शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को लोकसभा में भाषा का विवाद उठा. बिल पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंदी में भी बोला, जिस पर विवाद खड़ा हो गया. वित्तमंत्री 'हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल' पर चर्चाओं का जवाब दे रही थीं और इस दौरान वह बिल के लाभ संसद में पटल पर रख रही थीं.
उनके हिंदी बोलने को लेकर टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने जब अपनी बात की, तब पीठासीन जगदंबिका पाल को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- मैं बंगाली हूं, हम क्या हिंदी समझेंगे. निर्मलाजी ने भी हिंदी में बोला- मैं उनकी बात समझ नहीं पाया.
वित्त मंत्री ने दिया जवाब
इस पर जगदंबिका पाल ने सौगत से कहा कि सदन की कार्यवाही कई भाषाओं में उपलब्ध है. आप इसे देख सकते हैं. इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पहले ही बता चुके हैं. इसके बाद वित्तमंत्री ने भी जवाब देते हुए कहा कि वे तमिल में बोलें या हिंदी-अंग्रेजी में, माननीय सदस्य को दिक्कत क्या है. वित्तमंत्री ऑफिस की तरफ से इस विवाद का पूरा वीडियो सोशल मीडिया X पर शेयर किया गया.
इस दौरान, स्पीकर जगदंबिका पाल ने भी उन्हें रोकते हुए कहा-'आप बंगाली हैं, लेकिन आप हिंदी को लेकर इस तरह से बात नहीं कर सकते.' निर्मला सीतारमण ने कहा- मैं हिंदी में बोल सकती हूं, मैं तमिल में बोल सकती हूं, मैं तेलुगु में बोल सकती हूं, मैं इंग्लिश में बोल सकती हूं. माननीय सदस्य को इससे क्या फर्क पड़ता है? वह अपनी पसंद की किसी भी भाषा में ट्रांसलेशन करवा सकते हैं. यह सबकुछ बिल से ध्यान भटकाने की कोशिश है.
शताब्दी राय ने भी उठाया मुद्दा
वहीं शुक्रवार को पांचवें दिन की चर्चा के दौरान शून्यकाल में भी भाषा को लेकर हंगामा हुआ. हुआ यूं कि टीएमसी सांसद शताब्दी राय ने ओडिशा सरकार पर आरोप लगाया कि वहां बांग्ला बोलने वाले मजदूरों को बांग्लादेशी बताकर उनके साथ गलत बर्ताव किया जा रहा है. उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है और उन्हें 'बांग्लादेश भेजा जाए' ऐसा कहा जा रहा है. सांसद शताब्दी राय ने सवाल उठाया कि ऐसे कैसे किसी को सिर्फ बांग्ला बोलने के आधार पर बांग्लादेशी बता दिया जाएगा और उन्हें घुसपैठिया बोलकर देश से निकाला जाएगा.
अगर बांग्ला बोलने से बांग्लादेश चले जाना है तो हिंदी-उर्दू बोलने वाले पाकिस्तान चले जाएं. जीरो ऑवर के दौरान उन्होंने ओडिशा में एक व्यक्ति को डिपोर्ट करने का मुद्दा उठाया. जब समय खत्म होने पर उनका माइक बंद हुआ तो ड्रामा और बढ़ गया. शताब्दी रॉय और उनकी साथी सांसद महुआ मोइत्रा गुस्से में ट्रेजरी बेंच की तरफ दौड़ पड़ीं. वे बीजेपी सांसद जुगल किशोर की सीट पर जाकर उनके माइक में बोलने लगीं.
पीठासीन अधिकारी ने उन्हें अपनी सीट पर लौटने को कहा. बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने भी उन्हें समझाया. बाद में अपनी बात पूरी करते हुए शताब्दी रॉय ने विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि अगर बांग्ला बोलने वालों को बांग्लादेश भेजा जा सकता है. तो हिंदी और उर्दू बोलने वाले बीजेपी के लोगों को पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए. इस बयान के बाद सदन में फिर से शोर शराबा शुरू हो गया.
शताब्दी राय के इस सवाल और आरोप पर पुरी सांसद संबित पात्रा ने पलटवार करते हुए जवाब दिया. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि टीएमसी सांसद ने जो आरोप लगाए वह फैक्ट पर बिल्कुल नहीं हैं और गलत हैं. टीएमसी सांसद ने जो कहा वो बहुत गलत है. हम सबका साथ-सबका विकास की भावना को लेकर चलने वाले लोग हैं, लेकिन उन्होंने जिस तरीके से हिंदी-उर्दू बोलने वाले लोगों के लिए पाकिस्तान चले जाने की बात कही है वह बहुत गलत है.
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