अफगान के स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के 'लिटिल काबुल' में दुखी दिखाई दिए लोग, जानिए वजह

भारत में रहने वाले अफगानियों के लिए बीता दिन (19 अगस्त) काफी अहम माना जाता है, क्याोंकि इस दिन अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस होता है. हालांकि, गुरुवार को दिल्ली का लिटिल काबुल कहे जाने वाला इलाका कुछ अच्छा नहीं था. अफगानी काफी उदास थे और इसके पीछे की वजह अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा करना है.

Advertisement
प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST
  • दिल्ली में बड़ी संख्या में रहते हैं अफगानी
  • तालिबान के कब्जे के चलते दुखी हैं लोग

भारत में रहने वाले अफगानियों के लिए बीता दिन (19 अगस्त) काफी अहम माना जाता है, क्याोंकि इस दिन अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस होता है. हालांकि, गुरुवार को दिल्ली का लिटिल काबुल कहे जाने वाला इलाका कुछ अच्छा नहीं था. अफगानी काफी उदास थे और इसके पीछे की वजह अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा करना है.

अमेरिकी सैनिकों के वतन वापसी के कुछ ही समय बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया. इसके चलते, दिल्ली में रहने वाले अफगान के लोग काफी दुखी हैं. दिल्ली के लाजपत नगर, भोगल और हजरत निजामुद्दीन के इलाकों में रहने वाले अफगानों ने कहा कि इस बार का स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता की भावना के बारे में नहीं था, बल्कि तालिबान के कब्जे की वजह से वह काफी डरे हुए हैं.

Advertisement

23 साल की शरीफा आशुरी साल 2015 में काबुल से अपने पिता की मृत्यु के बाद दिल्ली चली गई थी. उसने कहा कि अफगानिस्तान में जो हो रहा है वह हमारे दिमाग पर भारी पड़ रहा है. लाजपत नगर के एक रेस्तरां में, जहां वह काम करती है, वह अपने देश की स्थिति के बारे में जानने के लिए सोशल मीडिया पर लगातार स्क्रॉल कर रहे हैं. उसके दोस्त भी लगातार सोशल मीडिया और टीवी के जरिए से ही तालिबान को सड़कों पर घूमते हुए देख रहे हैं.

आशूरी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बताया, ''मेरे पिता सेना में काम करते थे, लेकिन बाद में उनकी हत्या कर दी गई. मैं और मेरी मां परिवार के अन्य सदस्यों के साथ परवान प्रांत के हमारे गांव चले गए और फिर भारत चले आए क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं करते थे. हम भारत में सुरक्षित महसूस करते हैं.''

Advertisement

इलाके के ज्यादातर रेस्तरां में काम करने वाले अफगान नागरिकों के बीच उनके स्वतंत्रता दिवस की 102वीं वर्षगांठ के अवसर पर उदासी थी. लाजपत नगर में काबुल दिल्ली रेस्तरां मेहमानों से भरा रहता था और सबसे अच्छे अफगान व्यंजनों की पेशकश के लिए जाना जाता था, लेकिन दोपहर में काफी कम लोग मौजूद थे, जिन्हें चुपचाप खाते हुए देखा गया.

दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव को दिखाने के लिए भारत और अफगानिस्तान की राजधानी के नाम पर बना 17 साल पुराना रेस्तरां अफगान व्यंजनों के लिए काफी मशहूर है. इस रेस्तरां में हेरात की मस्जिद की एक तस्वीर दीवार पर लटकाई गई है. टीवी पर एक ड्रामा चल रहा है, लेकिन 19 अगस्त होने के बावजूद भी कोई विशेष मेन्यू नहीं रखा गया. लाजपत नगर के एक अन्य निवासी मोहम्मद शफीक, जो कि साल 2016 में काबुल से दिल्ली आ गए थे, कहते हैं कि तालिबानी कट्टरपंथी है और महिलाओं को शिक्षा व स्वतंत्रता नहीं देगा.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement