आतंकियों से हमदर्दी रखने वालों को NHRC की फटकार, आयोग के अध्यक्ष बोले- उन्हें स्वतंत्रता सेनानी नहीं कह सकते

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं कहा जा सकता. आतंकी हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.

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जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्रा (फाइल फोटो) जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्रा (फाइल फोटो)

कमलजीत संधू / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST
  • NHRC को आज 28 साल पूरे हुए
  • कार्यक्रम को मोदी-शाह ने किया संबोधित

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्रा ने आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी बताने वालों को फटकार लगाई है. उनका कहना है कि आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं कह सकते. उनका कहना है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को आतंकी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए.

दरअसल, मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का 28वां स्थापना दिवस है. आयोग की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत आज ही के दिन यानी 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी. इस मौके पर एक खास कार्यक्रम भी हुआ. इस कार्यक्रम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी संबोधित किया.

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इस कार्यक्रम की शुरुआत में आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं कहा जा सकता. आतंकी हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी हिंसा की निंदा करनी चाहिए. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमें हर हाल में ऐसी हिंसा का विरोध करना होगा. उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से राजनीतिक और आतंकी हिंसा की घोर निंदा करने की अपील की.

उन्होंने ये भी कहा कि बाहरी ताकतें भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के झूठे आरोप लगाती रहती हैं, जो आजकल आम हो गया है, इसका विरोध होना चाहिए. उन्होंने कहा, भारत में सर्वधर्म समभाव की भावना है. भारत में सभी को मंदिर, मस्जिद और चर्च बनाने की आजादी है, लेकिन दुनिया के कई देशों में ऐसी आजादी नहीं है.

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मोदी बोले- मानवाधिकार हनन को सियासी चश्मे से न देखें

वहीं, इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा और घातक हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है. राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है. राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है. इस तरह का सिलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है जितना मानवता के लिए. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी में भारत 80 करोड़ गरीबों को डेढ़ साल से मुफ्त अनाज मुहैया करा रहा है.

पीएम मोदी ने कहा, मानवाधिकारों से जुड़ा एक और पक्ष है. हालिया वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं. ये व्याख्या वो अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं. एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता. ऐसा चश्मा और नजरिया उचित नहीं है. इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है.

शाह बोले- 7 साल में जो किया, 60 साल में नहीं हुआ

NHRC के कार्यक्रम को गृहमंत्री अमित शाह ने भी संबोधित किया. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि जो 7 साल में हुआ है, वो 60 साल में नहीं हुआ. शाह ने बताया कि पिछले 7 साल में 60 करोड़ से ज्यादा गरीब आबादी का ध्यान रखा गया है. उन्हें महसूस कराया गया कि कोई है जो उनकी चिंता करता है. 10 करोड़ महिलाओं को टॉयलेट उपलब्ध करवाए गए हैं, करीब 4 करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाई गई है.

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