अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और SEBI चीफ माधबी पुरी बुच के बीच कनेक्शन का दावा किया है. हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने इन आरोपों का खंडन किया है. लेकिन विपक्ष सेबी प्रमुख और केंद्र सरकार पर हमलावर है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर सेबी क्या है और यह कैसे काम करती है. सेबी प्रमुख की क्या भूमिकाएं होती हैं.
बाजार की 'निगरानी' करता है सेबी
बता दें कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत का प्रमुख नियामक संस्थान है, जो भारतीय शेयर बाजार और अन्य प्रतिभूति बाजारों की निगरानी और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है. SEBI का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, प्रतिभूतियों में व्यापार की पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित करना है. SEBI का गठन भारत सरकार द्वारा 12 अप्रैल 1988 में किया गया था. लेकिन, इसे कानूनी अधिकार और स्वायत्तता 30 जनवरी, 1992 में मिली. इसका मुख्यालय मुंबई में है. इसके क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में हैं.
सेबी अध्यक्ष को भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है. चेयरमैन सेबी का सबसे बड़ा अधिकारी होता है जो बोर्ड के सभी कार्यों और नीतियों के लिए जिम्मेदार होता है. सेबी चीफ के अलावा बोर्ड में 3 से 5 पूर्णकालिक सदस्य होते हैं. इनके पास वित्तीय बाजारों के विनियमन समेत कई जिम्मेदारियों होती हैं. इसके अलावा सेबी में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक से नामित दो सदस्य भी होते हैं.
जानें क्या है सेबी का काम
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय शेयर बाजार ने इतिहास रचा था. पहली बार बाजार 5 ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ था. तब उम्मीद जताई गई थी कि जल्द ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा शीर्ष बाजार बन जाएगा. SEBI का काम निवेशकों के हितों की रक्षा करना है. सेबी के पास नियम बनाने का अधिकार है. पूंजी बाजार में व्यापार से संबंधित हेर-फेर और धोखाधड़ी को रोकना भी इसके जिम्मे होता है. उन्हें लागू करने और अन्य विवादों का निपटारा करने का अधिकार है. सेबी का कार्य म्यूचुअल फंड्स सिक्योरिटी को रजिस्टर करना और उनकी एक्टिवि को ध्यान में रखना भी है. साथ ही नई कंपनियों की लिस्टिंग में भी सेबी की अहम भूमिका होती है.
Hindenburg ने क्या आरोप लगाए?
हिंडनबर्ग की ओर से शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में दावा करते हुए कहा गया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से खुलासा होता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला. इसमें दंपति का कुल निवेश 10 मिलियन डॉलर आंका गया है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से अडानी ग्रुप के एक निदेशक ने की थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है.
दंपति ने आरोपों का किया खंडन
बुच दंपति ने हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन किया है. बुच दंपति ने कहा कि उन्होंने 2015 में 360 वन एसेट एंड वेल्थ मैनेजमेंट (जो पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट थी) द्वारा प्रबंधित आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था. यह निवेश उनकी तरफ से माधबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में SEBI जॉइन करने से दो साल पहले तब किया गया था जब दोनों निजी नागरिक के रूप में सिंगापुर में रहते थे. बयान के अनुसार, इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा स्कूल और आईआईटी दिल्ली से धवल के बचपन के दोस्त हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3i ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी के रूप में उनके पास कई दशकों का मजबूत निवेश करियर था.
'हमारा जीवन खुली किताब'
आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार की सुबह-सुबह जारी एक बयान में कहा कि 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और इनमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है. हमें जो भी खुलासे करने की जरूरत थी, वो सारी जानकारियां बीते सालों में सेबी को दी गई हैं.
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