'सक्रियता भी, विरोध भी... ये राजनीतिक दलों का दोहरा चरित्र', SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद चुनाव आयोग की टिप्पणी

चुनाव आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि आधार कार्ड केवल किसी व्यक्ति की पहचान साबित करता है, न कि किसी विशेष क्षेत्र में उसके निवास को. उन्होंने यह भी बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित करने के लिए पर्याप्त समय है और उसके बाद भी जिन लोगों का नाम उसमें नहीं होगा, वे 60 दिनों के भीतर आवेदन देकर अपना नाम जुड़वा सकते हैं.

Advertisement
चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल SIR प्रक्रिया पर दोहरा रवैया अपना रहे हैं (File Photo: PTI) चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल SIR प्रक्रिया पर दोहरा रवैया अपना रहे हैं (File Photo: PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया- स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने बताया कि याचिकाकर्ताओं के तमाम तर्कों के बावजूद अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग (ECI) ने पहली बार राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया है, जहां उनके बूथ लेवल एजेंट (BLA) जमीनी स्तर पर मतदाता सत्यापन में हिस्सा ले रहे हैं.

Advertisement

एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट ने आधार, राशन कार्ड और EPIC (मतदाता पहचान पत्र) जैसे दस्तावेजों को शामिल करने पर विचार करने का सुझाव दिया. हालांकि इस पर विचार करना चुनाव आयोग का काम है. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों की सूची पर्याप्त है. उन्होंने कोर्ट को ये भी बताया कि एक तरफ राजनीतिक दल अपने एजेंटों के माध्यम से S.I.R. प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं, दूसरी तरफ वे इसका सार्वजनिक रूप से विरोध भी कर रहे हैं. यह विरोधाभास मतदाताओं और अदालत दोनों के ध्यान में लाया गया है.

राकेश द्विवेदी ने यह तर्क भी दिया कि आधार कार्ड केवल किसी व्यक्ति की पहचान साबित करता है, न कि किसी विशेष क्षेत्र में उसके निवास को. उन्होंने यह भी बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित करने के लिए पर्याप्त समय है और उसके बाद भी जिन लोगों का नाम उसमें नहीं होगा, वे 60 दिनों के भीतर आवेदन देकर अपना नाम जुड़वा सकते हैं. यह प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायपूर्ण है.

वोटर लिस्ट में नाम न मिले तो क्या करें?

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि 1 जनवरी 2003 की वोटर लिस्ट SIR के आदेश जारी होने के साथ ही सार्वजनिक की जा चुकी है. मतदाता पहले उससे अपना मिलान कर लें. अगर नाम नहीं मिलता है तो अपने बूथ के बीएलओ से संपर्क कर सकते हैं या फिर फॉर्म डाउनलोड कर उसे समुचित प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ जमा कर दें.

Advertisement

ये प्रक्रिया पूरी करनी होगी

बिहार में चल रहे S.I.R. अभियान के दौरान 15 दिनों के भीतर ही 57.48 % इन्यूमरेशन फॉर्म जमा कराए जा चुके हैं.  24 जून 2025 के S.I.R. आदेश के 10वें पन्ने के दूसरे पैराग्राफ के अनुसार हर पात्र मतदाता जिनका नाम 24 जून 2025 की मतदाता सूची में दर्ज है, और अगर वो 25 जुलाई 2025 से पहले गणना फॉर्म भरकर देते हैं तो उनका नाम 01 अगस्त 2025 को जारी होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में अवश्य आएगा.

ERO की जांच के बाद ही हटेगा नाम

चुनाव आयोग ने कहा कि ड्राफ्ट सूची में जिनका नाम शामिल है, और अगर वे संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुरूप अयोग्य पाए जाते हैं, तो उनका नाम ERO की जांच के बाद ही हटाया जा सकता है. सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के सभी ज़िला अध्यक्ष भी SIR में सक्रिय भूमिका निभाते हुए जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं. S.I.R. प्रक्रिया में लगातार महत्त्वपूर्ण योगदान करने के लिए अब तक 1.5 लाख से ज्यादा कर्मठ बूथ लेवल एजेंट यानी  BLA राजनीतिक दलों ने नामित किए हैं.

4 लाख वॉलंटियर्स जमीनी स्तर पर जुटे

S.I.R. के सफल क्रियान्वयन के लिए 77,895 बीएलओ के साथ अतिरिक्त 20,630 नवनियुक्त बीएलओ भी काम में जुटे हैं. इनके अतिरिक्त CEO के साथ 38 DEOs, सभी 243 ACs के EROs और 963 AEROs मिलकर S.I.R. प्रक्रिया का लगातार गहन पर्यवेक्षण कर रहे हैं. बुजुगों, दिव्यांगों, बीमार और कमजोर लोगों को S.I.R. प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करने के लिए 4 लाख वॉलंटियर्स जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement