आज का दिनः तालिबानी काउंसिल में विरोधियों को जगह क्यों? पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह के पीछे कौन?

तालिबानी काउंसिल में विरोधी नेताओं को क्यों मिली जगह?, BRICS और G7 बैठक में अफ़गान मसले पर क्या चर्चा हुई? अमरिंदर के ख़िलाफ़ विधायकों के पीछे क्या काम कर रही सिद्धू की रणनीति? और पैरालंपिक में किन खिलाड़ियों से है पदक की उम्मीद? सुनिए आज तक रेडियो पर...

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अफगानिस्तान में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है. (फाइल फोटो-PTI) अफगानिस्तान में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है. (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज हम चर्चा करेंगे तालिबानी काउंसिल पर, जिसमें 12 सदस्यों को शामिल किया है. इस काउंसिल में विरोधी नेताओं को भी जगह मिली है, तो इसका कारण क्या है? चर्चा इस पर होगी कि मंगलवार को अफगानिस्तान मसले पर हुई ब्रिक्स और जी-7 की बैठक से क्या बातें निकलकर सामने आईं? वहीं, पंजाब में सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ एक बार फिर से बगावत शुरू हो गई है तो क्या इसके पीछे सिद्धू की भी कोई भूमिका है? 

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आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

1. तालिबानी काउंसिल में विरोधियों को जगह क्यों?

15 अगस्त को जब तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा किया तो ये बात बेमानी हो गयी कि अब अफ़ग़ानिस्तान के कितने प्रांतों पर तालिबान का कब्ज़ा है और कहाँ नहीं, सवाल ये पूछा जाने लगा कि अब आगे क्या? अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले ही देश छोड़ चुके थे, अफगानी लोग रेफ्यूजी का जीवन जीने को मजबूर हो रहे थे, दहशत की सुगबुगाहट थी, ऐसे में यह सवाल उठ रहा था की अब अफ़गानिस्तान की सत्ता किन तालिबान नेताओं के हाथ में आएगी और उनके एडमिनिस्ट्रेशन का स्वरूप क्या होगा? लिहाज़ा, नई सरकार बनाने को लेकर बातचीत जारी थी. 

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इसी कड़ी में, कल कुछ रिपोर्ट्स में, बताया गया था कि तालिबान ने देश को चलाने के लिए 12 सदस्यों वाली काउंसिल का गठन कर लिया है, जो अफगानिस्तान पर शासन करेगा. जिन 7 सदस्यों का नाम अब पब्लिक डोमेन में है, वे हैं - अब्दुल गनी बरादर, मुल्ला याकूब, खलील-उर-रहमान हक्कानी, डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला, हामिद करजई, हनीफ अतमार और गुलबुद्दीन हेकमतयार. इसमें से कौन से नाम अप्रत्याशित थे और तालिबानी तो ठीक मगर जिस तरह से नॉन तालिबानी लीडर्स को चुना गया है, उसको किस तरह देखा जाए?

2. अफगानिस्तान पर ब्रिक्स और जी-7 की बैठक में क्या हुआ?

दुनियाभर में अलग-अलग देशों और नेताओं के बीच में और बैठकें हो रही हैं. उसका केंद्र बिंदु है अफगानिस्तान, तालिबान और वहां फंसे लोग. तमाम मुल्क अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने की कोशिश में भी जुटे हैं. बैठकों की अगर बात करें तो कल ब्रिक्स औऱ जी 7 की ऑफिशियल मीटिंग्स हुई. वहीं कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक 23 अगस्त को तालिबान प्रमुख और अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी प्रमुख के काबुल में मुलाकात की खबरें भी आईं. इस मुलाकात के दुनिया भर में अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं. 

भारत मे भी अफगानिस्तान को ले कर सरकार के कन्सर्न हैं ही और कुछ ठोस की तलाश जारी है. इस बाबत सर्वदलीय बैठक कल यानी गुरुवार को 11 बजे होनी है, जिसमें अफगानिस्तान के मसले पर चर्चा की जाएगी. इसके पहले कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से अफ़गान मसले पर बातचीत की. बहरहाल, कल जो मीटिंग्स हुई, उसमें एक तो भारत के रीजनल ग्रुपिंग के हिसाब से देखें तो ब्रिक्स की बैठक और दूसरा वर्ल्ड पॉवर कंट्रीज जी7 की बैठक, दोनों बैठकों के एजेंडे क्या थे और क्या कुछ ठोस निकल पाया मीटिंग के बाद?

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3. पंजाब में बागी विधायकों के पीछे कौन?

पंजाब कांग्रेस के भीतरखाने का विरोध, पार्टी को दो खेमे में बांटता हुआ नज़र आ रहा है. एक खेमा तो कैप्टन अमरिंदर सिंह का है, और दूसरे खेमे में, अब उभरकर आये हैं कुछ मंत्री और विधायक जो उनकी सरकार में मंत्री भी हैं और कहा जा रहा है कि अब कैप्टन का विरोध कर रहे हैं और उनकी लीडरशिप पर सवाल उठा रहे हैं. 

इस कड़ी में, कल पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा के घर पर मुख्यमंत्री से नाराज़ विधायकों का जमावड़ा लगा. कहा गया कि ये सभी विधायक और मंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे और अपनी नाराज़गी उनके सामने रखेंगे. तो क्यों अचानक से ये सब? क्या ये पहले से नाराज़गी थी या अब एकाएक सामने आ रही है? और क्या ये कहानी विधायकों के लेवल की है या इसमें दूसरे किरदार भी शरीक हैं?

4. पैरालंपिक में किनसे मेडल की उम्मीद?

टोक्यो ओलंपिक 2020 में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भारतीय दल अब टोक्यो पैरालंपिक्स के लिए पूरी तरह तैयार है. भारत ने पैरालिंपिक्स के लिए अब तक के सबसे बड़े दल को टोक्यो भेजा है. इस बार 54 पैरा एथलीट टोक्यो में तिरंगे की शान को बढ़ाने के लिए मैदान में उतरेंगे जबकि इससे पिछली बार रियो पैरालिंपिक्स की बात की जाए तो भारत की ओर से महज 19 खिलाड़ियों का दल भेजा गया था जहां 4 मेडल भारत ने अपने नाम किये थे. 

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ऐसे में, इस बार टोक्यो ओलंपिक में खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद अब देश की नजरें पैरा एथलीट्स पर टिकी हुई हैं. तो इस बार 54 खिलाड़ियों के दल से कितने मेडल्स की उम्मीद की जा सकती है? और किन से?

25 अगस्त 2021 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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