भारत और मालदीव के बीच चल रहे राजनयिक विवाद के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की बयानबाजी पर दो टूक कहा है कि राजनीति तो राजनीति होती है.
महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि राजनीति तो राजनीति होती है और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि हर देश भारत को सपोर्ट करेगा.
उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में भारत ने अपार सफलता हासिल की है और दुनियाभर में अपने संबंधों को मजबूत किया है. लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बदलती राजनीति के साथ विदेशी देशों के लोगों के मन भारत को लेकर सद्भावना हो और वे हमारे साथ अच्छे संबंधों का महत्व समझ सकें.
दरअसल जयशंकर से मालदीव के साथ भारत के राजनयिक विवाद को लेकर पूछा गया था कि आखिर भारत यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि विदेशी सराकरों के रुख में बदलाव के बिना भारत के हित हमेशा सर्वोपरि रहें. इस पर जयशंकर ने कहा कि इसलिए कहा जाता है कि राजनीति तो राजनीति होती है. मैं इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश हमारा समर्थन करेगा या फिर हमसे सहमति जताएगा.
मुइज्जू ने चीन से लौटने पर क्या कहा था?
बता दें कि चीन की पांच दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटे मुइज्जू लगातार अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर निशाना साध रहे हैं. मुइज्जू ने भारत सरकार से 15 मार्च तक मालदीव में मौजूद अपने सभी सैनिकों को हटाने को भी कह दिया है.
मुइज्जू ने मालदीव लौटते ही दो टूक कह दिया है कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. उन्होंने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ है.
इसके बाद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने को कहा था. बता दें कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने पांच दिन के अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. उनका ये दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड किया गया. इस मामले को लेकर भारत और मालदीव दोनों देशों में राजनयिक विवाद बढ़ा हुआ है.
मुइज्जू का पहला चीन दौरा विवादों में क्यों था?
मुइज्जू का यह चीन का पहला राजकीय दौरा था. यह दौरा ऐसे समय पर हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप के दौरे की उनकी तस्वीरों को लेकर मालदीव के तीन मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर इस मामले ने तूल पकड़ लिया.
इस मामले के तूल पकड़ने पर मालदीव सरकार ने तीनों आरोपी मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया था. बाद में भारत में मालदीव के राजूदत को विदेश मंत्रालय ने तलब किया और इस मामले पर कड़ी आपत्ति जाहिर की. इस बीच दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बना हुआ है.
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो में करीब 75 भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी को हटाने का संकल्प लिया था. भारतीय सैनिकों की वापसी पर चर्चा के लिए भारत और मालदीव ने दोनों देशों ने एक कोर ग्रुप का गठन किया है. मुइज्जू का स्लोगन था 'इंडिया आउट'. उन्होंने मालदीव के 'इंडिया फर्स्ट पॉलिसी' में भी बदलाव करने की बात कही थी. जबकि भारत और चीन दोनों ही मालदीव में प्रभाव जमाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
क्या है विवाद
प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया हुआ है. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था.
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