'दोनों पक्षों को गिरफ्तार करके उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जा रहा?' कथावाचक की पिटाई के मामले पर बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

इटावा की घटना पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'आज पहली बार जीवन में हमने यह दृश्य देखा कि कोई पिट करके आ रहा है और कोई उसका शॉल उड़ाकर सम्मान कर रहा है. कभी भी जो पिट करके आता है उसके संवेदना व्यक्त की जाती है कि अरे भाई तुम्हारे साथ गलत हुआ हम खड़े हैं तुमको न्याय दिलाएंगे.'

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जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज. (File Photo) जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज. (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

उत्तर प्रदेश के इटावा में इटावा में यादव समाज से आने वाले दो कथावाचकों की पिटाई का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. हालांकि उनके ऊपर खुद की जाति ब्राह्मण बताने का धोखा देने की FIR दर्ज हुई है. सवाल ये है कि क्या एक व्यक्तिगत मामले को सियासत में उलझाकर जातिगत लड़ाई की कोशिश हुई है या ये वाकई अधिकार का मसला है ? भेदभाव का मसला है ? इस पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की भी प्रतिक्रिया आई है. 

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आजतक से बात करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'आरक्षण का भी उद्देश्य यही था कि पूरा का पूरा जो समाज है वो अपनी जीविका के बारे में निश्चिंत रहे. ब्राह्मण के लिए अगर अध्ययन अध्यापन आदि कथा प्रवचन आदि आरक्षित किए गए थे तो इसका मतलब था कि ब्राह्मण दूसरे कामों में नहीं जाएगा. अब जब ब्राह्मण सब कामों में जा रहा है तो क्षत्रिय भी सब काम में जाएगा, वैश्य भी सब काम में जाएगा,शूद्र भी सब काम में जाएगा तो इसलिए ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो गई है, हमने जो बात कही वो हमारे शास्त्र की कही हमारी परंपराओं की कही आज भी उनको समाज में स्वीकार्यता है और उसी आधार पर हमने कहा.'

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समाज को करनी चाहिए पहल- अविमुक्तेश्वरानंद

जब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से सवाल किया गया कि आपकी नजर में क्या होना चाहिए क्या आपकी नजर में किसी भी जाति का व्यक्ति कथावाचक हो सकता है बात यह है कि हो सकता है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा,  'जो कह रहे हैं कि नहीं हमारे यहां ऐसी मर्यादा नहीं है हमारा शास्त्र ऐसे नहीं है हमारी परंपरा नहीं है उनको भी हम गलत नहीं कह सकते हैं. उनका भी पोषण होना चाहिए वो भी एक विचार है और उसके पीछे पर्याप्त बल है इसलिए ये दोनों में सामंजस्य बैठाने का प्रयास, इस समय जो भी नेतृत्व कर रहे लोग हैं समाज का उनको करना चाहिए.'

इटावा की घटना पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'आज पहली बार जीवन में हमने यह दृश्य देखा कि कोई पिट करके आ रहा है और कोई उसका शॉल उड़ाकर सम्मान कर रहा है. कभी भी जो पिट करके आता है उसके संवेदना व्यक्त की जाती है कि अरे भाई तुम्हारे साथ गलत हुआ हम खड़े हैं तुमको न्याय दिलाएंगे. ये सब कहा जाता है कि उसका अभिनंदन किया जाता है? यह हमने पहली बार जीवन में देखा कि ऐसा कहीं हो रहा हो तो वह जो कर रहे हैं वह जाने क्या कर रहे हैं. सवाल ये है कि इतनी बड़ी घटना घट गई है पूरे देश में कोलाहाल हो रहा है दोनों का अपराध बताया जा रहा है एक पक्ष कह रहा है कि ये हमारे साथ इन्होंने धोखा किया दूसरा पक्ष कह रहा है इन्होंने हमारा अपमान किया जाति का अपमान किया जो कि नहीं करना चाहिए था मारा पीटा उसमें भी यह भी सम्मिलित है तो दोनों पक्षों को गिरफ्तार करके उनके ऊपर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जा रहा.'

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आप स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का ये पूरा इंटरव्यू यहां देख सकते हैं-

 

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