और बोलने के लिए खड़े हुए, विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया. विपक्षी सांसद सदन के बीचों-बीच (वेल में) पहुंच गए और बिल की कॉपियां फाड़कर फेंकी. इसके बावजूद मोदी सरकार 'वीबी-जी राम जी' बिल को ध्वनिमत से पास कराने में कामयाब रही.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश की जनता सड़कों पर गोली खाएगी, लेकिन इस बिल को कभी स्वीकार नहीं करेगी. यही नहीं, विपक्षी सांसद पूरी रात संसद में धरने पर बैठे रहे. उनका कहना है कि यह बिल महात्मा गांधी का अपमान है और किसानों-गरीबों के खिलाफ है.

मनरेगा बिल में लगे थे 14 महीने:वासनिक

कांग्रेस सांसद मुकुल वासनिक ने कहा कि जब 2004 में मनरेगा का ड्राफ्ट बनाया गया था, तो 14 महीने तक सलाह-मशविरा किया गया था. इसमें न केवल सत्तापक्ष बल्कि विपक्ष की भी राय ली गई थी. इसके बाद 2005 में संसद में आम सहमति से रोजगार गारंटी कानून पास किया गया. मोदी सरकार ने इस अहम कानून में बदलाव करने के लिए विपक्ष से कोई राय नहीं ली.

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वासनिक ने कहा कि मोदी सरकार ने बिल को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने और संसद से पास कराने में सिर्फ चार दिन लगाए हैं. सरकार ने बिल में ऐसे बदलाव किए हैं जो राज्यों पर बहुत ज्यादा वित्तीय बोझ डालेंगे, आप देखिएगा यह योजना विफल हो जाएगी.

कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस दिन को देश के श्रम बल के लिए 'दुखद दिन' बताया और मोदी सरकार पर किसान और गरीब विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एमजीएनआरईजीए (MGNREGA) को खत्म करके 12 करोड़ लोगों की आजीविका पर हमला किया गया है.

सिर्फ पांच घंटे की नोटिस पर दिया बिल: टीएमसी

'वीबी-जी राम जी' बिल को लेकर टीएमसी सबसे ज्यादा मुखर रही. टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने केंद्र सरकार पर बिल को जबरदस्ती पास कराने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब विपक्षी सांसद संसद परिसर में 12 घंटे के धरने पर बैठे थे, तब सरकार ने एक तरह से "चोरी" से बिल पास करा लिया.

सागरिका घोष ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से गरीब, जनता, किसान और ग्रामीण विरोधी है.  मनरेगा को खत्म करना भारत के गरीबों, महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान है. उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ पांच घंटे के नोटिस पर यह बिल हमें दिया गया और हमें ठीक से बहस करने की अनुमति नहीं दी गई। हमारी मांग थी कि इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए, लेकिन सरकार ने तानाशाही दिखाते हुए इसे पास करा लिया.

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गांधी के नाम को क्यों छिपा रही बीजेपी: डीएमके

डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि मोदी सरकार ने महात्मा गांधी और अंबेडकर की मूर्तियों को संसद के पीछे की तरफ स्थानांतरित कर दिया है, जहाँ लोग उन्हें आसानी से देख नहीं सकते. इसी तरह उन्होंने योजना से महात्मा गांधी का नाम ही हटा दिया है. उन्होंने कहा कि यह सर्वमान्य सत्य है कि गांधी के बिना आजादी अधूरी है.

उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन की संसद में भी गांधी जी की मूर्ति है, लेकिन यहाँ भारतीय संसद में उनकी मूर्ति कहीं छिपा दी गई है और अब उनके नाम वाली योजना से भी नाम हटा दिया गया है. पूरा विपक्ष इस तानाशाही रवैये के खिलाफ गुस्से में है और अब सड़क पर उतरेगा.

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