NEET-UG पेपर लीक और धांधली का बिहार मॉड्यूल झारखंड से लेकर गुजरात और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है. पटना, हजारीबाग, गोधरा और लातूर के सेंटर जांच के दायरे में है. हजारीबाग का ओएसिस स्कूल को पेपर लीक का एपिसेंटर कहा जा रहा है. इस स्कूल की भूमिका पर बिहार की आर्थिक अपराध ईकाई (EOU) ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. ईओयू ने इसी सेंटर को पेपर लीक का सरगना माना है. सीबीआई ने पूरी जांच को टेकओवर कर लिया है. बुधवार को सीबीआई ने सबसे पहले ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल को हिरासत में लिया है.
दरअसल, बिहार इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट ने सीबीआई को 2 हजार पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें हजारीबाग के ओएसिस स्कूल की भूमिका को संदिग्ध बताया गया है. इसमें स्कूल के प्रधानाचार्य एहसानउलहक, स्कूल के अधीक्षक, एनटीए द्वारा स्कूल पर तैनात ऑब्जर्वर और ब्लू डार्ट कुरियर सर्विस का स्टाफ पर शक जताया है. ब्लू डार्ट कुरियर सर्विस को पेपर लाने और ले जाने की जिम्मेदारी दी गई थी. बिहार आर्थिक अपराध ईकाई ने अपनी जांच में हजारीबाग के ओएसिस स्कूल को ही पेपर लीक का केंद्र माना है. जांच रिपोर्ट में ईओयू ने कहा है कि इसी सेंटर पर बुकलेट बॉक्स के साथ छेड़छाड़ की गई थी.
पटना में गैंग के ठिकानों पर छापेमारी
EOU से रिपोर्ट मिलते ही सीबीआई ने पूरे की सीक्वेसिंग शुरू की. सीबीआई ने फर्स्ट एफआईआर दर्ज की. इसमें आठ आरोपियों को नामजद किया गया. 80 पेज की एफआईआर है. इसमें संजीव मुखिया, सिकंदर यादवेंदु, अमित आनंद, आयुष राज, नीतीश कुमार, रॉकी, अखिलेश और बिट्टू के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने सबसे पहले पटना में तीन ठिकानों पर दबिश दी. जांच एजेंसी सिकंदर यादवेंदु के फ्लैट पर पहुंची. उसके बाद लर्न एंड प्ले स्कूल और उसके बॉयज हॉस्टल में भी छापा मारा. NH गेस्ट हाउस में भी तलाशी ली गई. ये वो स्थान हैं, जिनका संबंध नीट पेपर लीक कांड के आरोपियों से है. पटना में खेमनीचक स्थित लर्न एंड प्ले स्कूल में संजीव मुखिया में स्टूडेंट्स को ठहराया था. आरोप है कि यहीं 35 छात्रों को बैठाकर प्रश्न पत्र के उत्तर रटवाए गए थे. अब सीबीआई का अगल कदम आरोपियों से सवाल-जवाब करना है. आरोपी जेल में बंद हैं, इसलिए कस्टडी में लिए जाने की कवायद भी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि सीबीआई को आरोपियों की जल्द कस्टडी मिल जाती है तो जांच भी आगे बढ़ती जाएगी और नीट पेपर लीक कांड का पूरा सच भी सामने आ जाएगा. सवाल 24 लाख छात्रों के भविष्य का है.
मुखिया गैंग में किसकी क्या भूमिका?
सीबीआई ने रविवार को एक प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच एजेंसी ने मंगलवार को अदालत में एफआईआर की एक कॉपी पेश की, जिसमें उन संदिग्धों की हिरासत की मांग की गई, जिन्हें पहले बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने सीबीआई को आगे की पूछताछ के लिए बलदेव कुमार उर्फ चिंटू और मुकेश कुमार को अपनी रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी. सूत्रों ने बताया कि बलदेव कुमार उर्फ चिंटू, संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया गिरोह से जुड़ा है. चिंटू को कथित तौर पर परीक्षा से एक दिन पहले मोबाइल फोन पर पीडीएफ फॉर्मेट में नीट-यूजी की सॉल्व की गई उत्तर पुस्तिका प्राप्त हुई थी. मुकेश भी गिरोह से जुड़ा है. सीबीआई कई अंतरराज्यीय पेपर लीक कराने के आरोपी मुखिया गिरोह के अन्य फरार सदस्यों को भी पकड़ने की कोशिश कर रही है. सूत्रों ने बताया कि जांच से पता चला कि बलदेव और उसके सहयोगियों ने 4 मई को पटना के राम कृष्ण नगर में एक सुरक्षित घर में प्रश्न पत्र रटवाने के लिए इकट्ठे हुए छात्रों को हल की गई उत्तर पुस्तिका बांटी थीं. परीक्षार्थियों को पहले से गिरफ्तार दो व्यक्तियों, नीतीश कुमार और अमित आनंद द्वारा वहां लाया गया था. जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि लीक हुआ NEET-UG प्रश्नपत्र मुखिया गिरोह ने झारखंड के हजारीबाग के एक निजी स्कूल से प्राप्त किया था.
संजीव मुखिया की गिरफ्तारी बनी चुनौती
हालांकि, मास्टरमाइंड संजीव मुखिया की गिरफ्तारी चुनौती बन गई है. वो पेपर लीक कांड में नाम आने के बाद लापता है. कहा जा रहा है कि वो फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट देकर नेपाल भाग गया है. उस तक सीबीआई कब पहुंचेगी? क्या वही मास्टरमाइंड है या तार उससे भी ऊपर जुड़े हैं, यह जांच में साफ हो सकेगा. सिकंदर के कहने पर सरकारी गेस्ट हाउस में कमरा दिलाने की सिफारिश करने के आरोपी प्रीतम की भी मुश्किलें बढ़नी तय है. प्रीतम तेजस्वी यादव के पीएस हैं.
जानकारों का कहना है कि जब तक संजीव मुखिया नहीं पकड़ा जाएगा, तब तक एक तार दूसरे तार से नहीं जुड़ पाएगा. कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं. हजारीबाग के जिस प्रोफेसर की चर्चा हो रही थी, वो कौन है? उस प्रोफेसर की अब तक पहचान क्यों नहीं हो पाई है? EOU भी उस तक नहीं पहुंच पाई है. इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड संजीव कुमार और संजीव मुखिया है, वो इस समय कहां छुपा है- कोई नहीं जानता है. संजीव मुखिया के बारे में कहा जाता है कि पेपर लीक गैंग का पुराना खिलाड़ी है.
तीन दिन की कस्टडी में हैं दोनों आरोपी
फिलहाल, सीबीआई ने चिंटू और मुकेश नाम के दो आरोपियों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. चिंटू वो सहयोगी है, जिसने पेपर लीक के बाद सॉल्वर्स गैंग तक प्रश्न पत्र पहुंचाए. सॉल्व पेपर्स को परीक्षार्थियों तक पहुंचाया था. तीन दिन की रिमांड में सीबीआई क्या-क्या जानकारी हासिल कर पाएगी, इस पर हर किसी की निगाह है.
हजारीबाग में क्या हुआ...
सीबीआई की टीम बुधवार को झारखंड के हजारीबाग पहुंची और ओएसिस स्कूल में पड़ताल की. वहां प्रिंसिपल एहसानुल हक से 4 घंटे तक पूछताछ की गई. उसे हिरासत में ले लिया है. सीबीआई की टीम अब चिंटू और एहसान उल हक के तार जोड़ेगी. यही वो स्कूल है, जहां नीट एग्जाम का सेंटर था. इससे पहले पूछताछ में प्रिंसिपल ने बताया था कि बॉक्स में पेपर आए थे. ऐसा लगा था कि उस बॉक्स में कुछ गड़बड़ है और उसमें छेड़छाड़ की गई है. प्रिंसिपल डॉ. एहसानुल हक हजारीबाग में नीट-यूजी परीक्षा के जिला समन्वयक थे. EOU ने इस स्कूल को संदिग्ध माना था. यही वजह है कि सीबीआई ने अपनी जांच में फिर से स्कूल पहुंचकर जांच को आगे बढ़ाया है. परीक्षा के दिन सेंटर पर मौजूद 4 इन्विजिलेटर, NTA के 2 ऑब्जर्वर, दो डिप्टी सुपरिटेंडेंट, स्कूल के प्रिंसिपल समेत 11 लोगो से पूछताछ हुई है. सीबीआई यह भी पता कर रही है कि स्कूल की भूमिका क्या है? प्रिंसिपल या टीचर पेपर लीक गैंग से मिले हुए तो नहीं हैं? पटना में एक अधजला पेपर जब्त हुआ था. उसमें ओएसिस स्कूल का सीरियल नंबर लिखा था. इसी के आधार पर जांच एजेंसी इस स्कूल तक पहुंची है. इसके अलावा, जांच एजेंसी हजारीबाग में उस बैंक भी गई, जहां नीट के प्रश्न पत्र रखे गए थे. कहा जा रहा है कि इस बैंक से स्कूल के बीच ही प्रश्न पत्र लीक हुए हैं. रांची में ब्लूड डार्ट कूरियर भी जांच के दायरे में है.
मंगलवार शाम को 12 सदस्यीय सीबीआई टीम हजारीबाग पहुंची थी. आठ सदस्यीय टीम ने बुधवार को स्कूल में छापा मारा था. टीम के बाकी सदस्य यहां भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य शाखा पहुंचे थे. बैंक के मैनेजर कथित तौर पर प्रश्न पत्रों के संरक्षक थे. बैंक में कथित तौर पर एक कूरियर सेवा संचालक ने ई-रिक्शा के जरिए प्रश्न पत्र भेजे थे. हालांकि, सीबीआई टीम ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे जांच रिपोर्ट अपने मुख्यालय को सौंपेंगे. वहीं, हक ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में हजारीबाग में प्रश्नपत्रों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से इनकार किया था और आरोपों को निराधार बताया था. ब्लूट डार्ट कुरियर के स्टाफ को भी CBI तलाश रही है. CBI ने ओएसिस स्कूल के सीसीटीवी का DVR भी जब्त किया है. जिस ई रिक्शा से बुकलेट बॉक्स भेजा गया था, उसके चालक की भी तलाश हो रही है.
इससे पहले बिहार पुलिस की ईओयू की तीन सदस्यीय जांच टीम ने 23 जून को स्कूल में छापा मारा था और परीक्षा के संचालन और प्रश्न पत्र बक्से के डिजिटल ताले खोलने की व्यवस्था के बारे में पूछताछ की थी. इससे पहले 21 जून को बिहार पुलिस ने पेपर लीक गड़बड़ी के सिलसिले में झारखंड के देवघर जिले में छापा मारा था और छह लोगों को हिरासत में लिया था.
लातूर में क्या हुआ था....
नीट-यूजी पेपर लीक मामले में महाराष्ट्र के लातूर में दो टीचर संजय तुकाराम जाधव और जलील उमरखान पठान गिरफ्तार किए गए हैं. ये टीचर परीक्षार्थियों को मेडिकल परीक्षा में पास कराने के नाम पर 5 लाख रुपये में सौदा करते थे. लातूर NEET की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र है. तुकाराम जाधव सोलापुर के एक जिला परिषद स्कूल में टीचर था. जबकि पठान काटपुर गांव के एक स्कूल में टीचर है. हेडमास्टर जलील पठान को सेवा से निलंबित कर दिया गया है. जिला परिषद एसीईओ ने कहा है कि पठान के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की जाएगी. आरोपियों से पूछताछ के बाद गिरोह के बारे में पता चला. दोनों पहले 50 हजार रुपये लेते थे. बाकी राशि परीक्षा में पास होने के बाद स्टूडेंट्स को देनी होती थी. अभ्यर्थियों के अग्रिम धनराशि भेजने के बाद उनके प्रवेश पत्र धाराशिव जिले के आईटीआई ट्रेनर इरन्ना मशनाजी कोंगलवार नामक व्यक्ति को सौंप दिए जाते थे. उसके बाद इरन्ना गिरोह के चौथे साथी दिल्ली में गंगाधर को एडमिट कार्ड भेजता था. अच्छे संपर्क वाले गंगाधर ने अभ्यर्थियों को नीट परीक्षा में पास कराया. इरन्ना और गंगाधर को पकड़ने के लिए लातूर पुलिस की दो टीमें दिल्ली और नांदेड़ भेजी गई हैं.
23 जून को लातूर के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में संजय जाधव, जलील पठान, इरन्ना और गंगाधर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. संजय जाधव और जलील पठान दोनों को 2 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. एटीएस को जानकारी मिली थी कि लातूर के दोनों शिक्षक जलील उमर खान पठान और संजय तुकाराम जाधव ऐसी गतिविधियों में शामिल थे और उनके आवासों पर छापेमारी की गई. जांच में उनके फोन पर परीक्षा हॉल टिकट और वित्तीय लेनदेन से संबंधित संदिग्ध मैसेज सामने आए हैं. जांच से पता चलता है कि जाधव ने हॉल टिकट का विवरण कोंगलवार को दिया, जिसने फिर उन्हें दिल्ली में गंगाधर को भेज दिया. गंगाधर पर पेपर लीक का मास्टरमाइंड होने का संदेह है. पुलिस के अनुसार, जाधव और पठान दोनों ने परीक्षार्थियों से NEET परीक्षा में उत्तीर्ण कराने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की. उन्होंने एडवांस के तौर पर 50,000 रुपये ले लिए थे और बाकी रकम परीक्षा पास करने के बाद परीक्षार्थी से ली जानी थी.
