क्यों IITs में हुई ह्यूमैनिटीज की एंट्री? आर्ट कोर्सेज ने छेड़ी लेफ्ट लिबरल एजेंडा पर नई बहस

IITs में ह्यूमैनिटीज और लिबरल आर्ट्स कोर्स पर बवाल मचा हुआ है! 'दक्षिण एशियाई पूंजीवाद' कार्यशाला के विवादास्पद पोस्टर ने IIT बॉम्बे को फंसाया, जहां नेताओं और सेना पर तंज कसे गए. वामपंथी एजेंडा का आरोप लगाते हुए आलोचक इन कोर्स को हटाने की मांग कर रहे हैं जबकि समर्थक कहते हैं यह शिक्षा को समृद्ध करता है. NEP 2020 और यश पाल कमेटी के सुझाव से बढ़े ये कोर्स अब विचारधारा की जंग का मैदान बन गए. क्या होगा फैसला?

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IIT बॉम्बे ने विवादास्पद पोस्टर पर कार्रवाई करते हुए संबंधित प्रोफेसरों से नाता तोड़ा. (Images: File/Social Media) IIT बॉम्बे ने विवादास्पद पोस्टर पर कार्रवाई करते हुए संबंधित प्रोफेसरों से नाता तोड़ा. (Images: File/Social Media)

सुशीम मुकुल

  • नई दिल्ली ,
  • 16 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST

आईआईटी बॉम्बे में 'South Asian Capitalism(s)' नाम के वर्कशॉप के एक पोस्टर ने बवाल खड़ा कर दिया. इस पोस्टर में भारतीय राजनीतिक नेतृत्व और सेना पर तंज कसते कार्टून थे. मामला इतना बढ़ा कि IIT बॉम्बे ने खुद को इससे अलग कर लिया और संबंधित फैकल्टी से नाता तोड़ लिया. लेकिन अब ये विवाद सिर्फ पोस्टर तक नहीं रहा, बल्कि इसने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, वो ये कि क्या टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स जैसे IIT में ह्यूमैनिटीज और लिबरल आर्ट्स की जगह है?

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विवाद कैसे शुरू हुआ?

UC बर्कले और यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स-एमहर्स्ट से जुड़ी इस वर्कशॉप में IIT बॉम्बे भी शामिल था. वर्कशॉप का पोस्टर "Pyramid of the Capitalist System" पर आधारित था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों के साथ लिखा था 'We Fool You'. वहीं सुरक्षा बलों को 'We Shoot You' कहा गया. इससे IIT बॉम्बे ने तुरंत सफाई दी कि उसे इस पोस्टर की जानकारी नहीं थी और उसने फैकल्टी से दूरी बना ली.

विवाद‍ित पोस्टर का स्क्रीनशॉट

कई लोगों का कहना है कि टैक्सपेयर्स के पैसे से चलने वाले IIT में 'लेफ्ट लिबरल एजेंडा' चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर आरोप लगे कि यहाँ बैठे-बिठाए नेताओं का मजाक उड़ाया जा रहा है और इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच कहकर बचाव किया जाता है. बता दें कि ये विवाद 2023 में IIT दिल्ली की प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी के बयान के बाद शुरू हुआ था, जब उन्होंने कहा था कि भविष्य का भारत जाति उत्पीड़न और हिंदू धर्म के बिना होगा.

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IITs में बहुविषयक बदलावों के आलोचकों का कहना है कि हाल के सालों में ये परेशानी बढ़ी है. IIT मद्रास में अम्बेडकर-पेरियार स्टडी सर्कल को लेकर टकराव हुआ, IIT बॉम्बे में CAA बहस पर प्रदर्शन हुए और IIT कानपुर में छात्रों ने फैज अहमद फैज का 'हम देखेंगे' पढ़ा, जिससे विवाद हुआ. आलोचकों का दावा है कि IITs, जो उत्कृष्टता के केंद्र हैं, अब विचारधारा के युद्धक्षेत्र बन गए हैं.

देखा जाए तो IITs में ह्यूमैनिटीज और कला नया नहीं है. शुरुआत में इन्हें इंजीनियरिंग छात्रों के लिए अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ाया जाता था लेकिन 2009 में यश पाल कमेटी और 2000 के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) ने इनका विस्तार सुझाया.

अब ये पूरे कोर्स के रूप में पढ़ाए जा रहे हैं, न कि सिर्फ इलेक्टिव के रूप में. आलोचकों का कहना है कि इससे तकनीकी संस्थान और सामान्य विश्वविद्यालय के बीच की लकीर धुंधली हो गई है. लेकिन पहले ये जानते हैं कि ह्यूमैनिटीज और कला IITs में कैसे और क्यों आए. इन्हें शामिल करने का क्या मकसद था और ये कैसे बढ़े कि अब कई IITs और IIMs में ये कोर्स मिलते हैं.

टॉप टेक यूनिवर्सिटीज में ह्यूमैनिटीज कोर्स

IITs में 1960 के दशक से ह्यूमैनिटीज और सोशल साइंस डिपार्टमेंट थे, जो इंजीनियरिंग छात्रों के लिए इलेक्टिव कोर्स देते थे. मकसद था कि इंजीनियरों को नैतिकता, संचार और सांस्कृतिक संदर्भ सिखाकर उन्हें समाज में तकनीक के प्रभाव को समझने लायक बनाया जाए. प्रारंभिक पाठ्यक्रम में अंग्रेजी साहित्य और अर्थशास्त्र शामिल थे, जो MIT जैसे मॉडल से प्रेरित थे, जहां ह्यूमैनिटीज तकनीकी पढ़ाई का हिस्सा है.

