आस्था की नगरी कुंभ में इन दिनों दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक पर्व कुंभ चल रहा है. इस पर्व में देश-विदेश से अलग-अलग वेशभूषा वाले साधु आए हैं. इस पर्व में नागा साधु के अलावा जो साधु सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र हैं, वो हैं अघोरी बाबा.
अघोरी बाबाओं का जीवन बहुत ज्यादा कठिन और रहस्यमयी होता है. आइए जानें अघोरी बाबा की रहस्यमयी दुनिया के बारे में....
श्मशान घाट में तंत्र क्रियाएं करने वाले साधुओं को अघोरी बाबा कहा जाता है. अघोरी बाबा देर रात श्मशान में तंत्र-क्रियाएं और साधनाएं करते हैं. इनका इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है. अघोरी बाबाओं की जीवनशैली काफी कठिन होती है. इनका स्वरूप भी दूसरे बाबाओं के मुकाबले काफी अलग और डरावना होता है.
एक बाबा को अघोरी का दर्जा तभी दिया जाता है, जब वह मन से प्रेम, नफरत, बदला, जलन आदि सभी तरह के भाव से मुक्त हो जाए.
कई लोग अघोरी बाबाओं को डरावना समझते हैं, लेकिन वास्तव में अघोरी बाबा डरावने नहीं होते हैं, बल्कि इनकी वेशभूषा डरावनी होती है. साथ ही ये बहुत ही सरल होते हैं और किसी भी चीज में भेदभाव नहीं करते हैं. कहा जाता है कि अघोरी बाबा लोगों या दुनिया की किसी भी चीज में कोई रुचि नहीं रखते हैं. इनकी अपनी अलग दुनिया होती है.
अघोरी बाबा इस धरती की हर चीज को भगवान शिव और मां काली का अंग मानते हैं. यही कारण है कि अघोरी बाबा के जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य भगवान शिव और मां काली को प्रसन्न कर के उनसे शक्तियां हासिल करना होता है. अघोरी बाबा, मां काली की पूजा भैरवी, बगलामुखी और धूमवती तीन स्वरूपों में
करते हैं. जबकि, भगवान शिव को वे भैरव, महाकाल और वीरभद्र के रूप में
पूजते हैं.
अघोरी बाबाओं का जीवन दूसरे संत-साधुओं के मुकाबले काफी विपरीत होता है, क्योंकि साधु संतों को मांस-मदिरा खाने की अनुमति नहीं होती है. जबकि, कहा जाता है कि अघोरी बाबा मृत मानव के मांस का सेवन करने के साथ-साथ उनके खून का सेवन भी करते हैं. गाय के मांस को छोड़कर वे हर जानवर के मांस का सेवन कर सकते हैं. उनके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं होती है.
अघोरी बाबा बनने वाले व्यक्ति को हर चीज के प्रति एक समान भावना रखने की शिक्षा दी जाती है, ताकि अघोरी बाबा अपने-पराए का फर्क किए बिना ही लोगों के भले के लिए अपनी विद्या इस्तेमाल कर सकें.
अघोरी बाबा अपनी ज्यादातर साधना श्मशान घाट में रहकर करते हैं. उनका मानना है कि अंधेरी रात में श्मशान में जलती हुई चिताओं और कंकालों के बीच बैठकर साधना करने से शीघ्र ही फल मिलता है. मान्यता है कि अघोरी बाबा श्मशान घाट में श्मशान साधना, शव साधना और शिव साधना करते हैं.
कहा जाता है कि अघोरी बाबा आम लोगों से दूरी बनाकर रहते हैं. स्वभाव से यह बाबा बहुत जिद्दी होते हैं और जल्दी किसी को आशीर्वाद भी नहीं देते हैं. लेकिन जिस व्यक्ति को इनका आशीर्वाद मिल जाए उसका जीवन सुखमय हो जाता है. यही कारण है कि कुंभ के मेले में अघोरी बाबा आकर्षण का केंद्र होते हैं.