बीते तीन-चार दिनों से देशभर में यातायात सर्विस बुरी तरह से प्रभावित हुए. सबसे ज्यादा असर इंडिगो एयरलाइंस पर पड़ा है. इस कंपनी का हवाई सफ़र में भारतीय बाज़ार में 60 फीसदी हिस्सेदारी है. नए नियमों के आने के बाद इंडिगो की व्यवस्था चरमरा गई और सैकड़ों फ्लाइट कैंसिल करना पड़ा या तो देर से चली.
सभी एयरलाइन्स का बुरा ही हाल है. लेकिन, इंडिगो क्योंकि बड़े मार्केट को कैप्चर किया है तो इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा. दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु हो या कोलकाता - सब जगह विमान रद्द किए गए, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी.
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एयरलाइन से जुड़े हालात पर विस्तृत ब्रीफिंग दी गई है. पीएमओ लगातार इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स से संवाद में है और एयरलाइन को साफ संदेश दिया गया है कि उड़ान व्यवस्था को जल्द से जल्द सामान्य किया जाए.
माना जा रहा है कि एल्बर्स ने सरकार से करीब दस दिनों की मोहलत मांगी है ताकि एविएशन नेटवर्क को फिर से स्थिर किया जा सके.
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, एयरलाइन को उन मामलों में पेनल्टी भुगतनी पड़ सकती है जहां नियामकीय ढिलाई, संचालन में गड़बड़ी या यात्रियों को नुकसान जैसी बातें सामने आई हैं.
वहीं, कंपनी प्रबंधन ने FDTL यानी फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट नियमों में कुछ अस्थायी राहत की मांग रखी है. उनका कहना है कि मौजूदा नियम बहुत कठोर हैं और इससे पायलटों की शिफ्ट प्लानिंग पर असर पड़ रहा है.
सरकार ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता यात्रियों की परेशानी खत्म करना और हवाई संचालन को स्थिर बनाना है. पीएमओ की निरंतर मॉनिटरिंग और संवाद से यह संकेत मिल रहा है कि स्थिति पर उच्चतम स्तर पर नजर बनी हुई है.
मंत्रालय स्तर पर भी विमानों की तैनाती और स्लॉट मैनेजमेंट की समीक्षा जारी है ताकि देशभर के एयरपोर्ट्स पर उड़ानों की रफ्तार सामान्य हो सके.
इंडिगो के वरिष्ठ अधिकारियों को आज शाम 6 बजे सिविल एविएशन मंत्रालय में तलब किया गया है. एयरलाइन के प्रदर्शन और यात्रियों की सुविधा को जांचने के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है.
इनपुट: चेतन भूटानी और हिमांशु मिश्रा
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