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दुनिया की टॉप टेक इंस्टीट्यूट्स जैसे MIT में इतिहास, मानवशास्त्र, भाषाविज्ञान, मीडिया आर्ट्स और दर्शनशास्त्र की डिग्री दी जाती है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में 27 डिपार्टमेंट और 20 अंतर-विषयक डिग्री हैं, जिसमें भाषा, साहित्य, कला, इतिहास और संगीत शामिल हैं. बीजिंग की त्सिंगहुआ यूनिवर्सिटी में कला, इतिहास, समाजशास्त्र और मार्क्सवाद के कोर्स हैं.

भारतीय टेक संस्थानों में ह्यूमैनिटीज, इलेक्टिव से डिग्री तक...

भारत में 2000 के दशक के अंत में वैश्विक ट्रेंड के चलते ह्यूमैनिटीज का विस्तार हुआ. साल 2006 में IIT मद्रास ने डेवलपमेंट स्टडीज में 5 साल का MA शुरू किया. अब IIT दिल्ली, बॉम्बे, कानपुर, गांधीनगर और हैदराबाद में संज्ञानात्मक विज्ञान, समाज और संस्कृति, डिजिटल ह्यूमैनिटीज में MA और MSc कोर्स हैं. IIT मंडी के MA कोर्स के लिए 400 से ज्यादा आवेदन 20 सीटों के लिए आए.

IIMs में भी ये विस्तार हुआ. IIM कोझिकोड ने 2020 में लिबरल स्टडीज और मैनेजमेंट में MBA शुरू किया और IIM बैंगलोर ने 4 साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स शुरू किया जिसमें लिबरल आर्ट्स का तड़का है. मकसद था कि जटिल समस्याओं के लिए कई नजरिए वाले नेता तैयार हों, जो नैतिकता के साथ बिजनेस समझ रखें. इससे ह्यूमैनिटीज में दाखिले बढ़े और IIT मद्रास के इंजीनियरिंग छात्र दर्शन, प्राचीन शास्त्र और पौराणिक कथाओं को चुनने लगे.

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सरकार की नीतियों ने IITs, IIMs को ह्यूमैनिटीज अपनाया. सरकारी नीतियों ने भी इसे बढ़ावा दिया ताकि भारत वैश्विक मानकों से मेल खाए. 2009 की यश पाल कमेटी ने सुझाया कि IITs और IIMs में ह्यूमैनिटीज, सोशल साइंस और कला शामिल हों. उसने कहा कि प्रोफेशनल संस्थानों को समग्र शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों से जुड़ना चाहिए.

साल 2018 में नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा कि IITs का कला और ह्यूमैनिटीज को शामिल करना खुशी की बात है, इससे इंजीनियरों का समग्र विकास होगा और संगीत, कला, वास्तुकला में नवाचार आएगा. NEP 2020 ने इसे और मजबूत किया, जिसमें सुझाया गया कि IITs में कला और ह्यूमैनिटीज शामिल हों ताकि 2035 तक उच्च शिक्षा में नामांकन 50% हो. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह सभी के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाएगा.

साल 2020 में IIM सम्बलपुर के डायरेक्टर महादेव जयस्वाल ने कहा कि IITs और IIMs छोटे होने के बावजूद टॉप 100 में नहीं हैं. बहुविषयक शिक्षा से ये बड़े होंगे और ज्यादा छात्रों को दाखिला मिलेगा.

जुलाई में IIT मद्रास ने कला और ह्यूमेन‍िटीज को बढ़ावा देने वाले NEP 2020 के तहत 15 अंतर-विषयक ड्यूल डिग्री प्रोग्राम शुरू किए

IITs में ह्यूमैनिटीज बहस, क्यों हो रही आलोचना

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आलोचकों का कहना है कि ह्यूमैनिटीज डिपार्टमेंट वामपंथी विचारधारा के अड्डे बन गए हैं और टैक्स पेयर्स के पैसे का गलत इस्तेमाल हो रहा है. कई लोग इन डिपार्टमेंट्स को IITs से अलग करने की मांग करते हैं. कॉलमिस्ट हर्षिल मेहता कहते हैं कि ये डिपार्टमेंट एक्टिविस्टों से भरे हैं जो इंजीनियरिंग छात्रों को एकतरफा नजरिया सिखाते हैं. कोयम्बटूर के एक कॉर्पोरेट कार्यकारी दीपन शनमुगासुंदरम ने कहा कि IITs और IIMs के ह्यूमैनिटीज फैकल्टी में ज्यादातर वामपंथी हैं. अगर PMO नहीं करेगी कार्रवाई, तो STEM में नवाचार भूल जाइए.

लेकिन EPC कार्यकारी SK कुमार ने कहा कि ह्यूमैनिटीज इंजीनियरों को समाज को समझने में मदद करता है, लेकिन अगर इसमें एजेंडा हो तो सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. संतुलित नजरिया ये है कि ह्यूमैनिटीज जरूरी है, लेकिन इसमें विचारधारा की विविधता होनी चाहिए. अध्ययन कहते हैं कि तकनीकी-ह्यूमैनिटीज का मेल नवाचार बढ़ाता है. IITs को तकनीकी बढ़त खोए बिना नैतिक नवप्रवर्तकों को तैयार करना चाहिए, न कि विचारधाराओं को.

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