चुनावों में धारा-144 लागू करने पर SC में सुनवाई, कोर्ट ने कहा- आवेदक की अर्जी पर 3 दिन में फैसला करे प्राधिकरण

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गई है कि क्या जिला मजिस्ट्रेट एक नियमित मामले के रूप में चुनाव से पहले धारा 144 लागू कर सकते हैं? याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जब तक शांति भंग होने की आशंका न हो आप धारा 144 लागू करने का आदेश जारी नहीं कर सकते.

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सुप्रीम कोर्ट में धारा 144 लागू करने के लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई सुप्रीम कोर्ट में धारा 144 लागू करने के लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 6:48 PM IST

चुनावों के दौरान धारा 144 लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति चुनावों के बारे में मतदाताओं को शिक्षित करने जैसे मुद्दों के लिए लोकतंत्र यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन करता है, तो प्रशासन को ऐसे आवेदन दायर होने के 3 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गई है कि क्या जिला मजिस्ट्रेट एक नियमित मामले के रूप में चुनाव से पहले धारा 144 लागू कर सकते हैं? याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जब तक शांति भंग होने की आशंका न हो आप धारा 144 लागू करने का आदेश जारी नहीं कर सकते.

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दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल डे ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के बहाने मनमाने ढंग से धारा 144 नहीं लगाई जा सकती. याचिका में कहा गया है कि उन्होंने लोकतंत्र यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए राजस्थान चुनाव आयोग, मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार और अन्य अधिकारियों को कई पत्र लिखे हैं. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. 

याचिका मे कहा गया कि धारा-144 का उद्देश्य सार्वजनिक शांति बनाए रखने, अशांति को रोकने और युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए एक अस्थायी उपाय है. हालांकि चुनाव के दौरान धारा-144 का बार-बार और व्यापक उपयोग न केवल इसके उद्देश्यों के उलट, बल्कि बिना किसी डर या धमकी के वोट देने के अधिकार के प्रयोग में भी हस्तक्षेप करता है.

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने पीठ को यह भी बताया कि यह आदेश केवल रैली के लिए है, बारात और अन्य सभी कार्यक्रमों के लिए नहीं.  उन्होंने तर्क दिया कि हमने लोकतंत्र यात्रा के संबंध में अनुमति के लिए आवेदन किया है, ताकि मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर सकें. हमने अनुमति मांगी है लेकिन परमिशन नहीं मिली. साथ ही कहा कि प्रशासन को 48 घंटों के भीतर अनुमति के लिए आवेदन पर फैसला करना चाहिए.

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इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चुनाव के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए लोकतंत्र यात्राएं आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था. इस पर निर्णय नहीं लिया गया है. एक अंतरिम आदेश के माध्यम से हम निर्देश देते हैं कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा सक्षम अधिकारियों के पास कोई आवेदन किया जाता है, तो आवेदन के तीन दिनों के भीतर निर्णय लिया जाए, इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें.

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