किसान आंदोलन 2.0 में हिस्सा लेने के लिए देश के प्रमुख किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) पर दबाव बढ़ रहा है. किसान संगठनों द्वारा 13 फरवरी को शुरू हुआ आंदोलन और उनके दिल्ली चलो आह्वान से संयुक्त किसान मोर्चा अब तक दूरी बनाए हुए है, लेकिन अब उस पर इस आंदोलन में शामिल होने का दबाव बढ़ रहा है.
क्या है संयुक्त किसान मोर्चा?
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) देश भर के किसान संगठनों का एक संगठन है. इसका गठन तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के मद्देनजर किया गया था. एसकेएम के ही नेतृत्व में देश भर के किसानों ने नवंबर 2020 और दिसंबर 2021 के बीच राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने लंबा आंदोलन किया था, जिसके बाद केंद्र सरकार को विवादित कृषि कानून वापस लेना पड़ा था.
बता दें कि किसान आंदोलन 2.0 या फिर किसानों के वर्तमान दिल्ली चलो आंदोलन का नेतृत्व एक नया समूह कर रहा है. इस बार आंदोलन का नेतृत्व एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा किया जा रहा है. लेकिन अब हरियाणा के शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस द्वारा लगातार की जा रही आंसू गैस की गोलाबारी एसकेएम को अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रही है.
एसकेएम पंजाब ने की आपातकालीन बैठक
एसकेएम की पंजाब इकाई, जिसमें पंजाब के लगभग 32 प्रमुख कृषि संगठन शामिल हैं, ने बुधवार (14 फरवरी) को जालंधर में एक आपातकालीन बैठक की. इस बैठक के बाद, एसकेएम पंजाब ने राज्य में सभी टोल प्लाजा को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे के बीच मुक्त करने का फैसला किया. इसके अलावा पंजाब का सबसे बड़ा कृषि संगठन भारतीय किसान यूनियन उगराहां को अपने कार्यकर्ताओं के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद इस संगठन का नेतृत्व एक्शन मोड में दिख रहा है. अब बीकेयू उगराहां ने 15 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही को बाधित करने का फैसला लिया.
संगठन का कहना है कि उसने यह फैसला हरियाणा पुलिस द्वारा ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागने एवं शंभू और खन्नौरी में किसानों पर हुई कथित कार्रवाई के विरोध में लिया है. बता दें कि यदि बीकेयू उगराहां औपचारिक रूप से मौजूदा किसान आंदोलन में शामिल होने का फैसला करता है तो और बड़ी संख्या में ट्रैक्टर और ट्रॉलियों के साथ किसानों का जत्था दिल्ली की ओर कूच कर सकता है.
इसके अलावा अब एसकेएम नेतृत्व ने एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहे किसानों पर खन्नौरी और शंभू सीमा पर हुई कथित कार्रवाई के मुद्दे को भी शामिल करने का फैसला किया है. उधर हरियाणा बीकेयू चढूनी ने पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर बनी स्थिति को देखते हुए इस पर रणनीति बनाने के लिए कुरुक्षेत्र में आपातकालीन बैठक की है.
पश्चिमी यूपी में भी चर्चा, टिकैत ने बुलाई पंचायत
उधर अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में बीकेयू टिकैत गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं की पंचायत बुलाई गई है. राकेश टिकैत ने यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के नेताओं को किसान आंदोलन 2.0 पर रणनीति बनाने के लिए 17 फरवरी को बुलाए गए पंचायत में शामिल होने का आग्रह किया है.
अमित भारद्वाज