असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हम राज्य में मदरसों की संख्या कम करना चाहते हैं. हम मदरसों में सामान्य शिक्षा देना चाहते हैं और मदरसों में रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू करना चाहते हैं. हम इस पर मुस्लिम समुदाय के साथ काम कर रहे हैं और वे असम सरकार की मदद कर रहे हैं. दिसपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान असम के मुख्यमंत्री ने यह बात कही.
कुछ दिनों पहले भी मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि राज्य के मदरसों में पढ़ाने के लिए असम के बाहर से आए सभी शिक्षकों को समय-समय पर पास के पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा जा सकता है. इसको लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि भारत में कहीं भी काम करने, रहने और बसने का मौलिक अधिकार है.
ओवैसी ने असम सीएम के फैसले पर उठाए थे सवाल
ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि असम कोई विदेशी नहीं है, जहां भारतीयों को आपसे (हिमंत विस्वा सरमा से) अनुमति लेनी पड़े. हर किसी को भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का मौलिक अधिकार है. ओवैसी ने सवाल भी खड़े किए थे कि आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों के बारे में क्या? क्या होगा अगर अन्य राज्य असम के लोगों पर समान नियम थोपना शुरू कर दें?
मदरसों को लेकर सियासत
पिछले साल सितंबर महीने में असम में मदरसों को लेकर काफी राजनीति हुई थी. उस वक्त एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने मदरसे गिराए जाने को लेकर असम सरकार को घेरा था. तब असम के सीएम हिमंत बिस्वा शर्मा ने बयान दिया था कि अगर मदरसे में देश विरोधी गतिविधियां हुईं तो उनको ढहा दिया जाएगा. यह राजनीतिक बयानबाजी बोंगाईगांव जिले में मदरसे को गिराए जाने के बाद तेज हुई थी.
बता दें कि इस मदरसे पर जिहादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. मदरसे पर यह कार्रवाई भवन नियमों का उल्लंघन करने पर हुई थी.
पीएम मोदी ने चराइदेव मैदान को चुना
इसके अलावा शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि केंद्र सरकार ने अहोम साम्राज्य के चराइदेव मैदाम को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित करने के लिए यूनेस्को को एक प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है. देशभर के 52 अस्थायी स्थलों में से, पीएम मोदी ने असम के चराइदेव मैदान को चुना है.
aajtak.in