पुणे लैंड डील: पार्थ पवार को जमीन बेचने वाली शीतल तेजवानी से 5 घंटे लंबी पूछताछ, सौंपे नए डॉक्यूमेंट्स

तेजवानी पर आरोप है कि उन्होंने 40 एकड़ सरकारी जमीन को पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की फर्म अमैडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेचने का सौदा किया, जबकि यह जमीन BSI को लीज पर दी गई थी. मामले में पाटिल और निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओले भी आरोपी हैं, जबकि पार्थ पवार को आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि सेल डीड में उनका नाम नहीं है.

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EOW ने आरोपी शीतल तेजवानी से इस हफ्ते दूसरी बार और 5 घंटे से ज्यादा पूछताछ की. (File Photo: ITG) EOW ने आरोपी शीतल तेजवानी से इस हफ्ते दूसरी बार और 5 घंटे से ज्यादा पूछताछ की. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार की फर्म को सरकारी जमीन की कथित अवैध बिक्री के मामले में आरोपी शीतल तेजवानी से इस हफ्ते दूसरी बार पूछताछ की है. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है. गुरुवार को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने खड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज इस मामले में तेजवानी से 5 घंटे से अधिक पूछताछ की. इससे पहले मंगलवार को भी उनसे सवाल-जवाब किए गए थे.

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पार्थ पवार के बिजनेस पार्टनर भी आरोपी

तेजवानी के अलावा, पार्थ पवार के बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल और निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओले भी इस मामले में आरोपी हैं. येओले पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) को बेदखली के नोटिस जारी किए. पुलिस ने पहले बताया था कि पार्थ पवार को आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि बिक्री दस्तावेज (सेल डीड) में उनका नाम नहीं है.

तेजवानी पर क्या आरोप हैं?

EOW के एक अधिकारी के अनुसार, 'तेजवानी 5 घंटे से अधिक समय तक EOW कार्यालय में थीं. उन्होंने हमें कुछ अतिरिक्त दस्तावेज- जैसे एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी-सौंपे. इनके आधार पर उनका एक और बयान दर्ज किया गया और शाम तक उन्हें जाने की अनुमति दे दी गई.'

तेजवानी पर आरोप है कि उन्होंने 40 एकड़ जमीन को पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की फर्म अमैडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेचने का सौदा किया, जबकि वे इस जमीन के 272 पूर्व मालिकों की तरफ से पावर ऑफ अटॉर्नी पर काम कर रही थीं. यह जमीन सरकारी है और BSI को लीज पर दी गई है.

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समिति ने सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट

संयुक्त महानिरीक्षक पंजीकरण राजेंद्र मुंथे की अध्यक्षता वाली समिति ने सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें उप-पंजीयक आर. बी. तारू, पाटिल और तेजवानी को इस अवैध लेन-देन में दोषी ठहराया गया है. सरकारी जमीन होने के कारण बिक्री अवैध तो थी ही, इसके अलावा यह भी सामने आया कि अमैडिया एंटरप्राइजेज को 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी से छूट दी गई थी. पुलिस के मुताबिक, तेजवानी और पाटिल ने यह जानते हुए भी एग्रीमेंट किया और सेल डीड दर्ज कराई कि यह जमीन सरकारी है.

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