पुणे लैंड डील: ED की चार्जशीट से खुलासा, एकनाथ खडसे ने मालिक से किया था मुआवजे का समझौता

एनसीपी नेता ने प्लॉट के पूर्व मालिक के कानूनी वारिसों के साथ समझौता किया था कि इसके लिए MIDC से उन्हें मुआवजा मिलेगा. यह खुलासा ईडी की चार्जशीट में हुआ है.

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 एकनाथ खडसे (फाइल फोटो) एकनाथ खडसे (फाइल फोटो)

दिव्येश सिंह

  • मुंबई,
  • 26 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:09 AM IST
  • पुणे लैंड डील केस में एनसीपी नेता एकनाथ खडसे रडार पर
  • ईडी की चार्जशीट में डील को लेकर कई अहम जानकारी

भाजपा से एनसीपी में शामिल हुए महाराष्ट्र के नेता एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे और दामाद गिरीश चौधरी प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर हैं. इसी बीच तीनों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल,  खडसे, उनकी पत्नी और दामाद ने पुणे में MIDC (महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन) प्लॉट की आधिकारिक बिक्री से एक महीने पहले इसके मालिक के कानूनी वारिसों से एक समझौता किया था. 

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एनसीपी नेता ने प्लॉट के पूर्व मालिक के कानूनी वारिसों के साथ समझौता किया था कि इसके लिए MIDC से उन्हें मुआवजा मिलेगा. यह खुलासा ईडी की चार्जशीट में हुआ है. इसके मुताबिक, 28 मार्च, 2016 को प्लॉट के पूर्व मालिक अब्बास उकानी के कानूनी वारिस एम हसनैन जोएब उकानी और मंदाकिनी खडसे, गिरीश चौधरी के बीच बिक्री के लिए एक समझौता किया गया था. 

रकम भी ट्रांसफर
जोएब उकानी समझौते के मुताबिक 50 लाख रुपये के आधार पर प्लॉट अविभाजित शेयर को ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो गए थे. गिरीश ने यह राशि जोएब के खाते में मार्च 2016 को ट्रांसफर की थी. ताकि MIDC से मुआवजे के रूप में 22.78 करोड़ रुपए की राशि उन्हें मिल सके. 
 
क्या लिखा है समझौते में?
आज तक को इस समझौते की कॉपी मिली है. इसमें लिखा है कि विक्रेता इस बात से सहमत है कि भूमि के अधिग्रहण के लिए एमआईडीसी या महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसी भी मुआवजे का भुगतान किए जाने की स्थिति, विक्रेता खरीददारों के पक्ष में मुआवजे में अपने सभी अधिकार और हित को इस स्पष्ट समझ के साथ त्याग देता है कि केवल क्रेता या उनके नामित व्यक्ति ही भूमि में अपने व्यक्तिगत हिस्से के मुताबिक मुआवजा प्राप्त करने के हकदार होंगे. विक्रेता भविष्य में मुआवजे की राशि पर कभी अपना दावा नहीं करेगा. 

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क्या है मामला? 
जांच के दौरान ईडी अधिकारियों को पता चला कि MIDC से जमीन का मुआवजा प्राप्त करने के उद्देश्य से एकनाथ खडसे ने 12 अप्रैल 2016 को एक मीटिंग बुलाई थी. उस वक्त खडसे उद्योग मंत्री थे, और उनके अधिकार क्षेत्र में ही MIDC आती थी. आरोप है कि खडसे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस जमीन को मालिक को वापस करने के लिए कहा गया है, जबकि उन्हें यह पता था कि जमीन वापस नहीं की जा सकती, क्योंकि इस पर कई कंपनियां पहले से मौजूद हैं. इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर जमीन वापस नहीं दी जा सकती, तो भूमि अधिग्रहण अधिनियम के मुताबिक, भूमि मालिक को मुआवजा दें. 

ईडी की जांच से पता चलता है कि इस तथ्य को जानने के बावजूद कि जमीन एमआईडीसी के कब्जे में थी, दिवंगत अब्बास उकानी से जमीन खरीदने की प्रक्रिया मंदाकिनी खडसे और गिरीश चौधरी ने शुरू की. जमीन की बिक्री 3.75 करोड़ रुपए में हुई थी, जबकि उस वक्त जमीन की कीमत 22.83 करोड़ रुपये थी.

3 सितंबर को ईडी ने दाखिल की चार्जशीट
ईडी ने इस मामले में 3 सितंबर को चार्जशीट दाखिल की है. इसमें एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे और रविंद्र मुले और Benchmark Buildcon PVT Ltd को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में 7 जुलाई को गिरीश चौधरी को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने इस मामले में 5.73 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है. 

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