युवा महिला डॉक्टर का भावुक करने वाला पत्र, “पीरियड्स कोविड महामारी में भी होते हैं...”

जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर रेशमा शिंदे ने रविवार शाम को ये पत्र लिखा. इसमें बताया गया है कि महिला फ्रंटलाइन कोविड वॉरियर होने के मायने क्या हैं?

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जूनियर डॉक्टर ने लिखा भावुक कर देने वाला पोस्ट जूनियर डॉक्टर ने लिखा भावुक कर देने वाला पोस्ट

पंकज उपाध्याय

  • मुंबई,
  • 15 जून 2020,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

  • महिला कोविड वॉरियर होने के क्या हैं मायने? युवा डॉक्टर ने बताया
  • पत्र में लिखा- मदर्स कोविड वॉरियर्स के लिए और बढ़ गया सम्मान

अब तक हमने डॉक्टरों समेत हेल्थकेयर वर्कर्स के बहुत दबाव और लंबे ड्यूटी ऑवर्स के बारे में बहुत कुछ सुना और जाना है. ड्यूटी पर हर वक्त PPE किट में रहना पड़ता है. इस दबाव को मुंबई की एक युवा महिला डॉक्टर ने अपने खुले पत्र से नए मायने दिए हैं. KEM अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर रेशमा शिंदे ने रविवार शाम को ये पत्र लिखा. इसमें बताया गया है कि महिला फ्रंटलाइन कोविड वॉरियर होने के मायने क्या हैं?

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डॉक्टर कहती हैं- "पीरियड्स कोविड महामारी में भी होते हैं. मासिक मेंस्ट्रुअल साइकिल (माहवारी) के दौरान पसीने और ब्लीडिंग का मेल असुविधाजनक PPE सूट्स में और अधिक असुविधा देता है."

इस डॉक्टर की भावुक कहानी ये भी सामने लाती है कि बेशक समाज के लिए सेवा की हर कोई तारीफ कर रहा हो लेकिन शब्द कोविड के साथ कुछ हद तक सोशल स्टिग्मा भी जुड़ा है. डाक्टर ने पत्र में बताया है कि कैसे उसे और उसके परिवार को कोविड ड्यूटी की वजह से खूब तारीफ मिल रही है. लेकिन साथ ही पर्सनल फ्रंट पर भी इस डॉक्टर के मुताबिक चीजें बदल गई हैं. उसके लिए शादी के प्रस्ताव आने बंद हो गए हैं.

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डॉक्टर ने लिखा, "हालांकि मेरे घर पर मेरे काम के लिए तारीफों की बरसात की गई, लेकिन शादी के प्रस्तावों ने मेरे घर के दरवाजे खटखटाना बंद कर दिया. मुझे यह अहसास होने में वक्त नहीं लगा कि यह 'कोविड' शब्द से जुड़े स्टिग्मा की वजह से था. मुझे बहुत कमतर महसूस होने लगा क्योंकि मैं शादी के अपने सपनों को चकनाचूर होते देख सकती थी.” इस डॉक्टर की और सहकर्मियों को भी इसी तरह के अनुभव हुए हैं.

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चीजें और हाथ से निकलनी शुरू हुई जब इस डॉक्टर की लैब टेक्नीशियन (दो बच्चों की मां) का टेस्ट भी कोविड पॉजिटिव आया.

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डॉक्टर ने लिखा, “मैं उस वक्त जम सी गई क्योंकि पहली बार क्वारनटीन में जा रही थी. उस क्वारनटीन अवधि में मुझे अपने लिए सोचने का समय मिला. उस वक्त मैंने ईश्वर का आभार जताया कि मेरी शादी नहीं हुई. अगर मेरी शादी हो गई होती, तो मैं एक या दो साल के बच्चे की मां होती. हालांकि एक बेटी के लिए कोविड ड्यूटी के बाद अपने माता-पिता से अलग आइसोलेशन में रहना मुश्किल होता है, लेकिन एक मां के लिए अपने बच्चे से अलग रहना कहीं ज्यादा मुश्किल होता है. जो मदर कोविड वारियर्स हैं उनके लिए मेरे मन में सम्मान और बढ़ गया. डर टेस्ट कोविड पॉजिटिव निकलने में नहीं होता लेकिन निश्चित रूप से इससे जो स्टिग्मा जुड़ा है, उसमें होता है."

युवा डॉक्टर के मुताबिक "मैंने अब भी अपनी शादी सपनों को नहीं छोड़ा है. क्योंकि मेरा मानना ​​है वो एक वॉरियर का ही दिल होगा जो एक वॉरियर को अपनी पत्नी बनाना पसंद करेगा.”

अपनी ड्यूटी के शुरुआती दिनों के डॉ शिंदे ने अपने मेंस्ट्रुअल साइकिल के मुताबिक अपनी कोविड ड्यूटी को एडजस्ट किया.

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डॉ. शिंदे ने पत्र में लिखा, "यह एक सच्चा वॉरियर होने की तरह है जो ड्यूटी लाइन पर ब्लीड करता है. इन चुनौतियों का सामना नियमित रूप से तब किया जाता है जब एक महिला का शरीर एक फ्रंटलाइन वर्कर के अंदर होता है. लेकिन फिर भी हम महिलाएं इस तमाम जद्दोजहद के बावजूद काम करने के लिए खास शक्तियों के साथ धन्य हैं.”

17 मई को रोहतक में एक महिला एनेस्थेटिस्ट को ICU में कोविड ड्यूटी के दौरान PPE किट में ब्लीडिंग का अनुभव हुआ. ड्यूटी की व्यस्तता में वो पूरी तरह भूल गई कि ये महीने का वो वक्त था. दो घंटे तक PPE पहने रहने के बाद डॉक्टर को ब्लीडिंग होने का पता चला लेकिन उसने उसी PPE किट में काम करना जारी रखा जिससे कि और PPE बर्बाद न हो. वॉटरप्रूफ होने की वजह डॉक्टर ने बिना किसी डर अपनी ड्यूटी जारी रखी. शिफ्ट के बाद डॉक्टर को PPE को रिमूव करने और सैनिटाइजेशन के बाद डिस्पोज करने में 45 मिनट लगे.”

इन महिला कोविड वॉरियर के ड्यूटी के लिए समर्पण को सलाम...

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