केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान ने गुरुवार शाम इस दुनिया को अलविदा कह दिया. सूट-बूट वाले दलित नेता कहे जाने वाले रामविलास पासवान का मुंगेर जिले के लौह नगरी जमालपुर से गहरा नाता रहा. रिश्तेदारी होने के कारण उनका अक्सर यहां आना जाना रहता था. उनके रिश्तेदार बताते हैं कि सरल स्वभाव के रामविलास पासवान को उनके घर का खाना बेहद पसंद था. (इनपुट- गोविंद कुमार)
रामविलास पासवान साल 1975 में राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर से ही जमालपुर अपने रिश्तेदार ओम प्रकाश पासवान उर्फ कंपनी पासवान के घर आते-जाते थे. यहां आने पर वो मोहल्ले के साथ ही नगर के कई लोगों से मुलाकात करते थे. यहां उनके रिश्तेदारों के साथ कई दोस्त भी थे.
हालांकि, अब कंपनी पासवान भी इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके पुत्र भावेश पासवान बताते हैं कि जब खगड़िया, मुंगेर का हिस्सा हुआ करता था, तब से उनके घर आना जाना हुआ करता था. जब घर आते थे तो मां स्व. विनोदी देवी से खूब बातें किया करते थे. मां के हाथ की बनी चिंगड़ी मछली (छोटी मछली), अरहर की दाल, चावल और भुनी हुई रेहु मछली बड़े चाव से खाया करते थे.
भावेश ने बताया कि बड़े लीडर बन जाने के बाद भी कभी भी उनमें घमंड की कोई भावना नहीं आई. घर आते ही बिल्कुल आम लोगों की तरह सभी से मिलते और बातें करते थे. बड़े ही व्यवहारिकता के साथ वे पेश आते थे. वर्ष 2013 में भी जब वे मुंगेर आए, तो उनके घर भी आये थे. परिवार के साथ काफी पुरानी यादें भी उन्होंने साझा कीं.
भावेश ने बताया कि 2015 में जब उनके पिता कंपनी पासवान का देहांत हुआ, तो उनके दशकर्म में रामविलास पासवन नहीं आ पाए, तो उन्होंने चिराग पासवान को भेजा था. ऐसे में सियासी गलियारे के महान नेता का एकाएक दुनिया छोड़कर जाने से उनके परिवार को गहरा सदमा पहुंचा है.