लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के नतीजे आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत गरमाई हुई है. राजनीतिक गलियारों में हर रोज नई सुर्खियां देखने को मिल रही हैं. एक तरफ दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है, तो दूसरी तरफ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी के लिए कमर कस ली है. सूबे की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी होने वाला है. ऐसे में आज यानी बुधवार को सीएम योगी ने मंत्रिमंडल की एक अहम बैठक बुलाई. इस मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी अपने मंत्रियों मुलाकात की. मीटिंग के बाद राज्य सरकार में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, "बैठक में विकास परियोजनाओं, बाढ़ की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई."
उपचुनाव से जुड़े सवाल पर स्वतंत्र देव ने कहा कि उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतनी हैं, इसलिए उस (विधानसभा उपचुनाव) पर भी चर्चा हुई. मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर होने वाली यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है.
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मीटिंग में कौन-कौन से नेता शामिल हुए?
इस मीटिंग में कटेहरी सीट के प्रभारी जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, सीसामऊ सीट के प्रभारी वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, मिल्कीपुर के प्रभारी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, करहल सीट के प्रभारी पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, फूलपुर के प्रभारी एमएसएमई मंत्री राकेश सचान और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, मझवां के प्रभारी श्रम मंत्री अनिल राजभर और संजय निषाद शामिल हुए.
वहीं, गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री सुनील शर्मा, मीरापुर के प्रभारी अनिल कुमार, राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, कुंदरकी के प्रभारी पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और खैर सीट के प्रभारी गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण सहित अन्य प्रभारी मंत्रियों को भी मीटिंग में बुलाया गया.
जेपी नड्डा से केशव प्रसाद की मुलाकात
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. पार्टी लोकसभा चुनावों में अपने खराब प्रदर्शन के बाद अपनी रणनीति पर काम कर रही है. बैठक के बाद नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय से बाहर निकलते वक्त केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से बात करने से परहेज किया. बता दें कि केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच के रिश्तों में खटास की चर्चा लंबे वक्त से चल रही है.
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"कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है..."
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इशारों-इशारों में ही कुछ बातें कह दीं. उन्होंने कहा, "संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है."
समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है. तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है. जनता के बारे में सोचनेवाला बीजेपी में कोई नहीं है.
दिल्ली में केशव प्रसाद मौर्य की मीटिंग और यूपी की सियासी हलचल से क्या कुछ निकलकर सामने आता है, इस पर सब की नजरें बनी हुई हैं.
'पूरी गंभीरता से लड़ेंगे उपचुनाव...'
यूपी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि बबूल के पास आम मिल गया है. आरक्षण का शगुफा काम कर गया, झूठ पर ज्यादा राजनीति नहीं हो सकती. जो 2019 में भी एसपी-बीएसपी का गठबंधन किसी काम का नहीं निकला, वो दोबारा नहीं चल पाएगा. हर चुनाव महत्वपूर्ण होता है. बीजेपी सभी चुनाव को गंभीरता से लेती है, उपचुनाव में हम पूरी गंभीरता से लड़ेंगे और इसे जीतेंगे.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खराब प्रदर्शन और सवालों के घेरे में CM योगी
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. बीजेपी, 2019 की 62 सीटों के मुकाबले इस बार सिर्फ 33 सीटें ही जीत सकी. सहयोगी दलों की बात करें तो आरएलडी ने दो और अपना दल को एक सीट पर जीत मिली. ऐसे में उत्तर प्रदेश में एनडीए 36 सीटें ही जीत सका जबकि समाजवादी पार्टी ने अकेले 37 सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया. लोकसभा चुनाव के इन नतीजों के बाद से ही सीएम योगी आलोचनाओं और हमलों के केंद्र में रहे हैं. यूपी बीजेपी का एक धड़ा सीएम योगी को टार्गेट करने की कोशिश करने लगा.
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यूपी उपचुनाव से पहले बीजेपी की बढ़ती चिंताएं
उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं और बीजेपी इन उपचुनावों में सभी 10 सीटें जीतने के टार्गेट की बात कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में यूपी में पिछले दो चुनावों के मुकाबले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है. इसी के आधार पर कांग्रेस यूपी विधानसभा उपचुनाव में 2 से 3 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. हालांकि, अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ है.
इसके अलावा, हाल ही में बीएसपी ने भी विधानसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया था. अगर बीएसपी उपचुनाव में हिस्सा लेती है, तो ये पहला मौका होगा, जब मायावती की पार्टी उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारेगी. इससे पहले बीएसपी उपचुनावों से खुद को दूर रखती थी.
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पिछले दिनों 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें सामने आए नतीजे, बीजेपी के लिए ये चिंता का विषय बन गए है. इसके साथ ही पार्टी पर मंडरा रहे अंदरूनी कलह के बादल अगर नहीं छंटे, तो बीजेपी की चिंता और ज्यादा बढ़ सकती है. दरअसल, यूपी में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उसके परिणामों का लिटमस टेस्ट अभी होने वाले उपचुनाव में हो जाएगा. अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि आज की मीटिंग में क्या होगा और आने वाले उपचुनाव में बीजेपी कैसा प्रदर्शन करती है.
अभिषेक मिश्रा