AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के साथ कथित भेदभाव और उत्पीड़न को लेकर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर में दुकानदारों से जबरन नाम-पते के बोर्ड लगाने को कहा जा रहा है और कुछ दुकानदारों से पैंट उतरवाने तक की बात कही जा रही है, जो पूरी तरह गलत और असंवैधानिक है.
ओवैसी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के खिलाफ है, जिसमें पिछले साल अदालत ने सरकार के उस आदेश पर रोक लगाई थी जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के बाहर मालिक का नाम और मोबाइल नंबर लिखने को अनिवार्य किया गया था.
उन्होंने सवाल उठाया, "मुजफ्फरनगर बायपास के पास कई होटल सालों से चल रहे हैं. क्या कांवड़ यात्रा अभी शुरू हुई है? ये तो पहले भी शांतिपूर्वक निकलती रही है. अब अचानक यह सब क्यों हो रहा है? अब होटल मालिकों से आधार कार्ड मांगा जा रहा है, दुकानदारों से पैंट उतारने को कहा जा रहा है."
ओवैसी ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, "पुलिस का काम है उन लोगों को गिरफ्तार करना जो दुकानदारों को परेशान कर रहे हैं. मगर यहां तो खुद प्रशासन ही तमाशा बना रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. कोई कैसे किसी होटल में घुसकर मालिक से उसका धर्म पूछ सकता है? यह सरासर गलत है. सरकार इस पर चुप क्यों है?"
ओवैसी का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांवड़ यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा कई तरह के निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन विपक्ष लगातार इन निर्देशों को लेकर राज्य सरकार पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगा रहा है.
नेम प्लेट लगाना अनिवार्य
कांवड़ यात्रा में उत्तर प्रदेश सरकार ने दुकानों, होटल और ढाबों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश दिए हैं. सभी जिलों की तरह ही मुजफ्फरनगर जिले के दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे 58 कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों पर नेम प्लेट अनिवार्य है. सरकार के इस फैसले को लेकर दुकानदारों ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर आते हैं. इसलिए जिस दुकान पर बैठकर वे खाना खाते हैं तो उन्हें यह पता होना चाहिए कि वह किसकी दुकान है.
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