भारत में प्राकृतिक आपदाओं का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2024 में भारत में 400 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं आईं जो पिछले दो दशकों में सबसे अधिक हैं और इस आपदाओं का सबसे बड़ा नुकसान लोगों के घरों को हुआ है. साथ ही ये आपदाएं लोगों को अस्थायी और स्थायी रूप से विस्थापित कर रही है.
जेनेवा स्थित इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में 1.18 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. ये आंकड़ा पिछले सालों की तुलना में 30% अधिक है. साल 2022 में लगभग 32,000 और 2021 में 22,000 लोग बेघर हुए थे.
चिंताजनक है प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ोतरी
प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या भी चिंताजनक है. साल 2019 से 2023 के बीच भारत में कुल 281 प्राकृतिक आपदाएं दर्ज की गईं थी, लेकिन केवल 2024 में ही 400 से अधिक घटनाएं सामने आईं हैं.
वहीं, पिछले छह सालों में बाढ़ के कारण 55% लोग आंतरिक रूप विस्थापन हुए, जबकि आंधी-तूफान के कारण 44% लोग विस्थापित हुए. इसके अलावा भूस्खलन, भूकंप और सूखे जैसी अन्य जलवायु-संबंधी आपदाओं ने भी हजारों लोगों को बेघर कर दिया.
छह महीनों में 1.6 लाख लोग बेघर
इसके इतर साल 2024 चिंताजनक था तो साल 2025 में हालात और भी बदतर हैं. इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर के अनुसार, 2025 के छह महीनों में ही पूरे भारत में 1.6 लाख से ज्यादा लोग प्राकृतिक आपदाओं के कारण बेघर हुए हैं.
सबसे ज्यादा प्रभावित है बंगाल
ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जहां 20 मई को मालदा के मथनाशिपुर में मिट्टी के कटाव के कारण लगभग 80,000 लोग विस्थापित हुए. जबकि राज्य में सिर्फ एक बड़ी बाढ़ की घटना दर्ज की गई थी.
वहीं, असम दूसरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां छह बाढ़ की घटनाओं में 42,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. इसी तरह त्रिपुरा में भी हालत गंभीर रहे, जहां 10 बाढ़ की घटनाओं में 21,000 से ज्यादा लोगों बेघर हो गए.
शुभम सिंह