जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को होंगी रिटायर, CJI ने बताया, 'महिलाओं के अधिकारों की प्रबल रक्षक'

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'जस्टिस कोहली के साथ बैठना बेहद खुशी की बात है. हमने बहुत गंभीर विचारों पर बातचीत और चर्चा की है. कई बार ऐसा हुआ है जब उन्होंने मेरा समर्थन किया. हिमा, आप न सिर्फ एक महिला न्यायाधीश हैं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की एक प्रबल रक्षक भी हैं.'

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जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को होंगी रिटायर जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को होंगी रिटायर

कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:21 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में तीन साल तक सेवा देने वाली जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को रिटायर होने वाली हैं. उन्हें 'कामकाजी महिलाओं के अधिकारों की प्रबल रक्षक' के रूप में जाना जाएगा. जस्टिस कोहली को 21 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था. इससे पहले उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से पदोन्नत करके तेलंगाना हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नत किया गया था. 

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'जस्टिस कोहली के साथ बैठना बेहद खुशी की बात है. हमने बहुत गंभीर विचारों पर बातचीत और चर्चा की है. कई बार ऐसा हुआ है जब उन्होंने मेरा समर्थन किया. हिमा, आप न सिर्फ एक महिला न्यायाधीश हैं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की एक प्रबल रक्षक भी हैं.'

2007 में बनीं स्थायी न्यायाधीश

उन्हें 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. वह 2007 में स्थायी न्यायाधीश बनी थीं. जस्टिस हिमा कोहली के पद छोड़ने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में केवल दो महिला न्यायाधीश- जस्टिस बीवी नागरत्ना और बेला एम त्रिवेदी ही बचेंगी. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है.

दिल्ली में पूरी की पढ़ाई

जस्टिस हिमा कोहली का बचपन दिल्ली में बीता. उन्होंने सेंट थॉमस स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद हिस्ट्री (ऑनर्स) में एमए की डिग्री हासिल की. उन्होंने 1984 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की.

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तीनों वकील जिनके साथ काम किया हाई कोर्ट के जज बने

जस्टिस कोहली ने 1984 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में एनरोलमेंट कराया और दिल्ली की अदालतों में वकालत शुरू की. इसके बाद उन्होंने सुनंदा भंडारे के चैंबर में काम किया, जिन्हें बाद में दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत किया गया था. इसके बाद उन्होंने वाई के सभरवाल और फिर विजेंद्र जैन का चैंबर जॉइन किया. दिलचस्प बात यह है कि तीनों ही वकील उनके साथ काम करते हुए ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने.

सुप्रीम कोर्ट का कार्यकाल

सर्वोच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 81 में से 37 जजमेंट लिखवाए. वह पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थीं, जिसने माना कि भारत में LGBTQI लोगों को शादी करने का मौलिक अधिकार नहीं है. जस्टिस कोहली ने एक विवाहित महिला को गर्भपात की अनुमति नहीं दी और एक मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर के ईमेल पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि भ्रूण के जीवित रहने की पूरी संभावना है. 
 

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