केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा- केंद्र सरकार सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) एक्ट यानी AFSPA को रद्द करने पर विचार करेगी. अमित शाह ने ये भी कहा- सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बना रही है और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले किया जाएगा.
शाह का कहना था कि जम्मू कश्मीर की पुलिस ने कई बड़े ऑपरेशन का नेतृत्व किया है. शाह ने पाकिस्तान को दो टूक कहा- हम कश्मीरी युवाओं से बातचीत करेंगे, न कि उन संगठनों से जिनकी जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हैं. शाह ने पाकिस्तान की बदहाली का हवाला दिया और कहा, कश्मीर को सिर्फ पीएम मोदी ही बचा सकते हैं. शाह ने साफ शब्दों में कहा- बीजेपी और पूरी संसद का मानना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है. पीओके में रहने वाले मुस्लिम भाई भी भारतीय हैं और हिंदू भाई भी भारतीय हैं. पीओके पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. आइए जानते हैं कि AFSPA हटने से कश्मीर में क्या बदल जाएगा और सेना के पावर में क्या बदलाव आएगा? सवाल-जवाब में समझें...
1. क्या AFSPA का विरोध किया जा रहा था?
जम्मू कश्मीर में AFSPA को दशकों से विरोध किया जा रहा है. दरअसल, राजनीतिक दलों और आम लोगों की कई सालों से मांग थी कि जम्मू कश्मीर में सेना को जो विशेष अधिकार हैं, उसे हटाना चाहिए. कई बार देखा गया कि इसका दुरुपयोग भी हुआ है. फर्जी एनकाउंटर हुए. हाल ही में राजौरी में कस्टडी में चार युवाओं की मौत ने माहौल गरमा दिया था.
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2. क्यों AFSPA को हटा रही है सरकार?
केंद्र में जो सरकारें होती थीं, उनका कहना होता था कि जम्मू कश्मीर में उस तरह के हालात नहीं हैं कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाया जा सके या फिर सेना को कम किया जाए. लेकिन अब चूंकि 2019 से पिछले पांच साल में जम्मू कश्मीर के हालात में बहुत सुधार हुआ है. इसके आंकड़े संसद में भी पेश किए गए और ग्राउंड पर भी देखने को मिल रहा है. गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि हम जम्मू-कश्मीर पुलिस में गुणात्मक बदलाव लाएं हैं. वे अब सभी ऑपरेशन में सबसे आगे हैं. पहले सेना और केंद्रीय बल ही नेतृत्व कर रहे थे. चुनाव के बाद हम निश्चित रूप से कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप देंगे. जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के साथ जल्द ही वहां सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) की समीक्षा पर विचार करेंगे.
3. क्या आतंकवादियों का मूवमेंट कम हुआ है?
केंद्र सरकार मान रही है कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों का मूवमेंट कम हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि आतंकवाद में 80 फीसदी कमी आई है. पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह खत्म हुई है. बंद, प्रदर्शन और हड़तालें गाइड हो गई हैं. गृह मंत्री ने कहा, 2010 में पथराव की 2564 घटनाएं हुई थीं जो अब शून्य हैं. 2004 से 2014 तक 7217 आतंकी घटनाएं हुईं. 2014 से 2023 तक यह घटकर 2227 हो गई हैं और यह करीब 70 प्रतिशत की कमी है. 2004 से 2014 तक मौतों की कुल संख्या 2829 थी और 2014-23 के दौरान यह घटकर 915 हो गई है, जो 68 प्रतिशत की कमी है. नागरिकों की मृत्यु 1770 थी और घटकर 341 हो गई है, जो 81 प्रतिशत की गिरावट है. सुरक्षा बलों की मौतें 1060 से घटकर 574 हो गईं, जो 46 प्रतिशत की कमी है.
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4. क्या सरकार के प्लान से राहत मिली है?
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था. उसके बाद जम्मू कश्मीर को लेकर जो रणनीति बनाई थी, उसमें सफलता मिली है. घाटी में हालात बदले हैं और शांति देखने को मिल रही है. युवाओं में एजुकेशन से लेकर जॉब का क्रेज बढ़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जम्मू कश्मीर को लेकर एक बड़ा और वृहद प्लान है. उन्होंने श्रीनगर की रैली में इसका विवरण भी दिया था. कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद मोदी सरकार का ये सबसे बड़ा एजेंडा हो सकता है.
5. सरकार का AFSPA हटाने का क्या प्लान?
