देश के कई राज्यों में बिजली संकट को देखते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि सरकार बिजली उत्पादकों की कोयले की मांग को पूरा करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है और जोर देकर कहा कि जल्द ही सूखे ईंधन की आपूर्ति को बढ़ाकर 20 लाख टन करने को कदम उठाए जा रहे हैं.
केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि हमने अपनी आपूर्ति जारी रखी है, यहां तक कि बकाया के बावजूद भी हम आपूर्ति जारी रखे हुए हैं. हम उनसे (राज्यों से) स्टॉक बढ़ाने का भी अनुरोध कर रहे हैं. कोयले की कमी नहीं होगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कल हमने 1.94 मिलियन टन की आपूर्ति की जो घरेलू कोयले की अब तक की सबसे अधिक आपूर्ति है. जहां तक राज्यों का सवाल है, इस साल जून तक हमने उनसे स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध किया था, उनमें से कुछ ने कहा कि 'कृपया अभी कोयला मत भेजो.'
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कोयला उत्पाद में कमी का कारण बताते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि बारिश के कारण कोयले के उत्पादन में कमी हो गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 60 रुपये प्रति टन से 190 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई. इस वजह से आयातित कोयला बिजली संयंत्र या तो 15-20 दिनों के लिए बंद हो जाते हैं या बहुत कम उत्पादन होता. इससे घरेलू स्तर पर कोयले पर दबाव पड़ा.
3 हजार मेगावाट बिजली की कमीः महाराष्ट्र
इस बीच महाराष्ट्र के बिजली मंत्री नितिन राउत ने कहा कि मॉनसून में कोयले के खनन और उत्पादन पर खासा असर पड़ा है. अच्छी गुणवत्ता का कोयला नहीं मिल रहा. कोयले की कमी से 7 यूनिट बंद करने पड़ गए. राज्य में अभी 3 हजार मेगावाट बिजली की कमी है.
उन्होंने कहा कि कल सोमवार (11 अक्टूबर) को शाम 7 बजे पीक डिमांड के दौरान कोयले की कमी को देखते हुए हवा और हाइड्रो की मदद से 8819 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया गया था. फिलहाल राज्य के कुल 27 में से 7 इकाइयां बंद हैं. हमें जो कोयला मिल रहा है वह अच्छी गुणवत्ता का नहीं है.
राज्य के ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कोयले के दाम बढ़े हैं और इसलिए आयात कम हुआ है. मुझे इस बात का अंदाजा था कि मॉनसून शुरू होने पर जब हम बैठक करेंगे तो ऐसी स्थिति आ जाएगी. तब हमारे पास 3 महीने का स्टॉक था, लेकिन जब मॉनसून शुरू हुआ और बीच में ही रुक गया तो खपत बढ़ गई.
उन्होंने कहा, 'मैंने तब केंद्र से बात की है. आज सुबह भी इस पर केंद्रीय मंत्री से चर्चा की है. हमने हर उस खदान का दौरा किया जहां से हमें कोयला मिलता है. हम जहां से भी कर सकते थे, हमने सारी जानकारी ली. फिलहाल लोड शेडिंग हमारा कार्यक्रम नहीं है.
चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं जहां कोयले का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. चीन में भी कोयले का संकट खड़ा हो गया है और वहां इस संकट से निपटने के लिए फैक्ट्रियां और स्कूलों को बंद कर दिया गया है.
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