असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक के लिए राज्य सरकार को लगभग 150 सुझाव प्राप्त हुए हैं. इनमें से केवल तीन में इसका विरोध किया गया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि प्रस्तावित कानून का आखिरी मसौदा अब शुरू होगा और अगले 45 दिनों में पूरा हो जाएगा.
मुख्यमंत्री ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर अपडेट- हमें अपने सार्वजनिक नोटिस के जवाब में कुल 149 सुझाव प्राप्त हुए हैं. इनमें से 146 सुझाव बिल के पक्ष में हैं, जो मजबूत जनसमर्थन का संकेत है. हालांकि, तीन संगठनों ने विधेयक पर अपना विरोध व्यक्त किया है. अब हम प्रक्रिया के अगले चरण की ओर बढ़ेंगे, जिसमें अगले 45 दिनों में विधेयक का अंतिम मसौदा तैयार करना है, जिसमें 'लव जिहाद' का मुद्दा भी शामिल होगा. मुझे उम्मीद है कि दिसंबर में हम इस विधेयक को राज्य विधानसभा में पेश करने में सक्षम होंगे."
बता दें कि असम सरकार ने 21 अगस्त को एक नोटिस जारी कर विवादास्पद विषय पर प्रस्तावित कानून पर जनता की राय मांगी थी. सरमा द्वारा एक्स पर साझा किए गए नोटिस में लोगों से 30 अगस्त तक ईमेल या पोस्ट के जरिए अपनी राय भेजने का अनुरोध किया गया था.
12 मई को विशेषज्ञ समिति का हुआ था गठन
असम सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाने के लिए विधानसभा की विधायी क्षमता का अध्ययन करने के लिए 12 मई को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. 6 अगस्त को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य विधानमंडल वैवाहिक प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने में सक्षम है. चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फुकन ने की और इसके अन्य सदस्य राज्य के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया, वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और वरिष्ठ अधिवक्ता नेकिबुर ज़मान शामिल हैं.
इसे समान नागरिक संहिता के लिए राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ-साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच करने का काम सौंपा गया था. सरमा ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने आधिकारिक संबोधन में कहा कि असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए जल्द ही एक "सख्त अधिनियम" बनाया जाएगा.
बहुविवाह को तुरंत प्रतिबंध चाहती है सरकार
13 जुलाई को उन्होंने कहा था कि असम सरकार ने संबंधित अधिकारियों को बता दिया है कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के समर्थन में है और राज्य में बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहती है. वहीं विपक्षी दलों ने पहले बहुविवाह पर कानून बनाने के सरकार के फैसले की आलोचना की थी. इसने इस कदम को "विकर्षणकारी और सांप्रदायिक" कहा था, खासकर ऐसे समय में जब यूसीसी पर सुझाव विधि आयोग को प्राप्त हो रहे हैं.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)
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