बॉम्बे हाई कोर्ट ने पीओपी की मूर्तियां बनाने वालों को दी थोड़ी राहत, शर्तों के साथ दी बेचने की अनुमति

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस एस बी शुक्रे और जस्टिस ए एस किलोर ने इस साल प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की गणपति मूर्तियां बनाने वाले गणपति मूर्ति निर्माताओं को कुछ राहत दी है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट

विद्या

  • मुंबई,
  • 27 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से पीओपी की मूर्तियां बनाने वालों को राहत
  • मूर्तियों के रूप में नहीं, बल्कि वस्तुओं की तरह बेच सकेंगे

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस एस बी शुक्रे और जस्टिस ए एस किलोर ने इस साल प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की गणपति मूर्तियां बनाने वाले गणपति मूर्ति निर्माताओं को कुछ राहत दी है. कुछ मूर्ति निर्माताओं ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि अगर उनकी पीओपी मूर्तियों को नहीं बेचा गया तो उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा. अदालत ने मूर्ति निर्माताओं को इन मूर्तियों को केवल पीओपी वस्तुओं के रूप में बेचने की अनुमति दी है, न कि मूर्तियों के रूप में.

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इसके अलावा मूर्ति निर्माताओं को कोर्ट को एक अंडरटेकिंग भी देनी होगी कि वे इस साल या भविष्य में भी गणेश उत्सव या किसी अन्य त्योहार के दौरान इनको नहीं बेचेंगे. इन वस्तुओं को केवल गैर त्योहारों के मौसम में शर्तों का जिक्र करके बेचा जा सकता है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अब से किसी भी देवता की पूजा के लिए पीओपी की मूर्तियां बनाना बंद कर दें.

कोर्ट ने कहा कि मूर्तियों को लोग भगवान के रूप में मानते हैं. मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी 'मूर्ति' शब्द को 'पूजा की वस्तु का प्रतिनिधित्व या प्रतीक' के रूप में बताती है. गाइडलाइन 2020 से साफ होता है कि पीओपी की सभी चीजों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, बल्कि उन चीजों पर ही बैन लगेगा, जो कि पीओपी से बनी मूर्तियां होंगी और उनकी पूजा की जाती होगी.

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इसके अलावा, कोर्ट ने पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे के तर्क को भी दोहराया. कहा कि पीओपी की मूर्तियों को आम तौर पर त्योहारों के दौरान सीमित उपयोग के लिए बाजार से खरीदा जाता है और जैसे ही त्योहार अपने समापन पर आते हैं, मूर्तियों को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है. इससे पानी प्रदूषित होता है. यह मछली और उसमें रहने वाले अन्य चीजों के लिए हानिकारक होता है.

 

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