Kothandarama Swamy Temple: जहां पहली बार श्री राम से मिले थे विभीषण, वहां पहुंचे पीएम मोदी, मंदिर में की पूजा अर्चना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के धनुषकोडी स्थित श्री कोदंडराम स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की. इसस पहले उन्होंने धनुषकोडी के पास अरिचल मुनाई का भी दौरा किया.अरिचल मुनाई के बारे में कहा जाता है कि है कि यहीं पर राम सेतु का निर्माण हुआ था.

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धनुषकोडी में श्री कोदंडराम  स्वामी मंदिर में पूजा करते हुए पीएम मोदी धनुषकोडी में श्री कोदंडराम स्वामी मंदिर में पूजा करते हुए पीएम मोदी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

अयोध्या में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पीएम मोदी बीते कुछ दिनो से लगातार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं. अपने दो दिवसीय दक्षिण भारत के दौरे के तहत पीएम मोदी आज धनुषकोडी के पास अरिचल मुनाई में पहुंचे. अरिचल मुनाई के बारे में कहा जाता है कि है कि यहीं पर राम सेतु का निर्माण हुआ था.

इसके बाद पीएम मोदी धनुषकोडी पहुंचे, जहां भगवान राम ने रावण को हराने की शपथ ली थी. यहीं से पवित्र मिट्टी लेकर वह लंका के लिए आगे बढ़े थे. इन यात्राओं का काफी महत्व है क्योंकि पीएम कल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जा रहे हैं.

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अरिचल मनाई में पीएम मोदी

धनुषकोडी मंदिर का महत्व
यह मंदिर श्री कोदंडराम स्वामी को समर्पित है. कोठंडाराम नाम का अर्थ धनुषधारी राम है. यह धनुषकोडी नामक स्थान पर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार श्री राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी. इसके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां श्री राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था.

शनिवार को पीएम मोदी श्रीरंगम और रामेश्वरम में क्रमशः श्री रंगनाथस्वामी और अरुल्मिगु रामनाथस्वामी मंदिरों का दौरा किया था. रामायण से जुड़े तमिलनाडु के मंदिरों का उनका दौरा सोमवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से ठीक पहले हो रहा है.

रामकथा में क्या है अरिचल मुनाई और श्री कोठंडारामा स्वामी मंदिर का महत्व

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रामकथा के मुताबिक, युद्ध शुरू होने से पहले रावण के भाई विभीषण ने रावण को समझाने की कोशिश की थी. विभीषण का कहना था कि रावण सीताजी को वापस लौटा दे और क्षमा मांग ले. विभीषण की इस बात को रावण ने राजद्रोह माना और उसे लात मारकर लंका से निकाल दिया.

इसके बाद विभीषण लंका से निकलकर सागर पार श्रीराम के शरण में पहुंचे थे, जहां उनकी भेंट पहली बार श्रीराम से हुई. श्रीराम का सागर किनारे जहां शिविर था, उसी के नजदीक एक स्थान से रामसेतु बनना शुरू हुआ था. यही स्थान आज अरिचल मुनाई पॉइंट कहलाता है. यह तमिलनाडु के धनुषकोडि जिले में है, वहीं जिस स्थान पर विभीषण श्रीराम से पहली बार मिलने आए और उनका राज्याभिषेक हुआ, आज वहां श्री कोदंडराम स्वामी मंदिर बना हुआ है.

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