बिहार के कैबिनेट मंत्री नितिन नबीन प्रसाद सिन्हा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष घोषित करने के कुछ ही घंटों के भीतर, भाजपा ने सोमवार को उनके दिल्ली दौरे का कार्यक्रम तैयार कर दिया. वह दिल्ली रवाना होने से पहले पटना महावीर मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे. इसके बाद स्व. नबीन किशोर सिन्हा पार्क पहुंचकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देंगे. वह आज सुबह 10 बजे आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 पर पहुंचेंगे, जहां दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और राष्ट्रीय राजधानी के सातों बीजेपी सांसद उनका स्वागत करेंगे.
नितिन नबीन की यह नियुक्ति सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष प्रबंधन में हो रहे एक बड़े संगठनात्मक परिवर्तन का हिस्सा है. 1980 में पटना में जन्मे नबीन ने आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. साल 2006 में पटना पश्चिम सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए नितिन नबीन पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं, जो राज्य में भाजपा की सबसे मजबूत शहरी सीटों में से एक है. हाल में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की रेखा कुमारी क 51,000 से अधिक वोटों से हराया.
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नबीन की बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की शानदार जीत के एक महीने बाद हुई है. बिहार में भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी; जेडीयू 85 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नबीन को उनकी नियुक्ति पर बधाई दी है. उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'नितिन नबीन एक युवा और मेहनती नेता हैं, जिन्हें संगठन में काम करने का व्यापक अनुभव है. बिहार में विधायक और मंत्री के रूप में उनका कार्य बेहद प्रभावी रहा है, और उन्होंने जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम किया है. वह अपने विनम्र स्वभाव और जमीनी स्तर पर काम करने के लिए जाने जाते हैं.'
वर्तमान में नबीन बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सड़क निर्माण मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं. वह 45 वर्ष की आयु में, भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभालने वाले सबसे युवा नेता भी हैं. नितिन नबीन के पास लगभग दो दशकों का संगठनात्मक अनुभव है. वह बिहार में एबीवीपी से लेकर प्रमुख चुनावी जिम्मेदारियों को संभालने तक के सफर में आगे बढ़े हैं. उनकी राजनीतिक जड़ें काफी गहरी हैं. उनके पिता नबीन किशोर सिन्हा जनसंघ के नेता थे और बिहार में विधायक रहे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ चुनाव अभियान के दौरान नबीन का संगठनात्मक कौशल शीर्ष नेतृत्व की नजर में आया.
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