इंडिगो का ऑपरेशनल संकट तीसरे दिन भी जारी है. कुल मिलाकर भारतीय विमानन उद्योग इन दिनों अपने सबसे बड़े संकटों में से एक से गुजर रहा है. इंडिगो को पायलटों के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है.
पिछले तीन दिनों में दिल्ली-बेंगलुरु सहित कई रूटों पर सैकड़ों उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. इससे हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं. शुक्रवार को भी हालात नहीं सुधरे. पूरे देश में करीब 600 उड़ानें रद्द रहीं. गुरुवार को अकेले 550 से ज्यादा फ्लाइटें कैंसिल हुई थीं, जबकि मंगलवार और बुधवार को मिलाकर 200 से अधिक उड़ानें नहीं उड़ सकीं. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर डीजीसीए ने एक नवंबर 2025 से नए FDTL नियम सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है.
जानिए इन नियमों में क्या-क्या बदला
रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच पायलटों की लैंडिंग की संख्या सीमित कर दी गई है
हफ्ते में आराम की अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गई है
नाइट ड्यूटी का समय बढ़ाया गया है
एक हफ्ते में नाइट लैंडिंग की संख्या छह से घटाकर सिर्फ दो कर दी गई है
छह साल पुरानी है ये कहानी
इस उथल-पुथल की जड़ 2019 में है. उस साल पायलट यूनियनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि 2019 में डीजीसीए ने जो नियम बनाए थे, वे पायलटों के लिए बहुत सख्त थे. उनमें लगातार दो रात उड़ान की इजाजत थी, आराम के घंटे कम थे और आपात स्थिति में पायलटों को ज्यादा इस्तेमाल करने की छूट थी.
8 जनवरी 2024 को डीजीसीए ने नए संशोधित नियम जारी किए और एयरलाइंस को एक जून 2024 तक इन्हें मानने की मोहलत दी. लेकिन एयरलाइंस ने कहा कि इतने पायलट हमारे पास नहीं हैं, नियम लागू हुए तो बहुत से विमान खड़े हो जाएंगे और किराया भी बढ़ेगा. इसके बाद डीजीसीए ने नियम टाल दिए और कंपनियों से नई समयसीमा मांगी.
पायलट यूनियन फिर चली गई कोर्ट
कंपनियों की दलील के बाद पायलट यूनियन फिर कोर्ट पहुंचीी. 20 फरवरी 2025 को डीजीसीए ने कोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि 22 में से 15 नियम एक जुलाई 2025 से और बाकी सात नियम एक नवंबर 2025 से लागू होंगे. 24 फरवरी 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने यही चरणबद्ध तरीका मंजूर कर लिया. कोर्ट ने कहा कि एक जुलाई 2025 से पायलटों का हफ्ते का आराम 48 घंटे करना जरूरी है और एक नवंबर 2025 से नाइट ड्यूटी का समय सुबह 6 बजे तक माना जाएगा तथा नाइट में सिर्फ दो लैंडिंग की इजाजत होगी.
छह साल तक चली इस कानूनी लड़ाई के बाद 7 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट ने डीजीसीए के लिखित वादे के आधार पर केस बंद कर दिया था. लेकिन 18 नवंबर 2025 को कोर्ट ने पायलट यूनियन से पूछा कि क्या उनके पास डीजीसीए की जानबूझकर अवज्ञा के पक्के सबूत हैं? दरअसल यूनियन का कहना था कि कोर्ट के आदेश और वादे के बावजूद डीजीसीए ने एयर इंडिया, स्पाइसजेट जैसी कई कंपनियों को नियमों से छूट दे रखी है. इस पूरे मामले से साफ है कि पायलटों की थकान और सुरक्षा से जुड़े नियमों को लागू करने में अभी काफी खींचतान बाकी है. अभी फिलहाल इसका पूरा खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
आलोक रंजन