धीरेंद्र शास्त्री के दरबार पर महाराष्ट्र में रार... कांग्रेस विरोध में उतरी तो शिवसेना समर्थन में

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का 18 और 19 मार्च को मुंबई में कार्यक्रम होने जा रहा है. इसे लेकर महाराष्ट्र में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने जहां इस कार्यक्रम को विरोध किया है, तो वहीं उद्धव गुट इसे लेकर अपना रुख साफ नहीं कर रहा है.

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बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री (फाइल फोटो) बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 17 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार दो दिन के लिए मुंबई में सजने जा रहा है. 18 और 19 मार्च को मुंबई के मीरा रोड पर धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम होना है. इसे लेकर कांग्रेस की भवें तन गई हैं. कांग्रेस ने चिठ्ठी लिखकर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से अपील की है कि बागेश्वर धाम के इस कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी जाए. वहीं बीजेपी बागेश्वर धाम के समर्थन में आ गई है. 

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दरअसल, 18 मार्च को महादिव्य दरबार लगेग, जबकि 19 मार्च को दिव्य दर्शन का कार्यक्रम होगा. इसे लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार से मांग की है कि बागेश्वर धाम के इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी जाए. उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री ने संत तुकाराम महाराज का अपमान करने वाला बयान देकर लाखों भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. महाराष्ट्र प्रगतिशील विचारों का राज्य है, जहां अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर धीरेंद्र शास्त्री के वसई-विरार के कार्यक्रम की इजाजत दी जाती है, तो इससे कई लोग गुमराह हो सकते हैं. 

वहीं, एनसीपी के विधायक अमोल मितकरी ने कहा कि हमने पहले भी मांग की थी कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के खिलाफ कार्रवाई की जाए. क्योंकि वह अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं. महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून होने के बाद भी उन्हें परमिशन मिलती है, तो हम उनका विरोध करते हैं. 

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उधर, उद्धव गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि अगर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार हो रहा है, तो हम खुशी जाहिर करते हैं. समय-समय पर हमारे महापुरुषों ने ज्ञान दिया है, उसी क्रम में कोई भी हमारे समाज को दिशा देने का काम करता है तो हम हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं. 

इससे पहले जनवरी में नागपुर में 'श्रीराम चरित्र-चर्चा' का आयोजन हुआ था. दावा है कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समित की वजह से यह कथा दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को संपन्न हो गई, जबकि इसकी अंतिम तिथि 13 जनवरी थी. अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने और अंधश्रद्धा फ़ैलाने का आरोप लगाया था. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री सुर्खियों में आ गए थे.

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हिंदुत्व और सनातन पर फ्रंटफुट पर बैटिंग करने के लिए जाने जाते हैं. भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ लेने के बाद से वो कई ऐसे बयान दे चुके हैं. उन्होंने रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की मांग की थी. इतना ही नहीं, उनका 'कायदे में रहोगे, तो फायदे में रहोगे' वाला बयान भी चर्चा में रहा था. हाल ही में छतरपुर में रामचरित मानस मैदान पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि 4 बच्चे पैदा करो और 2 राम के नाम पर लगा दो. इससे पहले वो अपने दरबार में रावण के साथ संवाद वाले बयान को लेकर सुर्खियों में रहे थे. हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि आज के युवाओं को समझाने के लिए वो ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वो खुद को कनेक्ट कर सकें.

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आजतक ब्यूरो  

 

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