केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत को 'डेड इकोनॉमी' कहे जाने वाले नैरेटिव का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा कि भारत तेजी से आर्थिक मोर्चे पर प्रगति कर रह है और भारत की 'लॉन्ग लिव इकोनॉमी' है. 'डेड इकोनॉमी' शब्दावली अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूसे के अर्थव्यवस्था के लिए इस्तेमाल किया था.
शिवराज चौहान ने वित्त वर्ष 2026 के अप्रैल–जून तिमाही लिए आए जीडीपी आंकड़ों को भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमाण बताया है. इस तिमाही में भारत 7.8 फीसदी के साथ ग्रोथ कर रहा है.
उन्होंने कहा कि ये उपलब्धि सरकार की दूरदर्शी सोच, फैसले और नीतियों की स्ट्रॉन्ग इंप्लीटेशन का नतीजा है. जब नेतृत्व मज़बूत हो, नीतियां सटीक हों और फैसले दूरदर्शी होते हैं तो परिणाम इतिहास रचते हैं.
किसानों से लेकर वैज्ञानिकों तक का योगदान
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत के आर्थिक ग्रोथ में किसानों से लेकर वैज्ञानिकों तक का योगदान है. उन्होंने कहा, भारत की इस तरक्की के पीछे किसानों का पसीना, वैज्ञानिकों का दिमाग और 140 करोड़ देशवासियों की मेहनत की वजह से संभव है. कृषि क्षेत्र में भारत की ये तरक्की अभूतपूर्व है.
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में 3.7 फीसदी से ग्रोथ हो रहा है, ये किसानों की मेहनत और अपनाए गए इनोवेशन का नतीजा है. यह समय हमारे किसानों के लिए गर्व का है.
यह भी पढ़ें: रूसी तेल, अमेरिकी नाराजगी और ट्रंप के टैरिफ... भारत के समर्थन में उतरी अमेरिकन ज्यूइश कमेटी, दिया ये बड़ा बयान
आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर
शिवराज चौहान ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में व्यापार को लेकर अनिश्चितताएं हैं. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित राष्ट्र बनने की अपने लॉन्ग टर्म के प्लान पर काम कर रही है. भारत की आर्थिक तरक्की ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
अमेरिका के सामने तन कर खड़ा रहा भारत
अमेरिका ने बताया है कि भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है. इसके अलावा कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में अमेरिका को एंट्री नहीं दी, इसलिए ट्रंप ने कड़ा रुख अपनाया है. जुलाई महीने में SBI की आई एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत अमेरिका को डेयरी सेक्टर में एंट्री दे देता तो 8 करोड़ किसानों को बड़े स्तर पर इससे नुकसान पहुंचता.
पीयूष मिश्रा