एक खुराक LSD से घट सकती है Anxiety? नई रिसर्च पर डॉक्टर बोले- इसे ऐसे यूज न करें

LSD को अक्सर एक नशे की ड्रग समझा जाता है, लेकिन अब विज्ञान कह रहा है कि इसमें दिमाग को रीवायर करने और नई सोच बनाने की क्षमता है. अगर आने वाले ट्रायल्स भी ऐसे ही पॉजिटिव रहे तो Anxiety से जूझ रहे लाखों लोगों को रोज-रोज की दवाओं से छुटकारा मिल सकता है. 

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Research reveals how the brain learns to suppress instinctive fear responses, pointing to new potential targets for PTSD and anxiety treatments. (Photo: Getty) Research reveals how the brain learns to suppress instinctive fear responses, pointing to new potential targets for PTSD and anxiety treatments. (Photo: Getty)

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

एंजायटी यानी बेवजह की बेचैनी, लगातार टेंशन और दिमाग में चलती भाग-दौड़. अभी तक इसका इलाज दवाओं (जैसे SSRI एंटीडिप्रेसेंट्स) और थेरेपी से किया जाता है. लेकिन ऐसा देखा गया है कि कई मरीजों पर ये दवाएं असर नहीं करतीं. जिन पर असर करती भी हैं, उनमें भी कई बार साइड इफेक्ट्स इतने भारी पड़ते हैं कि लोग दवा छोड़ देते हैं.

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अब एक नई रिसर्च कह रही है कि LSD जैसी साइकेडेलिक ड्रग सिर्फ एक खुराक में ही Anxiety को कम कर सकती है वो भी लंबे समय तक. लेकिन वहीं, इस रिसर्च के प्रकाश‍ित होने के बाद मनोच‍िकित्सक इस पर सलाह दे रहे हैं कि कोई भी एलएलडी जैसे भारत में प्रतिबंध‍ित ड्रग को ट्राई न करें. ये र‍िसर्च अभी नई है और इसका कई स्तर पर ट्रायल बाकी है. आइए जानते हैं कि ये रिसर्च क्या है और इस पर डॉक्टर क्या कह रहे हैं. 

रिसर्च क्या कहती है

यह पहला मॉडर्न ट्रायल है जिसमें LSD को Generalised Anxiety Disorder (GAD) के इलाज के लिए टेस्ट किया गया. अमेरिका की कंपनी MindMed और वैज्ञानिक Dan Karlin की टीम ने 198 लोगों पर ये स्टडी की. प्रतिभागियों को धीरे-धीरे उनकी पुरानी दवाएं बंद कराई गईं और उन्हें पांच ग्रुप्स 25, 50, 100 और 200 माइक्रोग्राम LSD डोज और एक ग्रुप को placebo (नकली दवा) के ग्रुप में बांटा गया. 

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कैसे रहे नतीजे

एक दिन बाद ही 100 और 200 माइक्रोग्राम LSD लेने वालों की Anxiety कम होनी शुरू हो गई. एक महीने बाद 100 माइक्रोग्राम ग्रुप में Anxiety स्कोर में 21 पॉइंट की गिरावट दर्ज की गई. वहीं 200 माइक्रोग्राम ग्रुप में Anxiety स्कोर में 19 पॉइंट की गिरावट दर्ज की गई. 

तीन महीने तक ये सुधार बना रहा.

लगभग 46% लोग पूरी तरह से remission (बीमारी से बाहर) हो गए. वहीं, placebo और कम डोज वाले ग्रुप में सुधार तो हुआ, लेकिन वो केवल 14–17 पॉइंट तक ही रहा और सिर्फ 20% लोग ही remission तक पहुंचे.

साइड इफेक्ट्स क्या दिखे?

कुछ मरीजों को हल्की मतली और सिरदर्द हुआ. LSD लेने वाले ज्यादातर लोगों को यह समझ आ गया कि उन्होंने दवा ली है, placebo नहीं – क्योंकि उन्हें हल्के hallucinations और visual changes महसूस हुए. फिर भी गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे.

IHBAS सीनियर प्रोफेसर डॉ. ओमप्रकाश का कहना है कि रिसर्च में LSD जैसी साइकेडेलिक ड्रग्स को मेडिकल सुपरविजन और क्लिनिकल सेटिंग में परखा जा रहा है. इसका मतलब ये नहीं है कि आम लोग इसे खुद से इस्तेमाल कर सकते हैं. भारत में यह ड्रग्स पूरी तरह अवैध हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं. Anxiety या Depression जैसी समस्याओं के लिए हमारे पास पहले से ही कई वैज्ञानिक और सुरक्षित इलाज उपलब्ध हैं.

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क्यों है ये बड़ी खबर?

Anxiety का इलाज करने वाली मौजूदा दवाओं को असर दिखाने में हफ्तों–महीनों लगते हैं. लेकिन LSD सिर्फ एक खुराक में तेज और गहरा असर दिखा रही है. यही वजह है कि US FDA ने MindMed की LSD formulation को Breakthrough Therapy का दर्जा दिया है. इसका मतलब है कि आगे की क्लिनिकल ट्रायल्स और दवा की अप्रूवल प्रोसेस तेज़ी से चलेगी.

अभी बड़े ट्रायल होना बाकी

ध्यान रहे कि अभी ये नतीजे 3 महीने तक के लिए ही देखे गए हैं. रिसर्चर्स अब बड़े ट्रायल कर रहे हैं, जिनमें लंबे समय तक फॉलो-अप होगा. आने वाले सालों में शायद ये LSD मेडिसिन, Anxiety के लिए नया विकल्प बन सके.

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