जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पहलगाम आतंकी हमले के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में हाशिम मूसा की पहचान हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम में 26 लोगों की हत्या के मास्टरमाइंड के रूप में पहचाने गए हाशिम मूसा ने पाकिस्तान में हाई लेवल पैरा-कमांडो की ट्रेनिंग ली थी, जिससे उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में प्रभावी रूप से मदद मिली.
माना जाता है कि मूसा की उम्र 20 साल के आसपास है और वह कथित तौर पर एक पूर्व सैनिक है, जिसने कठुआ और सांबा सेक्टर के ज़रिए भारतीय इलाके में घुसपैठ की थी.
कहां और कैसे मिली हाशिम मूसा को ट्रेनिंग?
घुसपैठ के बाद, वह राजौरी-पुंछ के डेरा की गली इलाके में एक्टिव हो गया, जहां उसके लश्कर-ए-तैयबा (LeT) मॉड्यूल पर पिछले साल सुरक्षा बलों पर कई हमलों की साजिश रचने का संदेह है. पाकिस्तानी पैरा-कमांडो, विशेष रूप से स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (SSG) द्वारा ट्रेन्ड, अपरंपरागत युद्ध, उत्तरजीविता रणनीति और पर्वतीय युद्ध में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं.
ट्रेनिंग में बड़े ऑपरेशन, निकट-क्षेत्र युद्ध (CQB), खतरनाक इलाकों में नेविगेशन और एडवांस बचाव तकनीकें शामिल हैं, जो सभी मूसा के ऑपरेशन में नजर आती है. सुरक्षा ग्रिड के सूत्रों के मुताबिक, जमीन पर ग्रुप का व्यवहार हाई लेवल की जंग के प्रति कठोरता और ट्रेनिंग की तरफ इशारा करता है. आतंकवादियों ने पुलिस और सेना के गश्ती दल को सफलतापूर्वक चकमा दिया है और लगातार ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी जंगलों से गुजरते हुए नागरिकों के संपर्क से बचते हुए आगे बढ़ते रहे हैं.
प्रोफेशनल मिलिट्री ट्रेनिंग का एक और इशारा पहलगाम हमले के दौरान एम4 कार्बाइन सहित एडवांस हथियारों का उपयोग है. इन हथियारों को संभालने और रखरखाव के लिए विशेष कौशल की जरूरत होती है, जो आमतौर पर औपचारिक मिलिट्री ट्रेनिंग के जरिए हासिल किया जाता है.
सूत्रों ने पुष्टि की है कि ग्रुप की कार्यप्रणाली से साफ तौर से पता चलता है कि संभवतः पाकिस्तान के स्पेशल फ्रोसेज से हाशिम मूसा को हाई लेवल ट्रेनिंग मिली थी, जिससे उसका नेटवर्क ज्यादा खतरनाक हो गया और उसे बेअसर करना कठिन हो गया.
कमलजीत संधू