झारखंड: सात साल पहले रेलवे स्टेशन पर परिवार से बिछड़ गए थे बच्चे, ऐसे मिले वापस

 मामला है गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के बम्बलकेरा सेमरटोली कोंडरा गांव निवासी बिलंबर सिंह उर्फ रवि तिर्की के यहां का है. किशोर अवस्था में बिलंबर सिंह उर्फ रवि तिर्की वर्ष 1984 में नौकरी की तलाश में झारखंड से सीधे असम चले गए थे. जहां रोजगार की तलाश में भटक रहे बिलंबर सिंह को अपना नाम रवि तिर्की करना पड़ा और वह वहां राजमिस्त्री का काम करने लगे. 

Advertisement
अपने बच्चों के साथ रवि तिर्की. अपने बच्चों के साथ रवि तिर्की.

सत्यजीत कुमार

  • गुमला,
  • 25 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:56 AM IST
  • सात साल बाद अपने परिजनों से मिले बच्चे
  • रेलवे स्टेशन पर परिवार से बिछड़ गए थे पांच बच्चे
  • बड़ी बेटी ने अपने पिता को पहचाना

कुंभ मेला में बिछड़ने की दास्तां अक्सर फिल्मों में हिट सीन के रूप में दिखाया जाता है जो फिल्म की महज एक कहानी होती है लेकिन गुमला जिला में यह दास्तां हकीकत बनकर सामने आयी है जहां एक पिता अपने बच्चों से लगभग 7 वर्षों बाद मिला. बच्चे पिता को पहचान भी नहीं पा रहे थे. जबकि बच्चों की एक झलक देखने को तरसती रही उसकी मां बच्चों के गम में परलोक सिधार गई.हृदय विदारक यह घटना आंखों को नम करने वाली है.

Advertisement

 मामला है गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के बम्बलकेरा सेमरटोली कोंडरा गांव निवासी बिलंबर सिंह उर्फ रवि तिर्की के यहां का है. किशोर अवस्था में बिलंबर सिंह उर्फ रवि तिर्की वर्ष 1984 में नौकरी की तलाश में झारखंड से सीधे असम चले गए थे. जहां रोजगार की तलाश में भटक रहे बिलंबर सिंह को अपना नाम रवि तिर्की करना पड़ा और वह वहां राजमिस्त्री का काम करने लगे. असम में ही उसने गुमला जिला के कांसीर गांव के रहने वाले एक परिवार की लड़की मीनी देवी से शादी की.

विवाह के बाद उनके पांच बच्चे भी असम में ही जन्मे. इसी दौरान अचानक बिलंबर सिंह उर्फ रवि तिर्की को अपनी घर की याद आयी और वह पत्नी संग अपने पांच बच्चों को लेकर अपने पैतृक घर बम्बलकेरा सेमरटोली कोंडरा के लिए ट्रेन से निकल पड़े. ट्रेन असम होते हुए बंगाल का छतनी रेलवे स्टेशन पहुंची जहां दोनों पति-पत्नी बच्चों के लिए पानी व कुछ खाने का समान लेने उतरे. इसी दौरान ट्रेन निकल गई और दोनों पति-पत्नी अपने बच्चों से बिछड़ गए. बच्चों से बिछड़ने का गम दोनों को अबतक सताता रहा. वर्ष 2020 में बिलंबर को उसके ससुराल वालों ने यह सूचना दी कि उसकी पत्नी का 2016 में ही देहांत हो गया जिसके बाद  बिलंबर के आंखों में गहरी निराशा छा गयी और बच्चों से मिलने की उम्मीद टूट गई थी.

Advertisement

बड़ी बेटी ने सीडब्लूसी को बताया घर का पता

इसे भगवान की लीला कहें या मजबूर पिता की हृदय की पुकार कि ऐसा चमत्कार हुआ कि बच्चे अब वापस अपने परिजनों के पास आ गए हैं. बिलंबर के पांचों बच्चे खुंटी चाइल्ड लाइन में बिछड़ने के बाद से रह रहे थे. उसकी सबसे बड़ी बेटी से जब घर का पता पूछा गया तो उसने गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के बम्बलकेरा सेमरटोली कोंडरा गांव बताया. बच्ची को पिता ने ही असम में अपने पैतृक गांव की जानकारी दी थी जो उसके दिलो दिमाग में बसा हुआ था. इस दौरान बच्चों की तलाश में जुटे बिलंबर के घर गुमला सीडब्लूसी पहुंचा. बच्चों की जानकारी मिलने पर बिलंबर खुशी से चहक उठे. सीडब्लूसी के प्रयास से सोमवार को खुटी से बच्चों को गुमला लाया गया और मंगलवार को बच्चों को उसके पिता के हवाले कर दिया गया.

(मुकेश के इनपुट्स के साथ)

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement