बिहार की राजनीति से इतर एक नए विधायक की चर्चा है. तेलंगाना के जुबली हिल्स सीट पर नवीन यादव ने AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के 'सपोर्ट' से शानदार जीत हासिल की है. नवीन यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. इस इलेक्शन में उन्होंने भारत राष्ट्र समिति की सीटिंग सीट छीन ली.
जीत के बाद आभार जताने पहुंचे नवीन यादव ने पैर छूकर ओवैसी का आशीर्वाद लिया.
जुबली हिल्स सीट और नवीन यादव दोनों की कहानी राजनीति में सेटिंग-गेटिंग और नए समीकरणों के बनने की कहानी है.
जुबली हिल्स सीट तीन टर्म से कांग्रेस के खाते में नहीं आई थी. 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व क्रिकेटर अजहरुद्दीन को चुनाव में उतारा था. लेकिन अजहरुद्दीन को शिकस्त खानी पड़ी. इस सीट पर मंगती गोपीनाथ 2014 से ही विधायक हैं. 2023 में अजहरुद्दीन के मुकाबले में मंगती गोपीनाथ ही थे. अजहरुद्दीन 64212 वोट लाकर भी हार गए थे. इस चुनाव में बीआरएस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मंगती गोपीनाथ को 80549 वोट मिले थे.
2023 में इस सीट पर AIMIM ने भी अपने कैंडिडेट को उतारा था. तब AIMIM कैंडिडेट को 7848 वोट मिले.
क्यों कराना पड़ा उपचुनाव
यह उपचुनाव पूर्व विधायक मगंती गोपीनाथ की असामयिक मृत्यु के कारण हुआ. बीआरएस ने मगंती गोपीनाथ की करीबी मगंती सुनीता को अपना उम्मीदवार बनाया.
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस के नवीन यादव, बीआरएस की मगंती सुनीता और बीजेपी के लंकाला दीपक रेड्डी के बीच था.
नवीन यादव और कांग्रेस ने चली चाल
जुबली हिल्स सीट पर BRS के वर्चस्व को तोड़ने के लिए तेलंगाना सीएम और स्वयं नवीन यादव ने कई सियासी चालें चलीं. बिहार की गलती न दोहराते हुए नवीन यादव ने ओवैसी को मनाया कि वह इस सीट पर अपना यानी कि AIMIM का कैंडिडेट न खड़ा करें. ओवैसी नवीन यादव की इस मांग पर राजी हो गए और उन्होंने इस उपचुनाव में अपना कैंडिडेट नहीं उतारा. इसका फायदा ये हुआ कि ये चुनाव कांग्रेस बनाम बीआरएस हो गया. इस सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ तो रही थी लेकिन असर छोड़ने में सफल रही है.
कांग्रेस ने इस मामले में पिछली गलतियों से सीख लेते हुए कुछ और सुधार किए. पार्टी ने चुनाव से पहले अजहरुद्दीन को न सिर्फ MLA बनाया, बल्कि उन्हें मंत्री भी बना दिया.
इससे कांग्रेस ने इस सीट के मुसलमानों का भरोसा जीता.
हिन्दू मतदाताओं को भरोसे में लेने के लिए कांग्रेस ने इस सीट पर हिन्दू कैंडिडेट यानी कि नवीन यादव को उतारा.
इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे इससे मुस्लिम वोटों का विभाजन नहीं हुआ और नवीन यादव ने 24 हजार 729 वोटों से जीत दर्ज की. उन्हें कुल 98988 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहने वाली बीआरएस की मगंती सुनीता गोपीनाथ को 74259 वोट मिले. जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 17061 वोट हासिल हुए.
ओवैसी से मिलने पहुंचे नवीन यादव
इस सीट से जीत हासिल करने के बाद नवीन यादव AIMIM चीफ ओवैसी से मिलने पहुंचे और उनके पैर छुए. मुलाकात का ये वीडियो वायरल हो रहा है. वहीं ओवैसी ने कहा है कि उन्होंने नवीन यादव को निजी तौर पर सपोर्ट किया है, उनका सपोर्ट कांग्रेस को नहीं है.
ओवैसी ने सार्वजनिक रूप से नवीन यादव को समर्थन की घोषणा की थी. उन्होंने AIMIM कार्यकर्ताओं और वोटरों से अपील की कि वे नवीन को वोट दें, क्योंकि वे युवा हैं और जुबली हिल्स में विकास ला सकते हैं. ओवैसी ने इसे "पार्टी का सामूहिक फैसला" बताया, और कहा कि यह उपचुनाव सत्ता बदलने का नहीं, बल्कि विकास का मुद्दा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र में यादव समुदाय की अच्छी-खासी उपस्थिति है. अब तक कांग्रेस में इस समुदाय से कोई विधायक या विधान परिषद सदस्य नहीं रहा है.
कौन हैं नवीन यादव
41 साव के नवीन यादव हैदराबाद के मूल निवासी हैं. उनके पिता चिन्ना श्रीशैलम यादव जुबली हिल्स के एक जाने-माने व्यक्ति हैं. उनका परिवार डेढ़ दशक से भी ज़्यादा समय से हैदराबाद के रहमत नगर, शेखपेट, यूसुफगुडा और अन्य इलाकों में राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ है. इससे कांग्रेस को फायदा मिला.
नवीन यादव ने 2007 में हैदराबाद के बेगमपेट स्थित सीएसआईआईटी से वास्तुकला में स्नातक की किया है. स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद उन्होंने सामुदायिक पहलों और युवा-केंद्रित कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया. इसके बाद सार्वजनिक जीवन में उनकी यात्रा शुरू हुई.
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