स्वच्छ भारत मिशन से हर साल बच रही 70 हजार बच्चों की जान, रिसर्च में हुआ बड़ा दावा

साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्मित शौचालय तक पहुंच में वृद्धि और साल 2000 से 2020 तक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर पर गौर किया गया. रिजल्ट देखने पर ये पता चला कि औसतन जिला-स्तरीय शौचालय तक पहुंच होने से बच्चों की मौत के मामलों में कमी आई है.

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केंद्र सरकार ने 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी केंद्र सरकार ने 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST

भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों के निर्माण से हर साल लगभग 60,000-70,000 बच्चों की मौत को रोकने में मदद मिली है. दरअसल, अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं सहित एक टीम ने 20 वर्षों में 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 600 से अधिक जिलों को कवर करने वाले राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षणों का आंकलन किया. इसमें ये बात सामने आई है.

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पीटीआई के मुताबिक साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्मित शौचालय तक पहुंच में वृद्धि और साल 2000 से 2020 तक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर पर गौर किया गया. रिजल्ट देखने पर ये पता चला कि औसतन जिला-स्तरीय शौचालय तक पहुंच होने से बच्चों की मौत के मामलों में कमी आई है. 

रिसर्च के लेखकों ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत में शौचालय तक पहुंच और बच्चों में मृत्यु दर में विपरीत संबंध रहा है. उन्होंने आगे पाया कि किसी जिले में शौचालय कवरेज में 30 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि से शिशु और बच्चों की मृत्यु दर में पर्याप्त कमी आई है. लेखकों ने लिखा, "पूर्ण संख्या में यह कैलकुलेशन सालाना अनुमानित 60,000-70,000 शिशुओं की मृत्यु के बराबर होगा."

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उन्होंने कहा कि व्यापक राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम के बाद शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी के नए सबूत ने संभावित रूप से स्वच्छ भारत मिशन की परिवर्तनकारी भूमिका की ओर संकेत किया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्ष वैश्विक और दक्षिण एशियाई संदर्भों से प्राप्त साक्ष्यों के अनुरूप हैं, जिसमें सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्र किए गए जनसंख्या-स्तर के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले कई अध्ययनों से पता चलता है कि बेहतर स्वच्छता से बाल मृत्यु दर में संभावित रूप से 5-30 प्रतिशत की कमी आ सकती है. इसके अलावा शौचालयों के निर्माण होने से महिलाओं की सुरक्षा में भी बढ़ोतरी हुई है.

बता दें कि भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किए गए इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य देश की गलियों, सड़कों और बुनियादी ढांचे की सफाई करना है. अभियान का एक उद्देश्य सभी ग्रामीण घरों में शौचालयों तक पहुंच प्रदान करके गांवों में खुले में शौच की समस्या को दूर करना है. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के अनुसार, जुलाई 2024 तक, पिछले नौ वर्षों में ग्रामीण और शहरी भारत में लगभग 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं.

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