पुणे के रहने वाले 58 वर्षीय व्यापारी कौस्तुभ गनबोटे ने जिंदगीभर मेहनत कर नमकीन का कारोबार खड़ा किया. जिंदगी की भागदौड़ से कुछ पल सुकून के बिताने के लिए उन्होंने पहली बार अपने जीवन में पुणे से बाहर कश्मीर की वादियों में जाने का फैसला किया. पत्नी संगीता और करीबी मित्र संतोष जगदाले के परिवार के साथ पहलगाम की यात्रा पर निकले थे, लेकिन यह यात्रा उनकी आखिरी साबित हुई.
मंगलवार को हुए आतंकी हमले में कौस्तुभ गनबोटे और उनके मित्र संतोष जगदाले की गोली लगने से मौत हो गई. दोनों की पत्नियां और संतोष की बेटी असावरी किसी तरह बच गईं, लेकिन इस हादसे ने दो परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया.
कौस्तुभ के बचपन के दोस्त सुनील मोरे बताते हैं कि कौस्तुभ ने जीवन में कभी इतनी लंबी छुट्टी नहीं ली थी. आठ दिन पहले ही उन्होंने मुझे बताया था कि वे कश्मीर जा रहे हैं, बहुत उत्साहित थे. यह पहली बार था, जब वे पत्नी के साथ शहर से बाहर जा रहे थे.
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रास्ता पेठ की संकरी गलियों में रहने वाले कौस्तुभ हाल ही में कोंढवा-सासवद रोड पर नए घर में शिफ्ट हुए थे, जहां उनका फैक्ट्री भी था. कुछ समय पहले ही वे दादा बने थे, और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बाद जिंदगी को कुछ देर ठहराकर जीना चाहते थे.
सुनील मोरे ने याद करते हुए बताया कि बीस साल पहले एक टेंपो एक्सीडेंट में उन्हें बुरी तरह चोटें आई थीं. वे कहते थे कि उन्हें दूसरी जिंदगी मिली है, लेकिन आतंकवाद ने वह भी छीन ली.
संतोष जगदाले, जो पेशे से इंटीरियर डिजाइनर थे, वे कौस्तुभ के सिर्फ दोस्त ही नहीं, बल्कि उनके व्यापार में मार्केटिंग में भी मदद करते थे. संगीत के शौकीन संतोष हारमोनियम भी बजाते थे. गुरुवार की सुबह करीब 5:30 बजे दोनों के पार्थिव शरीर पुणे एयरपोर्ट पर लाए गए, जहां केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ भी मौजूद थे. अंतिम दर्शन के लिए शवों को उनके घरों पर रखा गया, इसके बाद सुबह 9 बजे वैकुंठ स्मशानभूमि में अंतिम संस्कार किया गया.
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