कभी PM मोदी की तुलना शिवलिंग से लिपटे बिच्छू से की थी, अब केस बंद कराना चाहते हैं शशि थरूर

राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग वाली शशि थरूर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी है. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, 'इन सब चीजों को लेकर इतना भावुक क्यों होना?

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शशि थरूर और पीएम मोदी. (Photo: ITG) शशि थरूर और पीएम मोदी. (Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता शशि थरूर की उस याचिका का पर सुनवाई स्थगित कर दी है, जिसमें उन्होंने बीजेपी नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की थी. ये मामला थरूर के उस बयान से संबंधित है, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की तुलना शिवलिंग से लिपटे बिच्छू से की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बंद करने की सलाह देते हुए टिप्पणी की कि सार्वजनिक जीवन में लोगों को ऐसे बयानों पर संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है.

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जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, 'इन सब चीजों को लेकर इतना भावुक क्यों होना? आइए हम सब इन चीजों को बंद कर दें. एक तरह से प्रशासक और न्यायाधीश एक ही समूह में आते हैं. उनकी चमड़ी मोटी होती है, ऐसी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता.'

पीठ ने ये भी सवाल उठाया कि सार्वजनिक जीवन में लोगों को ऐसे बयानों पर इतना आपत्ति क्यों होती है. कोर्ट ने इस मामले को 'अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों' से कम प्राथमिकता वाला बताते हुए सुनवाई को अगले हफ्ते के लिए टाल दिया.

दिल्ली HC ने खारिज की अपील

दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 अगस्त को थरूर की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने मानहानि मामले को रद्द करने की मांग की थी.

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप घृणित और निंदनीय हैं और इससे पार्टी, उसके सदस्यों और उसके पदाधिकारियों की छवि पर असर पड़ता है. कोर्ट ने ये भी कहा कि पीएम मोदी, बीजेपी और आरएसएस को बदनाम करने के समान है.

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थरूर ने कहा कि ये उनका मूल बयान नहीं था और वह केवल एक अन्य व्यक्ति गोरधन झड़फिया को कोट कर रहे थे. और ये बयान पिछले कई सालों से सार्वजनिक है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद थरूर ने वकील अभिषेक जेबराज के जरिए से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

क्या है मामला

दरअसल, ये विवाद अक्टूबर 2018 में बेंगलुरु लिटरेचर फेस्टिवल में शशि थरूर के एक बयान से शुरू हुआ, जहां उन्होंने अपनी किताब 'द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर: नरेंद्र मोदी एंड हिज इंडिया' पर चर्चा के दौरान एक RSS नेता के हवाले से कहा था, 'मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह हैं, न तो आप उसे हाथ से हटा सकते हैं, न ही चप्पल से मार सकते हैं.'

बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने इस बयान को आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए नवंबर 2018 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में थरूर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया.

बब्बर ने दावा किया कि ये बयान न केवल प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करता है, बल्कि भगवान शिव के भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है. बीजेपी, RSS और उनके सदस्यों की छवि को नुकसान पहुंचाता है.

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