देश में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ये 30 सितंबर से पहले संपन्न करवाने की तैयारी है. उसके बाद AFSPA को हटाकर धीरे-धीरे सेना की तैनाती कम की जाएगी. क्योंकि जम्मू कश्मीर पुलिस को पिछले 20 साल में काफी विकसित किया गया है. ट्रेंड किया गया है. देश की सबसे बेहतरीन पुलिस में गिनी जाती है. जिसने ना सिर्फ आतंकवाद पर नकेल कसी, बल्कि बड़ी सफलताएं हासिल की हैं. जाहिर है कि गृह मंत्री शाह का इशारा जम्मू कश्मीर पुलिस का हौसला बढ़ाने वाला होगा, जो जम्मू कश्मीर के हालात को अपने बलबूते पर संभाल सकते हैं और सेना या अधिक सुरक्षा बलों की जरूरत कम करने वाली साबित होगी.
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6. क्या है AFSPA?
AFSPA को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है. ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत होती है और कई मामलों में बल प्रयोग भी किया जा सकता है. 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया. अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है. AFSPA केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू होता है.
7. AFSPA से सेना को क्या विशेष अधिकार?
सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति होती है. इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार होता है. इसके लिए सुरक्षाबल जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग भी कर सकते हैं. अगर सुरक्षाबलों को ऐसा अंदेशा होता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं तो उसे तबाह किया जा सकता है. इसके अलावा वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा सकती है. बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी ना दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. लेकिन, जम्मू कश्मीर से AFSPA हटाए जाने से सेना के विशेष अधिकार समाप्त हो जाएंगे.
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8. पीओके को लेकर सरकार का क्या स्टैंड?
पीओके को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने अलग-अलग मंचों के अलावा संसद में भी बयान दिया. शाह का कहना है कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है. उसे अपने वक्त पर वापस लिया जाएगा. इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया है. जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब भी गृह मंत्री ने संसद में पीओके को लेकर बयान दिया था. अब तक यूएन समेत अन्य देशों में ये बात उठती थी कि जम्मू कश्मीर में सेना की तादाद बहुत ज्यादा है. लेकिन आर्म्स फोर्स एक्ट हटने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पीओके को लेकर एक संदेश जाएगा.
अमित शाह ने क्या कहा?
गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीरी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, घाटी से सैनिकों की वापसी का प्लान तैयार हो गया है. घाटी के लोग मुगालते से बाहर निकलें. युवा विकास की प्रक्रिया से जुड़ें. सरकार अपना प्रयास कर रही है. जम्मू कश्मीर को स्वर्ग माना जाता है. युवा वर्ग इस स्वर्ग को इंजॉय करें. हाथ में पत्थर नहीं, लैपटॉप पकड़ें. उन्होंने कहा, जितनी फर्जी मुठभेड़ें उनके (फारूक अब्दुल्ला) समय में हुईं, उतनी किसी अन्य शासन में नहीं हुईं. पिछले पांच साल में एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई है. बल्कि फर्जी मुठभेड़ों में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. हम कश्मीर के युवाओं के साथ बातचीत करेंगे, न कि उन संगठनों के साथ जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं. वो 40,000 युवाओं की मौत के लिए जिम्मेदार हैं.
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शाह ने कहा, मोदी सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 12 संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है. 36 लोगों को आतंकवादी घोषित किया है. टेरर फंडिंग को रोकने के लिए 22 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं और 150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. 90 संपत्तियां भी कुर्क की गईं और 134 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं. हमने शांति स्थापित की है और शांति खरीदी नहीं जा सकती, जो कोई भी बातचीत करना चाहता है उसे संविधान के दायरे में आना होगा. बातचीत की प्रक्रिया में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का कोई स्थान नहीं है. बीजेपी और पूरी संसद का मानना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है. मुस्लिम भाई भी भारतीय हैं और पीओके में रहने वाले हिंदू भाई भी भारतीय हैं और पाकिस्तान ने जिस जमीन पर अवैध कब्जा किया है वह भी भारत की है. इसे वापस पाना हर भारतीय, हर कश्मीरी का लक्ष्य है.
शाह ने आगे कहा, जो लोग इस्लाम के बारे में बात करते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि मरने वालों में 85 फीसदी हमारे मुस्लिम भाई-बहन थे. शाह ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से पाकिस्तान की साजिशों से दूर रहने को भी कहा. उन्होंने कहा, आज पाकिस्तान भूख और गरीबी की मार से घिरा हुआ है और वहां के लोग भी कश्मीर को स्वर्ग के रूप में देखते हैं. मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अगर कोई कश्मीर को बचा सकता है तो वो प्रधानमंत्री मोदी हैं. गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार शहीदों के परिजनों को नौकरी देकर सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा रही है. उन्होंने कहा, आज एक भी शहीद का परिवार बिना नौकरी के नहीं बचा है.
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इससे पहले शाह ने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में AFSPA हटा दिया गया है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों द्वारा AFSPA को हटाने की मांग की गई है. शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे. जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा. हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
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