भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 345 रजिस्टर्ड अनरिकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टीज (RUPPs) को डीलिस्ट कर दिया है, यानी सूची से हटा दिया है. आयोग ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि ये दल 2019 के बाद से कोई भी चुनाव नहीं लड़े हैं और इनके कार्यालयों का पता भी नहीं लगाया जा सका है. यह कदम RUPP व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और पंजीकरण के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है.
क्या हैं RUPPs?
RUPPs (रजिस्टर्ड अनरिकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टीज) यानी पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल वे दल होते हैं जो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड होते हैं लेकिन राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं होते. इन्हें मान्यता प्राप्त दलों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं, लेकिन कुछ फायदे जैसे कि चंदे पर टैक्स छूट जरूर हासिल होती है.
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क्यों हुई सूची से बाहर करने की कार्रवाई?
चुनाव आयोग ने पाया कि कई RUPPs न तो चुनावों में भाग ले रहे हैं और न ही सक्रिय रूप से किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल हैं. साथ ही, इन दलों के कार्यालयों का पता भी नहीं चल पाया, जिससे इनके अस्तित्व पर सवाल उठने लगे. ऐसे दलों का रजिस्ट्रेशन बरकरार रहना, टैक्स रिलीफ जैसे प्रावधानों के दुरुपयोग और अवैध गतिविधियों की संभावना को बढ़ाता है. इसीलिए आयोग ने इन्हें डीलिस्ट करने का फैसला किया है.
पहले से चला आ रहा पार्टी को डीलिस्ट करने का सिलसिला
इससे पहले सितंबर 2022 में भी आयोग ने इसी तरह की कार्रवाई की थी, जिसमें 86 गैर-मौजूद राजनीतिक दलों को डीलिस्ट किया गया था और 253 को निष्क्रिय घोषित किया गया था. यह चुनाव आयोग की RUPP व्यवस्था को दुरुस्त करने की एक निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है.
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डीलिस्टिंग का प्रभाव
अब इन 345 दलों को RUPP के रूप में कोई लाभ नहीं मिलेगा. इन्हें चंदे पर कर छूट जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी और चुनाव आयोग की मान्यता भी समाप्त हो गई है.
संजीव पालीवाल