दिवाली के बाद खराब हुई दिल्ली-NCR की आब-ओ-हवा, पॉल्यूशन को लेकर आम लोगों में कितनी चिंता?

नोएडा में बढ़ते प्रदूषण और घटती हवा की गुणवत्ता के बीच दीवाली के बाद की सुबह लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण रही. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना नहीं नजर आ रही है.

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दिवाली पर दिल्ली-NCR की हवा खराब (तस्वीर: PTI) दिवाली पर दिल्ली-NCR की हवा खराब (तस्वीर: PTI)

भूपेन्द्र चौधरी

  • नई दिल्ली/नोएडा,
  • 01 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए दिवाली के मौके पर सरकार ने पटाखों पर बैन लगाया है, उसके बाद भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता देखा गया. पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली के अंदर बड़ी तादाद में पटाखे की खरीद फरोख्त होती है. इसके साथ ही दीपावली के दिन जमकर आतिशबाजी भी की जाती है, जिससे प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा खराब हो जाता है. सवाल तो यह खड़ा होता है कि प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में इतनी बड़ी मात्रा में पटाखे आते कैसे हैं. 

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इस मसले पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ लोगों का कहना है कि प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए, यह खुशी का मौका है खुशी का इजहार किया जाना चाहिए. वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि प्रदूषण को देखते हुए प्रतिबंध लगाना सही है लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है या गलत है.

'बैन के बावजूद कैसे जले पटाखे?'

दिल्ली के निवासी कमलेश कहते हैं कि मेरा इस पर एतराज है कि पटाखे नहीं चलने चाहिए. वैसे भी आजकल प्रदूषण है, पटाखों से और प्रदूषण होता है. उन्होंने साफ-साफ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार की कमी है. जब पटाखों पर प्रतिबंध लगा हुआ है, तो कैसे जलाए गए. साढे तीन बजे तक पटाखे जलाए जाते रहे, हमें सोने में मुश्किल हुई. जो लोग अस्थमा के मरीज हैं, उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है, इतना धुआं था कि गली से बाहर निकलना भी दुश्वार हो गया था.

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वहीं, मोहन भटनागर कहते हैं कि पटाखे की वजह से इतना ज्यादा पॉल्यूशन था कि हम अपने घरों में बैठ गए थे. पटाखे की आवाज तेज होने की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे हम यूक्रेन में बैठे हैं. कोई हरियाणा से पटाखे खरीद कर लाता है और कोई यूपी से खरीद कर लाता है. 

मोहन आगे बताते हैं, "मैं खुद एक दिल का मरीज हूं, मेरा बुरा हाल था. बाहर इतनी तेज पटाखे की आवाज थी कि हम अपने घर में कमरा बंद कर कर ही बैठे रहे." 

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'बुरा मानने की बात नहीं..'

सुभाष नाम के नागरिक ने कहा कि यह हमारा त्यौहार है, इसमें कोई बुरा मानने की बात नहीं है. अगर पटाखे चलते भी हैं, तो इसमें कोई एतराज नहीं होना चाहिए, अगर पटाखे नहीं चलेंगे तो कैसे पता चलेगा कि आज दिवाली का त्यौहार है.

ओम प्रकाश भारद्वाज कहते हैं कि पटाखे पर बैन लगना गलत बात है. हिंदू सनातन धर्म के लिए जब भी हमारे त्योहार आते हैं तभी सभी चीजों पर पाबंदी लगाई जाती है. बकरीद पर जब नालियों में खून बहता है और जगह-जगह मांस के ढेर लग जाते हैं, तब कोई पाबंदी नहीं लगती. आखिर हिंदुओं के त्योहार पर ही पाबंदी क्यों लगती है?

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आरके पुरम की मार्केट में मौजूद लोगों ने कहा कि पटाखों की वजह से दिल्ली में काफी ज्यादा प्रदूषण बढ़ा है. अगर पटाखे बैन हैं, तो दिल्ली में बिकते कहां है? इसमें भ्रष्टाचार है. दिल्ली में दवाइयां की दुकानों पर लोग सांस लेने की दवा और मास्क लेने के लिए आ रहे हैं.

नोएडा में भी बढ़ा प्रदूषण 

दिवाली के मौके पर दिल्ली के साथ ही नोएडा में भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई. रातभर आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में जा पहुंचा. सुबह होते ही आसमान में स्मॉग की मोटी परत छा गई, जिससे कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गई. नोएडा एक्सटेंशन सहित कई जगहों पर हवा दमघोंटू महसूस हो रही है.

सुबह के सात बजे के आस-पास नोएडा के तमाम हिस्सों में AQI 350 के ऊपर रहा. नोएडा एक्सटेंशन में AQI का स्तर 325 को पार कर गया, जबकि सैक्टर 62 में यह 355 के पार था. स्मॉग के चलते सड़कों पर विजिबिलिटी 500 मीटर तक सिमट गई है और कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

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प्रदूषण पर क्या कहते हैं नोएडा के नागरिक?

दिवाली के मौके पर बढ़े प्रदूषण के स्तर पर बात करते हुए नोएडा के रहने वाले कबीर का कहना है कि दिवाली पर पटाखे फोड़े गए हैं. पॉल्यूशन तो हर चीज से होता है, वो चाहे गाड़ी हो या पटाखे. त्यौहार पर पटाखे फोड़ना अगर समस्या है, तो त्यौहार का मजा कैसे लिया जाए?

सेक्टर 15 में रहने वाले सुमित कहते हैं, "पिछली बार दिवाली के बाद AQI 400 के पार था, इस बार उससे कम है. पटाखे तो जले हैं लेकिन त्यौहार है, कुछ हद तक पटाखे फोड़े जाएंगे ही. पॉल्यूशन का कारण सिर्फ पटाखे नहीं हैं, गाड़ियां और पराली जलाने से भी पॉल्यूशन होता है."

नोएडा में रहने वाले रमेश कहते हैं कि दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ेंगे तो कब फोड़ेंगे? ये त्यौहार है और पटाखे फोड़ने की परंपरा है. पॉल्यूशन तो होता ही रहता है.

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मौसम का प्रभाव और प्रदूषण की स्थिति

प्रदूषण की गंभीर स्थिति हवा के फैलाव और मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करती है. इस साल दिवाली पर हवा का प्रवाह बहुत कम रहा, जिससे प्रदूषण स्तर चिंताजनक हो गया. इसके साथ ही तापमान में गिरावट भी शुरू नहीं हुई है, जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में जमे रहे. दिल्ली में न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो औसत से 4.9 डिग्री ज्यादा है.

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नोएडा में बढ़ते प्रदूषण और घटती हवा की गुणवत्ता के बीच दीवाली के बाद की सुबह लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण रही. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना नहीं नजर आ रही है.

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(हरहित मिश्रा, अरदीप कुमार और अमरजीत सिंह के इनपुट के साथ)

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