अमृतपाल आख़िर गया कहाँ? शनिवार को उसकी धड़पकड़ के लिए शुरू हुए पुलिसिया ऑपरेशन के 72 घण्टे बीत जाने के बाद भी ये सवाल, सवाल ही है. जवाब की जगह महज़ अफ़वाह हैं. क्या पुलिस कुछ छुपा रही है, अमृतपाल फ़रार भी हुआ तो कैसे, हुआ अगर तो गया कहाँ, किसी दूसरे राज्य या कोई और देश? इमाम सिंह खेरा, अमृतपाल सिंह के वकील हैं, उन्होंने आज इस मामले पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद कहा कि ये सम्भव ही नहीं और लोग गिरफ्तार हो जाएं और अमृतपाल सिंह न हो. हाईकोर्ट ने पुलिस के ऑपरेशन को इंटेलिजेंस फेलियर कहा और पूछा कि 80 हजार पुलिसकर्मी क्या कर रहे थे जो उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी? चार दिन बाद इस मामले में फिर एक बार सुनवाई होनी है.
उधर मुख्यमंत्री राज्य के भगवंत मान ने अमृतपाल के समर्थकों के पकड़े जाने पर कहा कि माहौल ख़राब करने की हर कोशिश नाकामयाब साबित होगी. लेकिन अपने तकरीबन 6 मिनट के संदेश में उन्होंने न तो अमृतपाल सिंह का ज़िक्र किया, न ही वारिस पंजाब दे संगठन का. एक और बात, पंजाब सरकार ने खालिस्तान समर्थक कई सोशल मीडिया अकाउंट्स को सस्पेंड किया है. इनमें संगरूर से सांसद सिमरनजीत सिंह मान का हैंडल भी है. जिन्होंने अमृतपाल के ख़िलाफ़ पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की थी.
वहीं पंजाब के कुछ इलाकों में इंटरनेट बहाल कर दिया गया है, लेकिन संवेदनशील इलाक़ों में पाबंदी 23 मार्च तक रहेगी. राज्य में कानून व्यवस्था की अभी स्थिति क्या है? अमृतपाल के फ़रार होने की ये जो बात हो रही है, करेंट लोकेशन को लेकर कुछ स्थिति साफ़ हुई है क्या? चूंकि बात इंटरनल सिक्योरिटी थ्रेट की है तो कई एक्सपर्ट्स कह रहे हैं इसमें केंद्र का दखल भी वाजिब है, क्या दिल्ली की तरफ से कुछ ठोस पहलकदमी दिखी? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
अब मॉस्को का रुख करते हैं. चाइनीज प्रेसीडेंट शी जिनपिंग रूस के दौरे पर हैं. ग्रैंड वेलकम मिला उन्हें कल रूस पहुँचने पर. राष्ट्रपति पुतिन से उनकी मुलाकात हुई कल. दौरे की टाइमिंग भी समझिए. रूस - यूक्रेन युद्ध के बाद चीनी राष्ट्रपति का ये पहला दौरा है. रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच चीन और ज्यादा रूस के करीब आया है. हाल ही में इंटरनेशनल कोर्ट ने पुतिन को यूक्रेन में छिड़ी जंग का दोषी भी ठहराया है. अब वेस्टर्न देशों और अमेरिका के खिलाफ पुतिन जो समर्थन का बेस तलाशना चाहते हैं, चीन उसमें अहम कड़ी है.
बीते सात बरसों में चीन और रूस के बीच का व्यापार जिस तरह से बढ़ा है, ये चीन और रूस के अच्छे संबंधों की गवाही देता है. 2015 में चीन से करीब 35 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट और 25 बिलियन डॉलर करने वाला रूस अब 75 बिलियन का इंपोर्ट और 115 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता है. जाहिर है ऐसे वक्त में पुतिन को शी जिनपिंग और चीन से बड़ी राहत है, तब जब दुनिया का आधे से अधिक हिस्सा उन्हे यूक्रेन में युद्ध के कारण दरकिनार कर चुका है.
कल अमेरिका का बयान आया चीनी राष्ट्रपति के मॉस्को दौरे पर. यूएस ने शी जिनपिंग से अपील की है कि वो युद्ध रोकने के लिए पुतिन से बात करें. मुमकिन है जिनपिंग और पुतिन के बीच इस बारे में बात हो. लेकिन जिनपिंग के इस दौरे की और क्या अहमियत है - आज दूसरे दिन क्या हुआ या क्या होने वाला है? दोनों देशों के संबंध बीते कुछ दिनों में जिस तरह से बदले हैं, जिस पर बात भी हो रही है, खास कर रूस के यूक्रेन में युद्ध छेड़ने के बाद, ये बदलाव किस तरह से दिखता है? भारत के लिए रूस और चीन की इस दोस्ती या कहूँ बढ़ती दोस्ती का मतलब क्या है, हमें किस तरह से देखना चाहिए इसे? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
क्या भारत सरकार इतिहास को नए सिरे से लिखवाएगी? पिछले महीने लोकसभा में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से ये सवाल पूछा गया था. प्रश्न था कि इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च यानी जो आईसीएचआर, जो शिक्षा मंत्रलाय ही के मातहत काम करती है, क्या वो इतिहास के पुनर्लेखन की कोई योजना बना रहा है? इस सवाल के जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नहीं, ऐसा कुछ नहीं है. बावज़ूद इसके एक तबका ये आरोप लगाता रहा है कि इतिहास बदला जा रहा है या इशारों इशारों ही में कम से कम बदलाव का एक प्रयास हो रहा है. आज Indian Council of Historical Research एक अहम बैठक थी. जिसमें भारत के विस्तृत इतिहास पर बात होनी थी. जब पहले से इतिहास के पुनर्लेखन को लेकर आलोचनाएं हो रही हैं. ऐसे माहौल में हुई आज की बैठक का एजेंडा क्या था और तय क्या हुआ, ICHR के मेम्बर्स शिक्षा के भगवाकरण वाले आरोप पर क्या कहते हैं? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
आज से करीब पांच साल पहले जनवरी 2018 को बैंक फ्रॉड की एक घटना सामने आई. हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी और नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक के 13,000 करोड़ रुपए ठगी करने का आरोप लगा. मगर इस घटना के सामने आने से पहले ही वो देश छोड़ कर भाग चुका था. हालांकि इस घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी. मामला सामने आया तो सीबीआई ने घोटाले में दोनों के ख़िलाफ चार्जशीट दाखिल की. दोनों को भारत लाने की उसे कोशिश भी की गई लेकिन सरकार नाकाम रही. हालांकि डोमिनिका में 51 दिनों तक वो जेल में रहा मगर फिर जुलाई 2021 में जमानत पर रिहा हो गया.
इन सब से इतर इंटरपोल ने 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया. तब से उसे भगोड़ा कहा जाने लगा मगर पांच साल बाद अब खेल पटल गया है क्योंकि मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ से हटा दिया गया है. चोकसी ने अपने खिलाफ रेड नोटिस जारी करने संबंधी सीबीआई के आवेदन को चुनौती दी थी और मामले को राजनीतिक साजिश का नतीजा करार दिया था. अब इस वाकये ने भारत सरकार पर भी कई सवाल खड़े किये हैं. सीबीआई से जवाब मांगे जा रहे हैं. मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ से हटाने के पीछे दलील क्या दी गई, भारत सरकार के प्लानिंग का अब क्या होगा, क्या सरकार वापस कोई एक्शन लेने की तैयारी में है? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
नितिन ठाकुर