RSS के सौ साल, महिला भागीदारी पर कली पुरी का बेबाक सवाल और संघ प्रमुख की सीधी प्रतिक्रिया

आरएसएस के शताब्दी समारोह से पहले दिल्ली में हुए एक बुक लॉन्चिंग कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के सामने सवाल उठाया कि क्या संघ नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है.

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दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी. (Photo: ITG) दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस में महिलाओं की भागीदारी को लेकर अक्सर बात होती है. सवाल भी उठते हैं कि क्या संघ नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है. आरएसएस के शताब्दी समारोह से पहले दिल्ली में हुए एक बुक लॉन्चिंग कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने यही सवाल संघ प्रमुख मोहन भागवत के सामने उठाया. एक दुर्लभ और बेबाक संवाद में, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस पर सीधी प्रतिक्रिया दी, जिससे देशभर में चर्चा का दौर शुरू हो गया और यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया.

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मौका था RSS के शताब्दी वर्ष की शुरुआत के लिए आयोजित एक औपचारिक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का, लेकिन जल्द ही ये एक राष्ट्रीय महत्व की घटना बन गया. खचाखच भरे ऑडिटोरियम में, एक सामान्य-से लगने वाले कार्यक्रम ने तब नया मोड़ ले लिया जब इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने अपने भाषण में RSS प्रमुख मोहन भागवत के सामने दो सुझाव रखे, जिसका संघ प्रमुख ने तुरंत जवाब दिया. एक दुर्लभ और विचारोत्तेजक संवाद.

कली पुरी ने संघ के शताब्दी रोडमैप की तारीफ की, जो पांच मूल स्तंभों पर आधारित है: सामाजिक समरसता, पारिवारिक जागरूकता, पर्यावरणीय चेतना, आत्मबोध और नागरिक जिम्मेदारी. फिर उन्होंने बातचीत को एक नए और साहसिक विचार की ओर मोड़ा. उन्होंने प्रगति को मापने के लिए एक नया पैमाना सुझाया: ‘ग्रॉस डोमेस्टिक बिहेवियर’ (सकल घरेलू व्यवहार). उनका तर्क था कि सिर्फ आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि नैतिक विकास भी जरूरी है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार देश के सामाजिक ढांचे की स्थिति चिंताजनक है. 

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इंडिया टुडे ग्रुप की एक्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने कहा कि मैं आरएसएस को दो सुझाव देना चाहूंगी क्योंकि वो अपने अगले सौ साल के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहे हैं. हमारे सकल घरेलू व्यवहार अध्ययन में ये निराशाजनक तथ्य निकलकर आया है कि लोग करप्शन को एक तरह से अपनी जीवनशैली के रूप में स्वीकार कर चुके हैं. एक राज्य में तो 94 फीसदी लोगों ने करप्शन को आम जीवन के लिए जरूरी बताया. 

फिर वो पल जिसने वैचारिक धार को समावेशिता की ओर बढ़ा दिया. कली पुरी ने एक महत्वपूर्ण और भविष्य की सोच से जुड़ा सवाल पूछा, कि क्या अगले 100 वर्षों के लिए RSS के दृष्टिकोण में महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में रखा जाएगा? उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव लाने के लिए ये जरूरी है.

उनका संदेश साफ था कि विकास का मतलब सिर्फ योजनाएं नहीं, बल्कि भागीदारी भी जरूरी है. मोहन भागवत जवाब देने में पीछे नहीं हटे. उन्होंने सीधे दिए गए सुझाव को स्वीकार किया और राष्ट्र सेविका समिति की भूमिका की ओर संकेत करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाएं पहले से ही महत्वपूर्ण चर्चाओं में योगदान दे रही हैं और उन्होंने यह भी समझाया कि कैसे।

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मोहन भागवत ने कहा कि हमारी जो कोर बॉ़डी रहती है, निर्णय करने वाली प्रतिनिधि सभा, उसमें विभिन्न संगठनों में काम करने वाली मातृशक्ति को बाकायदा निमंत्रण रहता है. वहां के सारे संवाद में उनका भी सहयोग रहता है. चर्चा में उनकी भी भागीदारी रहती है. निर्णय हम सबका सामूहिक रहता है. समाज में बाहर भी हम जो काम करते हैं, उसमें महिला-पुरुष मिलकर ही काम करते हैं. सेवा भारती की अध्यक्ष महिला हैं. ऐसे और भी संगठन हैं.  

एक साहसिक अपील और उसके जवाब में मिला एक उम्मीद भरा वादा जैसे-जैसे संघ अपने नए अध्याय में कदम बढ़ा रहा है, ध्यान केवल योजना पर नहीं बल्कि कार्रवाई पर भी है सिर्फ योजना नहीं, साझेदारी सिर्फ सपना नहीं, साथ चलने का मौका भी. संघ के शताब्दी वर्ष में संघ प्रमुख मोहन भागवत की अगुवाई में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन 26 अगस्त से 28 अगस्त तक दिल्ली के विज्ञान भवन में होगा.

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