गोधरा भी पहुंची सीबीआई
नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई की एक टीम गुजरात के गोधरा भी पहुंची. यहां पुलिस ने अब तक एकत्रित किए गए सबूत जांच टीम को हैंडओवर किए. यहां से पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना था कि जांच टीम का सहयोग किया जाएगा. कई अहम सबूत हाथ लगे हैं. आने वाले दिनों में सीबीआई पांचों आरोपियों की ट्रांजिट रिमांड लेगी और उनसे पूछताछ करेगी. सॉल्वर गैंग का नेटवर्क सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कई राज्यों में गड़बड़ी को अंजाम दे रहे हैं.
दरअसल, गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा में 9 मई को एक स्कूल शिक्षक और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि इन्होंने 6 परीक्षार्थियों से 10 लाख रुपये में उनके पेपर हल करने का ठेका लिया था. एफआईआर के अनुसार, गोधरा के जय जलाराम स्कूल में नीट-यूजी परीक्षा का केंद्र था. इस स्कूल के रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब जिला कलेक्टर को सूचना मिली कि कुछ लोग परीक्षा में गड़बड़ी में शामिल हैं. पुलिस का कहना है कि फिजिक्स टीचर तुषार भट्ट को नीट-यूजी परीक्षा केंद्र में उपाधीक्षक बनाया गया था. इसके अलावा दो अन्य आरोपी परसुराम रॉय और आरिफ वोरा का नाम शामिल है.
यह भी पढ़ें: NEET पेपर लीक: जानें कैसे होती है नेटवर्क मैपिंग? जिससे CBI निकालेगी आरोपियों की कुंडली, खुलेंगे कई राज!
पुलिस ने बताया कि तुषार भट्ट की कार से 7 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं. ये पैसे वोरा ने उन्हें एक परीक्षार्थी को मेरिट सूची में लाने में मदद करने के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में दिए थे. आरोपियों और कुछ नीट-यूजी परीक्षार्थी के बीच बड़ी डील भी हुई थी. परीक्षार्थियों को उन प्रश्नों को खाली छोड़ने के लिए कहा गया था, जिनके उत्तर वे नहीं जानते थे. जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर गोधरा तालुका पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई.
परीक्षा के दिन जिला अतिरिक्त कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों की एक टीम स्कूल पहुंची और भट्ट से पूछताछ की. जब उसके मोबाइल फोन की जांच की तो 16 परीक्षार्थियों के नाम, रोल नंबर और उनके परीक्षा केंद्रों की एक सूची मिली. ये सूची सह आरोपी रॉय द्वारा भट्ट के व्हाट्सएप नंबर पर भेजी गई थी. सूची के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने कहा कि ये वे उम्मीदवार हैं, जिन्हें उनके केंद्र पर नीट परीक्षा देनी है. जिला शिक्षा अधिकारी किरीट पटेल ने कहा, भट्ट ने कबूल किया कि इनमें से 6 परीक्षार्थियों के प्रश्नपत्र हल करने के लिए उन्हें 10-10 लाख रुपये देने का वादा किया गया है.
तुषार भट्ट ने यह भी बताया कि एक परीक्षार्थी ने 7 लाख रुपये अग्रिम भुगतान किया है. जांच टीम ने शिक्षक का मोबाइल फोन, नकदी और उस कार को जब्त कर लिया, जिसमें नकदी बरामद की गई थी. उसके बाद जिला कलेक्टर को एक रिपोर्ट सौंपी गई. बाद में कलेक्टर ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. तीनों आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने कहा कि जिन परीक्षार्थियों ने पैसे देने का वादा किया था, उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे उन प्रश्नों को हल करें, जो वे जानते हैं. अन्य को खाली छोड़ दें ताकि परीक्षा के बाद जब उनसे पेपर एकत्र किए जाएं तो उन्हें उत्तरों से भरा जा सके.
गुजरात में कैसे पकड़ में आया रैकेट?
गुजरात पुलिस ने खुलासा किया है कि कैसे देशभर के करीब 30 छात्रों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए 10 लाख रुपये से 66 लाख रुपये के बीच भुगतान किया. अभ्यर्थियों की उत्तर-पुस्तिकाएं शिक्षकों से भरवाने के लिए पैसे लेने के आरोपी पांच लोगों को 13 जून को गिरफ्तार किया गया था. ये अभ्यर्थी हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक के रहने वाले हैं. इस घोटाला के तार कथित तौर पर वडोदरा स्थित कोचिंग क्लास रॉय ओवरसीज से भी जुड़े बताए जा रहे हैं. गोधरा के जय जलाराम स्कूल में गड़बड़ी की जा रही थी. ये स्कूल परवाडी गांव है. स्कूल के प्रिंसिपल पुरषोत्तम शर्मा और टीचर तुषार भट्ट हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 9 मई को प्राथमिकी दर्ज कराई थी. हालांकि, 11 जून तक मामले में कोई और खुलासा नहीं हुआ. बिहार में पेपर लीक और गोधरा में नकल के आरोप के बाद गुजरात पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें तुषार भट्ट, रॉय, शर्मा, शिक्षा सलाहकार विभोर आनंद और स्कूल शिक्षकों से जुड़े मध्यस्थ आरिफ वोहरा का नाम शामिल है.
कथित तौर पर रॉय ने अपने कोचिंग संस्थान के माध्यम से छात्रों को शामिल किया था. आनंद छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश भेजने के लिए एक कंसल्टेंसी चलाते हैं. वडोदरा के रहने वाले रॉय और विभोर आनंद बिहार के मूल निवासी हैं. योजना कथित तौर पर 30 छात्रों की मार्कशीट को संशोधित करने की थी. पुलिस ने 27 छात्रों की पहचान की है. पुलिस ने कथित तौर पर रॉय के कार्यालय से सात छात्रों द्वारा दिए गए 2.82 करोड़ रुपये के चेक बरामद किए हैं. जबकि चार छात्रों ने रॉय के बैंक खाते में 66 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे. माता-पिता के मोबाइल नंबर लिखे कुछ खाली चेक भी बरामद किए गए हैं. पुलिस का दावा है कि दूसरे राज्यों के छात्र रॉय और आनंद के संपर्क में थे और उन्हें परीक्षा देने के लिए गोधरा केंद्र चुनने की सलाह दी गई थी.
यह भी पढ़ें: NEET केस में CBI को अब 'बड़ी मछली' की तलाश, एक ही शख्स ने कई राज्यों में कराया पेपर लीक
नीट-यूजी का पेपर कैसे लीक हुआ?
आजतक ने अब तक की छानबीन के आधार पर ये जानकारी जुटाई है कि प्रश्न पत्र को 3 मई को NTA ने अपने अधिकारी की मौजूदगी में दिल्ली से रांची फ्लाइट के जरिए भेजा गया था. रांची एयरपोर्ट पर NTA कर्मचारी ने पेपर का बक्सा कूरियर कंपनी को सौंपा. यहां से कंपनी के ट्रक में इन बॉक्सों को हजारीबाग के कूरियर ऑफिस ले जाया गया. कूरियर कंपनी के ऑफिस से ई-रिक्शा के जरिए इन बक्सों SBI की ब्रांच भेजा गया. इस दौरान लीक का अंदेशा है. नीट पेपर लीक केस में सीबीआई ने देशभर में अपनी जांच शुरू की है. 20 दिन में 25 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं. कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
जानिए पूरा मामला
अब तक बिहार से 13, झारखंड और गुजरात से पांच-पांच और लातूर से दो आरोपियों की गिरफ्तारियां शामिल हैं. इससे पहले 2018, 2019 में भी केंद्रीय जांच एजेंसी ने पेपर लीक मामले में एफआईआर दर्ज की थी. अब 2024 में फिर पेपर लीक कांड सामने आने से सवाल उठने लगे हैं. एनटीए द्वारा 5 मई को नीट-यूजी परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था. नतीजे 4 जून को घोषित किए गए थे, लेकिन इसके बाद बिहार जैसे राज्यों में प्रश्न पत्र लीक के आरोप लगे थे और गड़बड़ियां सामने आई थीं. 1,500 से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क दिए गए थे. बाद में ग्रेस मार्क हटा दिए गए और दोबारा परीक्षा की पेशकश की गई. बढ़ते विवाद के बीच सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की. विशेष टीमें गुजरात और बिहार भेजी गईं, जहां पुलिस ने प्रश्नपत्र लीक के मामले दर्ज किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 8 जुलाई को सुनवाई
बिहार के अलावा झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में भी सीबीआई की जांच जारी है. 8 जुलाई को नीट पेपर लीक केस की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इस बात की बहुत संभावना है कि सीबीआई भी कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेगी और अब तक की जांच से कोर्ट को अवगत कराएगी. EOU की जांच टीम भी मौजूद रह सकती है. जरूरत पड़ी तो वो भी अपना पक्ष रख सकते हैं.
aajtak.in